लुम्बिनी का सौदा:
पंकज दास
इस वर्ष१४ जुलाई को चीन की राजधानी बीजिंग में हुए एक शंकास्पद समझौते से नेपाल में बडी हलचल पैदा हो गई चीन सरकार की एक संस्था एशिया पैसिफिक एक्सचेंज एण्ड काँपरेशन फाउण्डेशन तथा चिनियाँ व्यक्ति ही प्रमुख रहा चीन स्थित संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन -यूनिको) के निवेश तथा प्रविधि पर्रवर्द्धन कार्यालय के बीच लुम्बिनी को विशेष विकास क्षेत्र -स्पेशल डेवलपमैंट जोन) बनाने के लिए ३०० करोड अमेरिकी डाँलर यानि २२२५ करोड रुपये के एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ समझौते का यह रकम नेपाल के वर्तमान बजट ३८५० करोडÞ रुपये का ५८.४० प्रतिशत है जिसमें परियोजना की तैयारी के लिए एक वर्षमें एक लाख यूरो खर्च करने की बात उल्लेख की गई है
युनिडो कार्यालय के प्रमुख हू यांगदोंग और फाउण्डेशन के प्रमुख उपाध्यक्ष जिआओ बुनान ने जब इस समझौते पर हस्ताक्षर किया तो चिनियाँ मीडिया में इसकी खासी चर्चा हर्इ चीन की सरकारी समाचार संस्था सिन्हुआ ने इस समझौते को काफी बढा चढा कर पेश किया था सिन्हुआ ने लिखा कि इस समझौते को पूरा करने के लिए नेपाल सरकार लुम्बिनी को विशेष क्षेत्र बनाने में सहयोग तथा परियोजना में शामिल होने के लिए अपनी पर्ूण्ा स्वीकृति दी है तथा इस परियोजना से जुडने के लिए दुनियाँ भर के कई संस्थाओं ने अपनी तीव्र इच्छा जाहिर की है
इस समझौते से पहले तो नेपाल में भी काफी उत्साह दिखाई दिया लेकिन जैसे जैसे इसकी सच्चाई सामने आती गई वैसे वैसे इस समझौते के पीछे छिपी चीन की बद्नियति और नेपाल में लुम्बिनी के जरिए अपने प्रभाव को और बढÞाने की बात साफ होने लगी लम्बी चुप्पी के बाद नेपाल सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने अपनी जुबान खोली तो इसकी सारी सच्चाई सामने आने लगी पिछले महीने जब माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड अचानक सिंगापुर व मलेशिया के भ्रमण पर गए तो यहाँ काफी अटकलें लगाई गई वापसी पर प्रचण्ड ने पत्रकारों को एक प्रमाण पत्र दिखाया जिसमें उन्हें एपर्ीइसी फाउण्डेशन का सह अध्यक्ष बताया गया था इस समय तक इस फाउण्डेशन का कोई भी अधिकारिक वेबसाइट नहीं था रहस्य में रही इस फाउण्डेशन ने रातों रात अपना वेबसाइट भी बना डाला इस वेबसाइट में दी गई जानकारियों में से कई जानकारियाँ फर्जी है इसमें दी गई ना तो पता ही सही है और ना ही टेलीफोन या फैक्स नम्बर
लुम्बिनी क्षेत्र में तीन सौ करोड अमेरिकी डाँलर निवेश करने की घोषणा करने वाली एशिया पैसिफिक एक्सचेंज एण्ड काँपरेशन फाउण्डेशन -एपर्ीइसी)संयुक्त राष्ट्र व नेपाल सरकार की वर्षों पुरानी साझा तैयारी को दरकिनार करते हुए नेपाल के इस सबसे प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटकीय नगरी के जरिए नेपाल में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रही है युनिडो के साथ द्विपक्षीय समझौता चोरी-छिपे किया गया एक खतरनाक समझौता है चीन की राजधानी बीजिंग में एपर्ीइसी के कार्यकारी उपाध्यक्ष जियावो बुनान व चीन स्थित युनिडो निर्देशक हु युवान के बीच लुम्बिनी विशेष विकास क्षेत्र संबंधी समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुआ नेपाल सरकार को औपचारिक जानकारी दिए बिना ही एपर्ीइसी ने लुम्बिनी विकास के नाम पर इतनी बडÞी रकम की परियोजना आगे बढÞाया है इस समझौते से चीन व उसके संरक्षण में रहे एपर्ीइसी पर संदेह होना लाजिमी है युएन का उद्योग मामला देखने वाले युनिडो द्वारा इस परियोजना से आबद्ध कराने से भी शंका और बढÞ गयी है क्योंकि युनिडो को लुम्बिनी के विकास से कोई लेना देना नहीं है और ना ही यह उसके सरोकार का विषय है
