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पूर्वराष्ट्रपति डा. यादव का प्रश्नः क्या तराई अलग ही देश है ?

क्षेत्रीयतावादी राजनीति से बाहर निकले के लिए मधेशवादी दलों से आग्रह

काठमांडू, ८ अगस्त । पूर्व राष्ट्रपति डा. रामवरण यादव ने मधेश और पहाड के नाम में होनेवाला क्षेत्रयतावादी राजनीति से बाहर निकलने के लिए राजनीतिक दलों से आग्रह किया है । वीपी कोइराला स्मृति प्रतिष्ठान द्वारा शुक्रबार काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधन करते हुए उन्होंने काठमांडू में रहनेवाले नेता, पत्रकार तथा बुद्धिजीवी को तराई–मधेश में जाने के लिए भी आग्रह किया । उनका कहना है कि तराई–मधेश में जाकर वहां के लोगों को अनुभूति दिलाना चाहिए है कि क्षेत्रीयतावादी राजनीति से किसी को भी लाभ होनेवाला नहीं है ।



मधेश केन्द्रीत राजनीतिक दलों को इंकित करते हुए पूर्वराष्ट्रपति डा. यादव ने कहा है कि मधेश के नाम में हो रहे राजनीति से वे लोग बाहर आना चाहिए । अपने ही पार्टी नेपाली कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी मधेश में जाकर पार्टी को पुनर्जीवन प्रदान करने के लिए उन्होंने आग्रह किया । पूर्वराष्ट्रपति डा. यादव ने कहा– ‘आज कोई भी नेता तराई नहीं जाते हैं, मैं खूद भी काठमांडू में ही सीमित हो गया हूँ । आज तराई को अलग किया गया है । क्या तराई अलग ही देश है ? आप को ही जवाफ देना है, नहीं तो क्यों कोई नेता तराई नहीं जाते हैं ? पत्रकार नहीं जाते है, लेखक नहीं जाते हैं ?’
पूर्वराष्ट्रपति को कहना है कि शीर्ष नेताओं को तराई में जाकर राष्ट्रीयता की विषय में जनता को आश्वस्त बनाना चाहिए । उनका मानना है कि वीपी कोइराला, कृष्णप्रसाद भट्टराई और गिरिजाप्रसाद कोइराला तराई में जाकर सभी से मिलते थे, लेकिन आज के कोई भी कांग्रेसी नेता तराई नहीं जाते हैं । उन्होंने आगे कहा– ‘वि.सं. २०५१ साल में चुनाव में पराजित होने के बाद मैं मेची गया था, उस समय आज की तरह पहाड और मधेश कहकर कोई भी विभेद नहीं होता था ।

जनकपुर में संस्कृति पढ़ने के लिए पहाडिया लोग आते थे, जनकपुर में होनेवाला मेला में पहाडिया लोग भी अधिक सहभागी होते थे ।’ उनका कहना है कि आज जातीयतावादी और क्षेत्रीयतावादी राजनीति के कारण वैसा माहौल नहीं है । उन्होंने आगे कहा– ‘आज नश्लवाद की बात हो रही है ।’ डा. यादव को मानना है कि सभी का राष्ट्रवाद एक ही है ।
पूर्वराष्ट्रपति डा. यादव ने कहा है कि मधेशी होकर भी उन्होंने राष्ट्रपति बनने का अवसर प्राप्त किया है । डा. यादव ने दावा कि राष्ट्रपति होने से पूर्व भी उन्हाेंंने कांग्रेस के भीतर बहुत कुछ अवसर प्राप्त किया है । उन्होंने आगे कहा– ‘मैं कांग्रेस के केन्द्रीय सदस्य होते हुए महामन्त्री तक पहुँच गया था । मैं हरदम जिम्मेवारी में ही रहा हूँ, शायद अन्य सहकर्मियों की तुलना में कुछ ज्यादा क्षमता होने के कारण ही ऐसा हुआ है ।’ लेकिन उन्होंने एक असन्तुष्टि भी व्यक्त किया । कहा कि आज की कांग्रेस नेतृत्व के कारण कभी–कभार कांग्रेस होने के कारण पश्चताप महसूस भी हो जाता है । गुटगत राजनीति की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा– ‘कभी–कभार तो सोचता हूं कि मैं क्यों कांग्रेस बन गया ?’

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