शिक्षा और सामाजिक चेतना के विकास का काम करना चाहती हूँ : सलमा खातुन
सलमा खातुन पूर्व पत्रकार हैं, वीरगंज स्थित ठाकुरराम बहुमुखी कैम्पस में स्नातक तह में अध्ययन करते वक्त सलमा विद्यार्थी राजनीति से


आबद्ध हुईं, उस समय प्रथम मधेश आंदोलन चल रहा था, इसीलिए वह संघीय समाजवादी फोरम में आबद्ध हो गई थी । अंग्रेजी मूल विषय लेकर शिक्षा संकाय में स्नातक करनेवाली सलमा ने बाद में बंगलादेश युनिभर्सिटी से पत्रकारिता में मास्टर डिग्री भी किया । लेकिन अभी उनका परिचय एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि है । वह पर्सा जिला स्थित पोखरिया नगरपालिका की उपमेयर हैं । पोखरिया स्थायी निवासी सलमा से वहां की जनता कई अपेक्षा भी कर रही है । पोखरिया नगरपालिका को सलमा किस तरह देखती और मूल्यांकन करती हैं ? और यहां की समस्या क्या है ? इन्ही प्रश्नों के आसपास रह कर हिमालिनी ने सलमा से बातचीत की । प्रस्तुत है, बातचीत का संपादित अंश–
० आप की नजर में पोखरिय नगरपालिका के लिए प्रमुख आकर्षक पक्ष क्या है ?
– सिर्फ पर्सा जिला के लिए ही नहीं, पूरे देश के लिए वीरगंज (पर्सा) प्रमुख आर्थिक नगरी है । वीरगंज की तरह ही पोखरिया को भी दूसरे आर्थिक नगरी के रूप में विकास कर सकते हैं । उसके लिए यहां बाजार व्यवस्थापन और भौतिक पूर्वाधार निर्माण होना जरुरी है । पोखरिया भारतीय बाजार से नजदीक भी है, यहां वीरगंज भन्सार के बाद पोखरिया होते हुए व्यापारिक कारोबार किया जा सकता है । अर्थात् वीरगंज के बाद दूसरे भन्सार नाका के रूप में भी इसको विकसित किया जा सकता है । लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है ।
० निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में से आप भी एक हैं, पोखरिया नगरपालिका के लिए आप लोग क्या करने की सोच बना रहे हैं ?
– मुख्यतः इस को भी वीरगंज की तरह ही आर्थिक नगरी के रूप में विकास करना चाहिए, हमारी नीति यही होगी । इसके लिए दीर्घकालीन योजना सहित काम को आगे बढ़ाना होगा । तत्काल के लिए यहां की शैक्षिक और सामाजिक स्तर वृद्धि के लिए काम करना है । इसीतरह स्वास्थ्य की क्षेत्र में भी कुछ करना है । पोखरिया नगरपालिका के पड़ोसी नगर व गांवपालिका से मिल कर स्थानीय उद्योग स्थापना भी कर सकते हैं, जिसके चलते यहां के युवाओं को रोजगार मिल सकता है । इसके बारे में भी विचार–विमर्श हो रहा है ।
० यहां के लिए सम्भावित स्थानीय उद्योग क्या हो सकता है ?
– स्थानीय लोगों के लिए कृषिजन्य उद्योग ही प्रमुख उद्योग हो सकता है । भारतीय सीमा नजदीक ही रहने के कारण उधर से कच्चा पदार्थ लाकर अन्य उद्योग भी संचालन कर सकते हैं । रोजगार के लिए यहां के अधिक युवा विदेश पलायन हो रहे हैं । अगर स्थानीय स्तर में ही उद्योग स्थापना किया जाता है तो उन लोगों को रोका जा सकता है ।
० आपने शिक्षा की बात भी उठाई थी, शिक्षा के क्षेत्र में क्या करना चाहती है ?