युनिडो ने अपने परियोजना विवरण में इसको प्रोजेक्ट नम्बर आई पी २०११००८ के नाम से उल्लेख किया है एक लाख यूरो खर्च कर लुम्बिनी क्षेत्र की संरचना डिजायन करने के लिए भी युनिडो ने एपर्ीइसी से समझौता किया है इस समझौते के अर्ंतर्गत पहले चरण में सडÞक, रेलवे, विमानस्थल, संचार व विद्युत सेवा का विकास किया जाएगा समझौते में एपर्ीइसी ने जगह-जगह पर नेपाल के पर्यटन मंत्रालय को रणनीतिक एवं विकास का साझेदार कहकर उल्लेख किया है युनिडो ने इस परियोजना के प्रति नेपाल सरकार के अत्यन्त ही सकारात्मक रहने की बात उल्लेख किया है इतनी बडÞी और इतने नाम वाली संस्था द्वारा सरकार का नाम जोडÞकर अतिमहत्वपर्ूण्ा संपदा में अपनी घुसपैठ बढÞाने की घोषणा करने के बावजूद सरकार खामोश होकर बैठी है असंबंधित संस्था के साथ समझौते होने से इसकी ओर आशंका होना स्वभाविक है युएन में नेपाल के सबसे बडेÞ अधिकारी कुलचन्द्र गौतम भी इस समझौते को शंका की निगाह से देखते हैं गौतम का कहना है कि सांस्कृतिक व संपदा क्षेत्र में युनिडो का कोई लेना देना नहीं है समझौते का पत्र पढÞने के बाद कुलचन्द्र गौतम युनिडो नामक संस्था के विश्वसनीयता पर सवाल खडÞा करते हैं युनिडो द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कई स्थान पर पर्यटन मन्त्रालय का भी नाम लिखा है लेकिन मन्त्रालय को इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं है
र् पर्यटन मन्त्रालय के सचिव गणेशराज जोशी कहते हैं, “हम खुद आर्श्चर्य में है कि पर्यटन मन्त्रालय का नाम इसमें कैसे उल्लेख किया गया है” ३०० करोडÞ डाँलर निवेश करने की एपर्ीइसी की अपारदर्शी गतिविधि एवं आमदानी के स्रोत के बारे में भी सरकार सशंकित है पर्यटन मन्त्रालय के सचिव जोशी इस बात की भी आर्श्चर्य व्यक्त करते हैं कि एपर्ीइसी और युनिडो के बीच हुए समझौते में केन्जो टांगो मास्टरप्लान के बारे में कहीं कोई जिक्र नहीं है
राष्ट्रसंघ के साथ धोखा
सन् १९७१ तक वर्मा से प्रतिनिधित्व करने वाले यूएन के महासचिव ऊ थान्त के पहल से लुम्बिनी में यूएन ने अपनी दिलचस्पी लेनी शुरु कर दी थी दस वर्षके कार्यकाल में बौद्ध धर्मावलम्बी रहे महासचिव थान्त ने लुम्बिनी के विकास के लिए १५ से भी अधिक देशों को समेटकर अंतर्रर्ाा्रीय स्तर की एक समिति का गठन किया था थान्त ने जापानी योजनाकार प्राध्यापक केन्जो टांगो को भेजकर मास्टर प्लान तक बनवाया था चार वर्षकी तैयारी के बाद यूएन को सौंपी गई मास्टरप्लान को बाद में नेपाल सरकार ने प्राप्त किया था उसके बाद से ही लुम्बिनी में आज तक इस मास्टरप्लान के तहत ही काम होता आ रहा है नेपाल के संस्कृति मन्त्रालय में सचिव रहे मोदराज डोटेल ने कहा कि केंजोटांगो मास्टरप्लान के विपरीत लुम्बिनी में कुछ भी नहीं करने दिया जाएगा लेकिन इस समझौते ने सरकारी अधिकारियों को भी झकझोर कर रख दिया है यूएन में थान्त की विदाई के बाद वहाँ किसी ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली लेकिन इस समय के यूएन महासचिव बान कि मून के आने के बाद परिस्थिति में फिर से बदलाव आया है
