बन्द हो सकते हैं नेपाली सीमेंट उद्योग, क्लिंकर हटाओ-रक्सौल बचाओ आंदोलन के कारण
हिमालिनी संवाददाता, वीरगंज | नेपाल, बीरगंज से सटे भारतीय बॉर्डर रक्सौल में नेपाल के लिए, सीमेंट का कच्चा माल क्लिंकर आता है। जिसे ट्रक से बीरगंज लाया जाता है, लोडिंग के क्रम में बहुत ज्यादा धूल उड़ता है, जिससे परेशान होकर, क्लिंकर रक्सौल ना उतारकर सीधे सूखा बंदरगाह भेजने के लिए रक्सौलवासी जोरदार आंदोलन कर रहे है। पिछले दस दिनों से रक्सौल में लगातार प्रदर्शन हो रहे है, लेकिन कुछ उधोगपतियों को लाभ पहुचाने के लिए, नेपाली मीडिया ने इस ज्वलन्त ख़बर को दबाने का प्रयाश किया, जबकि मामला बिहार के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री तक पहुच गया है।
रक्सौल स्टेशन पर क्लिंकर की उतराई बंद कर मालगाड़ी को सीधे सिर्सिया (नेपाल) बंदरगाह भेजे जाने और रामगढ़वा में शिफ्टिंग रोकने को लेकर सोशल एक्टिविस्ट प्रो. डा. स्वयंभू शलभ द्वारा गत १३ दिसंबर को रेल मंत्रालय में रेलवे पॉलिसी एंड रेगुलेटरी के तहत मामला दर्ज कराया गया। जिसपर तत्काल संज्ञान लेते हुए पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर के उप महाप्रबंधक श्री ए. के. झा से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है।
इस याचिका में किसी भी बुकिंग प्वाइंट से क्लिंकर की बुकिंग रक्सौल के लिए बंद करने, रामगढ़वा में शिफ्टिंग के निर्णय को निरस्त करने और सीधे सिर्सिया (नेपाल) के लिए बुकिंग ओपन किये जाने की मांग की गई है।
वहीं डा. शलभ ने क्लिंकर मामले के कारण पैदा हो रही विकट परिस्थितियों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को भी मेल के जरिये अवगत कराया है। अपील पर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संज्ञान लेते हुए इस मामले को वन एवं पर्यावरण विभाग को अग्रसारित किया है। साथ ही डीएम मोतिहारी को मेल भेजा है।
रामगढ़वा प्रखंड क्षेत्र के बरवा गाँव के वरीय राजनीतिक व भाजपा नेता अर्जुन सिंह भारतीय ने रेलमंत्री से रक्सौल से स्थानांतरित क्लिंकर की रामगढ़वा में उतराई करने की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है। उँन्होने जन शिकायत के आलोक में पीएमओ से इस समस्या समाधान की पहल शीघ्र करने की मांग की ।
डंकन अस्पताल के प्रबंध निदेशक उत्तम महापात्रा व प्रशासक चन्देश्वर कुमार सिंह बुधवार को रक्सौल में चल रहे शहर वासियों के द्वारा चलाये जा रहे क्लिंकर आंदोलन को नैतिक समर्थन भी दिया है। इस क्रम में डंकन चौक पर आयोजित नुक्कड़ सभा में वे शरीक भी हुए। उँन्होने आगाह किया कि रक्सौल की आबोहवा सीमेंट बनाने के रॉ मेटेरियल क्लिंकर के धूल प्रदूषण से जहरीली हो गई है। जीवन पर संकट बढ़ चला है। डंकन अस्पताल में भर्ती मरीज के साथ स्टाफ ,और डॉक्टर भी बुरी तरह प्रभावित व परेशान हैं। इस प्रदूषण से आजमा ,सीओपीडी के साथ निमोनीसीस कि बीमारी के मरीज बढ़ रहे हैं। उँन्होने एक डंकन के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा की इन बीमारियों से लोग अस्वस्थ्य हो रहे हैं। लोगो की औसत आयु ६० -७० से घट कर ४०-५० तक सिमट रही है। सांस