– पोखरिया में आज जो उच्च माध्यमिक विद्यालय है, यह आसपास गांव के बीच में पड़ता है । यहां कक्षा १२ तक अध्ययन–अध्यापन होता आ रहा है, जो नमूना विद्यालय के रूप में भी सूचीकृत हो चुका है । इसको और व्यवस्थित बनाना है, इसी के अन्दर एक कन्या विद्यालय भी स्थापना की जा सकती है । क्योंकि अपने बेटे को स्कूल भेजनेवाले अधिकांश अभिभावक बेटी को नहीं भेजते हैं । विशेषतः विद्यालय और कॉलेज घर से दूर होने के कारण यह समस्या आ रही है । अगर घर के नजदीक ही अलग कन्या स्कूल स्थापना की जाएगी तो हर घर की बेटियाँ भी स्कूल आ सकती हैं । मैं चाहती हूं कि पोखरिया में ही स्नातक तक की पढ़ाई हो सके । इसके लिए भी पहल हो रही है । अपने ही गांव में कॉलेज स्तरीय पढाई होती है तो यहां के हर अभिभावक अपनी बेटी को कॉलेज भेज सकते हैं ।
० स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या कर रही है ?
– पोखरिया में एक २५ बेडवाला अस्पताल है । बाहर से देखने पर लगता है कि अस्पताल सुविधा–सपन्न है । क्योंकि इसका भवन काफी बड़ा भी है, लेकिन मरीजों के उपचार के लिए यहां भौतिक पूर्वाधार नहीं है । विगत में बार–बार समाचार आया था कि अस्पताल के अन्दर भ्रष्टाचारजन्य विभिन्न अनियमितता भी हुई है । इसीलिए इस तरह की अनियमितता को अंत करते हुए अस्पताल को सुधार करने की आवश्यकता है । दक्ष डॉक्टर तथा अस्पताल की सेवा–सुविधा वृद्धि के लिए हम लोग पहल कर रहे हैं । कम से कम हफ्ता में दो दिन के लिए ही सही, महिला विशेषज्ञ और हाडजोर्नी विशेषज्ञ लाना चाहते हैं ।
० आपकी नजर में पोखरिया नगरपालिका के लिए प्रमुख चुनौती क्या है ?
– पोखरिया अपने आप में शहर उन्मुख बाजार है । लेकिन नगरपालिका के अधिकांश हिस्सा ग्रामीण बस्ती में पड़ता है । ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा व्याप्त है, यहां के लिए प्रमुख चुनौती भी यही है । विकास के दृष्टिकोण से भौतिक पूर्वाधार भी नहीं है । स्थानीय वासियों की प्रमुख माँग रहती है कि सड़क निर्माण और ढल–नाला की व्यवस्थापन की जाय । सड़क और ढल–नाला की दुरावस्था के कारण विकास के अन्य मुद्दों में लोगों को ध्यान नहीं रहता है ।
० अन्य पक्ष कह कर आप किधर संकेत कर रही है ?
– मैं मानती हूं कि भौतिक तथा आर्थिक विकास के साथ–साथ शिक्षा और सामाजिक चेतना में भी वृद्धि होनी चाहिए । व्यक्तिगत रूप में मैं इसी विषय पर ज्यादा जोर देती हूं । विगत में मैंने संचार क्षेत्रों से जुड़कर भी अन्य संघ–संस्था के सहयोग से सामाजिक काम किया । इसीलिए मैं भौतिक विकास के बदले सामाजिक जागरुकता और विकास के प्रति ज्यादा केन्द्रित होती हूं । कई जगहों में तो स्थानीय लोग मुझे कहते हैं– ‘आप विकास की बात छोड़कर अल्पसंख्यक, दलित और पिछड़ा हुआ समुदाय के बारे में बात करती हैं ।’ मुझसे इस तरह की बात करनेवाले अधिकांश व्यक्ति शिक्षित वर्ग के होते हैं । एक शिक्षित व्यक्ति की मानसिकता तो इस तरह की होती है तो वास्तव में ही अशिक्षित व्यक्ति किस तरह सोचते होंगे ? मैं खुद को प्रश्न यह करती हूं । शिक्षा, स्वास्थ्य राजनीतिक अधिकार क्या है और इसको कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इसके बारे में बहुत कम लोगों को ज्ञान है । अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत और दलित समुदाय में ज्यादा यह समस्या दिखाई देती है । शिक्षा और रोजगार से भी यह लोग वंचित हैं । मेरे विचार में उन लोगों को सचेत बना कर राज्य के मूल प्रवाह में लाना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है । यह तो भौतिक विकास करने से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है । इसके लिए स्थानीय स्तर में ही रहकर काम करना पड़ता है, उन लोगों को आर्थिक क्रियाकलाप में सक्रिय बनाना पड़ता है, साथ में सामाजिक चेतना के लिए भी काम करना पड़ता है । पोखरिया नगरपालिका की ओर से हो अथवा मेरी व्यक्तिगत पहल से, मैं इसी में काम करना चाहती हूं ।
० आर्थिक स्रोत–साधन की दृष्टिकोण से पोखरिया नगरपालिका की अवस्था कैसी है ?