पर्ूव संस्कृति मंत्री मिनेन्द्र रिजाल ने इस समझौते पर चिंता व्यक्त की है अपने कार्यकाल में लुम्बिनी के विकास के लिए बान कि मुन से हर्ुइ बातचीत को याद करते हुए डा. रिजाल ने कहा कि मुन ने लुम्बिनी में सहयोग करने की इच्छा जताई थी जिससे सरकार काफी उत्साहित हर्ुइ थी लेकिन बाद में जिस तरह के समझैते का खुलासा हुआ उससे यह आशंका प्रबल रूप से बढÞ गयी है कि कहीं लुम्बिनी की परिकल्पना डैमेज ना हो जाए रिजाल बताते हैं कि लुम्बिनी के विषय पर यूएन, युनेस्को या राष्ट्रसंघीय विकास कोष ही कुछ कर सकता है यूनिडो की भूमिका औद्योगिक कारोबार पर ही केन्द्रित होनी चाहिए
समझौते के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह
विदेशी सहायता या निवेश के लिए ऐसे अन्तर्रर्ाा्रीय संधि-समझौता होने पर वित्त मन्त्रालय के वैदेशिक सहायता निर्देशिका राष्ट्रीय योजना आयोग के कार्यक्रम व बजट को आधार बनाकर स्वीकृति दी जाती है कानून मन्त्रालय द्वारा कानूनी प्रावधान स्पष्ट किया जाता है, आवश्यक पडÞने पर नयाँ कानून बनाया जाता है समझौते में लिखी जाने वाली भाषा, संबंधित संस्था तथा वह संस्था जिस देश में है, उस देश के बारे में विदेश मन्त्रालय से भी स्वीकृति लेनी पडÞती है इस समझौते का विषय चूँकि पर्यटन तथा संस्कृति मन्त्रालय से जुडÞा होता है इसलिए इन मन्त्रालयों की भी स्वीकृति लेनी आवश्यक है इन सबकी स्वीकृति मिलने के बाद मन्त्रिपरिषद से अंतिम निर्ण्र्ााकिया जाता है
लेकिन एपर्ीइसी फाउण्डेशन तथा यूनिडो के बीच लुम्बिनी पर हुए समझौते के बारे में नेपाल सरकार के किसी भी मन्त्रालय के अधिकारी को लिखित तो दूर मौखिक जानकारी भी नहीं दी गई थी इतना ही नहीं लुम्बिनी के विकास के लिए वहाँ एक लुम्बिनी विकास कोष की भी स्थापना की गई की है लेकिन कोषा के अधिकारी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं चिनियाँ सरकारी समाचार एजेन्सी सिन्हुआ ने अपने वेबसाइट में एब बार यह भी लिखा है कि फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष जिआओ सहित की टोली एक बार लुम्बिनी भ्रमण पर गई थी लेकिन सडÞक खराब होने की वजह से नेपाल सरकार ने इस दल को लुम्बिनी भ्रमण के लिए एक हेलीकाँप्टर उपलब्ध कराया था लेकिन जब इस बारे में पूछताछ की गई तो पता लगा कि यह खबर भी गलत है
लुम्बिनी को बौद्ध धर्मावलम्बियों का मक्का मदिना तथा वेटिकन सिटी बनाने के नाम पर समझौता करने वाले फाउण्डेशन ने लुम्बिनी में होटल, अंतर्रर्ाा्रीय विमानस्थल तथा पर्यटन का पर्ूवाधार निर्माण के लिए समझौते किए जाने के बाद इसकी चीन सरकार के तरफ से काफी प्रचार प्रसार किया गया
शंकास्पद पृष्ठभूमि
दो वर्षपर्ूव बीजिंग स्थित झोंगवाई जिंगु इभेष्टमेंट नामक चिनियाँ कंपनी लुम्बिनी के लिए करीब ८०० करोडÞ के विकास योजना संचालन करने का आकर्ष प्रस्ताव लेकर आयी थी इस कंपनी के प्रमुख रहे लीढेवीया १९८७-९१ तक नेपाल में चीन के राजदूत रह चुके हैं नेपाल सरकार ने कार्त्तिक ६ गते २०६६ को मन्त्रिपरिषद की बैठक से प्रस्ताव ग्रहण करते हुए लुम्बिनी के विकास निर्माण संबंध में नेपाल सरकार और लुम्बिनी विकास कोष को कोई भी वित्तीय भार या दायित्व दिए बिना कोष द्वारा प्रारम्भिक कार्य करने के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति देने का निर्ण्र्ााकिया था
इसके आधार पर तत्कालीन संस्कृति मन्त्री डा. मिनेन्द्र रिजाल ने १७ नवम्बर २००९ को इस चिनिया कम्पनी को लेटर आँफ इंटेन्सन दिया था लेकिन लुम्बिनी में दुनियाँ की सबसे बडÞी बुद्ध मर्ूर्ति, पार्क, पाँच सितारा होटल निर्माण, विद्युतीय सवारी संचालन तथा अनुसंधान केन्द्र व पुस्तकालय खोलने का प्रस्ताव करने वाली कंपनी इस समझौते के तीन चार महीनों के बाद ही लापता हो गई थी इसके नेपाल स्थित प्रतिनिधि विनोद बहादुर श्रेष्ठ ने भी इस कंपनी से अनभिज्ञता जताई थी इसके बाद तो संस्कृति मन्त्री रिजाल ने चिनियाँ कंपनी की स्वीकृति ही खारिज करवा दी