लेने की दिक्कतें दिल्ली के प्रदूषण लेवल को फेल कर रही है। यहां के आम लोगों को ऑक्सीजन नही मिल पा रहा। सांस लेने की क्षमता घट रही है। फेफड़े की कमजोरी से फेफड़े का कैंसर समेत विभिन्न बीमारी बीमारी बढ़ रही है। डंकन ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि डंकन अस्पताल परिसर क्लिंकर प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित है। यहां तक कि चिकित्सकीय उपकरण भी सुरक्षित नही हैं। रिपोर्ट में डंकन के उप स्वास्थ्य निदेशक डॉ सायरत पॉलोस ने कहा है कि यहां के जन समुदाय के लिए यह स्थिति स्वास्थ्य कर नही है। जीवन के लिए गम्भीर खतरा ,कठिनाई और चुनौती बढ़ गई है।
क्लिंकर हटाओ, रक्सौल बचाओ आंदोलन में जुटे भाजपा नेता महेश अग्रवाल ने बिहार सरकार के उप मुख्य मंत्री सुशील कुमार मोदी से मांग की है कि प्रदूषण की गम्भीर समस्या से निजात दिलाने की पहल करें, क्योंकि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका आपकी है। उँन्होने मेल से भेजे गए शिकायती पत्र में बताया है कि विगत कई वर्षो से नेपाल के सीमेन्ट उधोग के लिए रक्सौल रेलवे साइडिंग मे कलींकर लाया जाता रहा है। पहले तो क्वांटिटी कम थी । पर, इधर मे यह बढ कर प्रति दिन ६००० टन तक पहुंच गयी। रेलवे की डमरेज की घड़ी २४ x७ चलती है ।
रक्सौल विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी व कांग्रेस नेता रामबाबू यादव ने कहा कि नेपाल के सीमेंट फैक्ट्रियों के संचालको को मानवता दिखानी चाहिए। उन्हें कोई हक नही की अपने व्यापार के लिये रक्सौल वासियों को बीमार करें। बेमौत मारे। उँन्होने कहा कि रक्सौल उन्हें कभी माफ नही करेगा। उँन्होने आरोप किया कि पैसे के बूते सीमेंट माफिया नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए क्लिंकर का कारोबार कर रहे हैं। रक्सौल से हाजीपुर तक पचास लाख से ज्यादा महीना बंट रहा है। नेपाली सीमेंट माफिया और दलाल गठजोड़ हरबार षड्यंत्र कर आंदोलन को खत्म करवा देते हैं। मगर इस बार ऐसा नही होगा। उँन्होने कहा कि बीरगंज चेम्बर ऑफ कॉमर्स को इस पर सकरात्मक पहल करनी चाहिए। वे हमारी बात अनसुनी करते हैं तो,यह अच्छा नही होगा।
गौरतलब है कि सिरिसिया ड्राईपोर्ट (सुखा बंदरगाह) का निर्माण करोड़ो की लागत से किया गया। भारत ने उक्त ड्राइपोर्ट तक रेललाइन का निर्माण किया। इस पोर्ट पर देश-बिदेश से आयातित सामानों का रैक आता जाता है, परन्तु नेपाल की सीमेंट फैक्ट्रीयो द्वारा आयातित क्लिंकर, जिप्सन, कोयला व अन्य धुलकनयुक्त कच्चे पदार्थ ड्राईपोर्ट से नही ले जाना चाहते, जबकि वहाँ आधुनिक रख-रखाव की सुबिधा है, इसका मुख्य कारण है ट्रक द्वारा धुवानी से वजन और ट्रकों की कम गिनती कर, भन्सार की चोरी की जाती है। अगर सूखा बंदरगाह से क्लिंकर आता है, और सही भंसार देना पड़े तो कई सीमेंट उद्योग बंद हो जाएंगे।
रक्सौल में आंदोलन जोड़ पकड़ते जा रहा है, जिसमे आगामी २५ दिसम्बर को रक्सौल बन्द और सड़क जाम करके तीस हज़ार लोगो को सड़क पर उतारने की योजना है। आगामी दिन में बंद अनिश्चतकालीन भी हो सकता है, इसलिए समय रहते इसके समाधान के लिए प्रयास होना चाहिए।