– वीरगंज भन्सार को जोड़कर व्यापारिक केन्द्रबिन्दु बनाने में सफल हो जाएंगे तो पोखरिया भी दूसरा आर्थिक केन्द्रबिन्दू बन सकता है, जो हमारे लिए भी एक बड़ा आर्थिक स्रोत बन सकता है । लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली तो यहां के लिए प्रमुख आर्थिक स्रोत कृषिजन्य उत्पादन ही है । धान, गेहू तरकारी खेती को आधुनिकीकरण कर आमदनी बढ़ाना पड़ेगा, इसकी सम्भावना भी है । इसीतरह नगरपालिका के भीतर बहुत सारे पोखर हैं । उसमें व्यावसायिक मछली का उत्पादन भी कर सकते हैं । आज तक जो खेती हो रही है, वह परम्परागत है । यहां के किसानों का जीवनस्तर परिवर्तन करना है तो व्यावसायिक कृषि ही एक मात्र विकल्प है । इसके लिए पोखरिया के कुछ स्थानों को विशेष क्षेत्र घोषणा कर काम किया जा सकता है । और युवाओं की सहभागिता में कृषि उत्पादन बढ़ा सकते हैं । युवाओं को लगना चाहिए कि कृषि सिर्फ निर्वाहमुखी पेशा नहीं, आय–आर्जनमुखी व्यवसाय भी है ।
० व्यक्तिगत रूप में आप मुस्लिम समुदाय से प्रतिनिधित्व करती हैं, यहां के मुस्लिम समुदाय के महिलाओं में कुछ समस्या है ?
– अपवाद में कुछ परिवारों के अलावा अधिकांश महिला अथवा बहू–बेटी घर से बाहर नहीं जाते हैं । इस तरह की समस्या सिर्फ मुस्लिमों में नहीं, अन्य समुदायों में भी है । मुस्लिम अभिभावक चाहते हैं कि उनकी बेटी मदरसा में जाकर ‘मदरसा शिक्षा’ ही प्राप्त करे । बहुत कम अभिभावक अपनी बेटी को स्कूल और बोर्डिङ भेजते हैं । जो स्कूल भेजते हैं, वह भी ५–७ क्लास के बाद बेटी की शादी करना चाहते हैं । अपवाद कुछ परिवारों ने अपनी बेटी को १० कक्षा तक अध्ययन करवाया है । इस तरह की समस्या विशेषतः ग्रामीण बस्ती में ज्यादा है । उच्च शिक्षा के लिए हो या रोजगार के लिए, कोई भी अभिभावक अपनी बहू–बेटी को घर से बाहर जाने के लिए अनुमति नहीं देते हैं । हां एकाध मुस्लिम महिला रोजगार में आवद्ध हुई हैं । विशेषतः शिक्षण पेशा में ऐसी महिला दिखने को मिलती है, लेकिन अपने घर के नजदीक तक ही वह सीमित रहती हंै ।
० इस तरह की समस्या समाधान के लिए क्या कर सकते है ?
– सही शिक्षा हर नागरिकों की पहुँच में होनी चाहिए । तब ही गलत संस्कारों का विरोध और सही संस्कारों का संरक्षण हो सकता है । इसीलिए तो मैंने कहा है कि सामाजिक सचेतना के लिए मैं प्राथमिकता देती हूं । समस्या देख कर ही मैंने यह बात कही है । कमजोर सामाजिक चेतना सिर्फ मुस्लिम में नहीं, अन्य समुदाय में भी है । उदाहरण के लिए ‘राम’ जाति वाले दलित समुदाय को ले सकते हैं । उन लोगों की अवस्था पहले की तुलना में कुछ सुधार हुई है । लेकिन दलितों में से भी डोम तथा मुसहर जाति की अवस्था और भी दयनीय है । डोम और मुसहर को दलितों में से भी ‘दलित’ कहा जाता है । इन लोगों को अब तक कोई अवसर नहीं मिला है । ऐसे तमाम समुदायों को विशेषतः प्राथमिकता के साथ रोजागार और शिक्षा में अवसर प्राप्त होना चाहिए ।