सूत्रों से मालूम चला है कि माओवादी के र्समर्थन में झलनाथ खनाल की सरकार बनने के बाद एक बार फिर से चीन की वही लापता कंपनी के अधिकारी ने संस्कृति मन्त्रालय में आकर दूसरा प्रस्ताव दिया था इस फर्जी कंपनी ने एक बार फिर से मन्त्रालय से पत्र लेकर लुम्बिनी के नाम पर चीन सहित दुनियाँ के कई देशों से रकम उठाया संस्कृति मन्त्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चीन में हाल ही में हुए समझौते के पीछे भी उसी लापता संस्था का ही हाथ होने की आशंका है नए समझौते में रकम संकलन का काम चैरिटी के जरिए करने की बात उल्लेख है १८ जुलाई को भारत से प्रकाशित द हिन्दू में लिखा है कि इस संस्था ने तीन सौ करोडÞ डाँलर का आधा रकम चीन व समुद्रपार देशों से उठा लिया है
खतरा में लुम्बिनी का अस्तित्व
लुम्बिनी में यूएन की शर्ताें के मुताबिक यदि उसके शतोर्ं के विपरीत लुम्बिनी में कोई काम हुआ तो यूएन की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता रोक दी जाएगी लुम्बिनी में यूएन को दरकिनार करने का मतलब है लुम्बिनी का अस्तित्व ही खतरे में पडÞ सकता है संस्कृति के क्षेत्र में अनुभव ही नहीं रही संस्था द्वारा लुम्बिनी जैसे विशेष महत्व के सांस्कृतिक क्षेत्र में परियोजना चलाने का समझौता करना खतरनाक है पर्यटन तथा विकास का पर्ूवाधार निर्माण के नाम पर लुम्बिनी को खेल का मैदान बनाया जाना इसके ऊपर रणनीतिक अतिक्रमण होने जैसा है
लुम्बिनी विकास के लिए मास्टरप्लान तैयार किए हुए २२ वर्षऔर लुम्बिनी विकास कोष गठन हुए २६ वर्षहोने के बाद भी इसके विकास में उल्लेख्य काम नहीं होने से लुम्बिनी की पहचान भी संकट में पडÞने की पूरी संभावना है लुम्बिनी के विकास के नाम पर फर्जी संगठनों द्वारा फर्जी समझौता करने से लुम्बिनी खतरे में पडÞ गया है यह महज संयोग नहीं है बल्कि चीन की एक सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा है तिब्बत के बौद्ध धर्मावम्बियों को यह दिखाना चाहती है कि वो बौद्ध धर्म पर इतनी बडÞी रकम खर्च कर रही है और दूसरा निशाना भारत पर भी साधना चाहती है दलाई लामा द्वारा उठाए गए धार्मिक मुद्दा पर आधारित राजनीति को कमजोर करने का प्रयास है
लुम्बिनी में विकास के नाम का हथियार चलाकर चीन अपने क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धी भारत को चिढÞाना चाहता है बीजिंग में नेपाल को रणनीतिक पडÞोसी बनाने का काम शुरु किया गया है चीन मामलों के एक विशेषज्ञ के मुताबिक नेपाल में राजसंस्था के अन्त के बाद अपना विश्वसनीय मित्र खो चुका चीन नेपाल में एक बडÞा दाँव चलने की फिराक में है जिससे वह एक तीर से कई निशान लगाना चाहता है नेपाल में माओवादी को अपने नजदीक लाने के प्रयास में रहा चीन नेपाल के भीतर माओवादी को मजबूत दिखाना चाहता है इसके लिए भी चीन, नेपाल में लुम्बिनी को हथियार बनाकर अपना नयाँ दाँव चल रहा है यही वजह है कि एपर्ीइसी फाउण्डेशन में उसने माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड और पर्ूव युवराज पारस दोनों को ही सह-अध्यक्ष बनाया है यह सब देखकर एक बात स्पष्ट है कि चीन नेपाल को भारत सहित अमेरिका व युरोपीय देशों के लिए अखाडा बनाना चाहता है नेपाल में धार्मिक महत्व को समझ चुका चीन इसी क्षेत्र को सफ्ट टार्गेट बनाकर अपनी दूरगामी राण्नीति की चाल चल रहा है
