भूमिगत सीके राउत की जबर्दस्त खोजी, सरकार परेसान, हजारो कार्यकर्ता उतारने की तैयारी
जनकपुर, १६ सितम्बर | हिमालिनी प्रतिनिधि | हिन्दी फिल्म डान का एक एक डायलग ‘डान को पकडना मुस्किल ही नही, नामुमकिन है’ । यह डायलग का चर्चा है स्वतन्त्र मधेश गठबंधन के संयोजक डा. चन्द्रकान्त राउत आका सीके राउत के लिए है । पिछले कुछ महिनो से सिके राउत के कार्यकर्ता समाजिक संजाल पे लिखते आ रहे की असोज ३ जो की नेपाल मे संबिधान दिवस के रुप मे मनाया जाता है । उसी दिन राउत काला दिवस मनाने का उदघोष किए है । और पिछले महिने बाँके मे राउत के कार्यकरता राम मनोहर के हिरासत मे हत्या के बाद सीके राउत के कार्यकर्ताओ मे जुनुन का आयतन अधिक बढा है । और ३ गतेको काला दिवस मनाना तय सा लगता है ।
अभी प्रदेश २ के अस्थाई राजधानी जनकपुर मे यहाँ के प्रशासन मे खौप पैदा हुआ नजर आता है । आखिर स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन के संयोजक सिके है कहाँ ? सरकार ने पुलिस को चारो ओर खटा दिया है | हर जगह सादे पोशाक में सीके राउत की खोजी हो रही है | पिछले वर्ष सिरहा जिला के लहान मे स्वतन्त्र मधेश गठबंधन ने प्रशासन के चौकन्ने होने के बावजुद भी बलिदानी दिवस भव्यता के साथ मनाने मे सफल हुआ था । सुत्र से पता चला है कि काला दिवस मे महोत्तरी, धनुषा और सिरहा जिल्ले से राउत के कार्यकर्ता को जनकपुर आने का कार्यक्रम है । दश हजार से अधिक कार्यकर्ता उतारने की योजना है । एसे मे अभी नेपाली सेना के नेतृत्व नया सेनापती के जिम्मा है । और सेना की यह अभिव्यक्ति की देश की अखण्डता के उपर ठेस पहुँचाने बाली हरेक ताकत को नस्नाबुद करेंगे । तो देखना यह है की इस अभिव्यक्ति का कितना प्रभाव परता है । गौरतलव है की मधेश के हरेक जिल्ला एवं कसबो मे सिके का संगठन निर्माण हो चुका है । सामाजिक संजाल का सदुपयोग भी वे लोग चातुर्यपुर्ण तरिके से कर रहे है ।
दिलचस्प बात यह है कि इसी अवसर पर राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल भी असोज ३ को ब्लैकआउट करने का निर्णय कर चुका है । इन परिस्थितियों से यह भी पता चलता है कि संबिधान त्रुटिपुर्ण जरुर है जिससे स्वतन्त्र मधेश गठबंधन को एक आधार मिल गया है कि नेपाल मे ही रह कर मधेसियो का कल्याण सम्भव नही है ।
सीके की गतिबिधी मधेश मे बढ्ना और बिप्लव का हरकत पहाड मे तिब्रता लेना यही सिद्ध करता है की देश मे अभी “मुर्दा शान्ति” है । जो की देश को तबाह करने के लिए काफी है ।
अब पता नही सीके को प्रशासन गिरफ्तार कर पाता है या नही ? करता भी है तो क्या ? व्यक्ति को पकडने से मुद्दा का ब्यवस्थापन नही हो सकता । उनके कार्यकर्ताओ मे और उफान पैदा लेगा और स्वतन्त्र मधेश का आवाज बुलंद करने मे संगठन निर्माण के लिए ही फाइदा मन्द सिद्ध होगा । सरकार वूद्धिमानी से काम ले लोगों की यही आकांक्षा है |