Thu. Sep 19th, 2024

#गैंगरेप निर्भाया से निर्मला तक

काठमांडू | हरेक दिन अखबार के पन्नों पर हो या विद्युतिय माध्यम  में महिलाओं पर बलात्कार, हत्या, एसिड आक्रमण जैसी वारदात  और दहलीज के अन्दर हानेवाली तमाम लैगिक अत्याचार  हरकिसी भी नारी को त्रसित कर देती है । समाचारों से लोगों को डर लगने लगा है | बच्ची किसी अन्य कारण से भी अगर वक्त पर घर तक नहीं पहुचती है तो परिवार संत्रस्त हो जातें  हैं । अब नारी घर के अन्दर ही सिमित नहीं है । उसके सशक्तिकरण में इजाफा हुवा है । इसके साथसाथ नारियों पर होनेवाली लैंगिक हिसाएं भी फैलती जारही है । ऐसे वारदातों की संख्या में भी भारी वृद्धि होरही है । अधिक संख्याओ में घर के अन्दर की हिंसाओं को इज्जत और प्रतिष्ठा के नाम पर दबाकर रखाजाता है । अगर कहीं से ऐसी घटना के बारेमें बाहर समाज को पता चलता है तो दोष पीडिता पर ही लगाने का रिवाज हमारे यहां है ।



कुछ आशा जगी थी की  इसतरह की हिंसाओं से निजात पाने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण ही प्रभावकारी होगा, परन्तु ऐसा नही हुआ । जहांजहां महिलाओं की उपस्थिती रहती है वहां हिंसा की संभावना बनी रहती है । महिलाएं जिसकिसी भी हैसियत में हो खतरे से खाली नहीं है । उसे पुरुषों की अपेक्षा हरक्षण संकुचित और सतर्क रहना पडता है । इसीलिए यह प्रमाणित हो गया है कि लैंगिक हिंसा को अकेले नारी सशक्तिकरण से रोका नहीं जा सकता है । संभवतः सशिक्तकरण राजनीतिक इच्छाशक्ति से पाया जा सकता है परन्तु लैंगिक हिंसा से मुक्ति नहीं । इसकेलिए सामाजिक औेर सांस्कृतिक सचेतनता भी आवश्यक है ।

इसे अवश्य सुनिए

भारत  की राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई एक बलात्कार तथा हत्या की घटना थी, जो संचार माध्यम के त्वरित हस्तक्षेप के कारण प्रकाश में आयी। 30 दिसम्बर 2012 को उसका शव दिल्ली लाकर पुलिस की सुरक्षा में जला दिया गया।[2 इस घटना के विरोध में पूरे भारत में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए। उल्लेखनीय बात यह है कि नई दिल्ली में यौन अपराधों की दर अन्य मैट्रोपॉलिटन शहरों के मुकाबले सर्वाधिक है जहाँ प्रति 18 घण्टे पर लगभग एक बलात्कार होता है।  पुरे-दुनिया को झकझोरने वाले ‘निर्भया’ गैंगरेप (Nirbhaya Rape Case) के तीन गुनहगारों की मौत की सजा भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद इस कांड के भुक्तभोगी परिवार और उसके बलिया स्थित पैतृक गांव के लोगों ने खुशी का इजहार किया है. फैसले के बाद निर्भया की मां ने कहा कि उनका परिवार लगभग 6 वर्ष से संघर्ष कर न्याय की लड़ाई लड़ रहा था वः मिल गया |

अब हम नेपाल की बात करें तो निर्मला बलात्कार और हत्या प्रकरण ने पुरे नेपालियों को झकझोड़ कर रख दिया है |निर्मला बलात्कार और हत्याकांड के आसपास और भी कई इसीतरह की दिल दहला देनेवाली वारदातें लगातार घटित हो रही हैं । निर्मलाको लेकर तो न्याय के लिए स्वयं आमलोगों को सडक पर दबाव के लिए आना पड रहा है । निर्मला के माता पिता काठमांडू आकर प्रधानमन्त्री को गुहार लगाकर वापस चले गयें | उनकेलिए न्याय अभी पुलिस के कटघरे में कैद है | निर्मला के मामले में जनता की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्रहरी संयन्त्र पर उसके अन्दर के ही कुछ नाकाबील पुलिसकर्मियों के चलते पुरे देश में अविश्वास का माहौल पैदा हो गया है । कंचनपुर से काठमाण्डौ और सारे देश में लोगों में आशंका और आक्रोश बढ़ रहा है । जिसका सिधा असर पुलिस और सरकार पर भी पडा है । मतलब, भरोसे पर सवाल खडे हो गये हैं । यह नेपाली समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है ।

बिडम्बना तो यह कि अपने घर के चौखट के अन्दर भी नारी सुरक्षित नहीं है । और तो और मां के गर्भ में भी बद्नीयती की वह शिकार हो रही है । सडकों में नारे लगानेवाले कहते है— बलात्कारी को फंसी दो । उस भीड में अकेली नारियां नही होती हर उम्र के पुरुष भी चिल्लाते दिखाई देते हैं । अपराध करना, सजा देना और पाना बाहर की बात है अन्तरात्मा की नहीं । जब तक अन्तरात्मा शुद्ध नहीं होता यह सब चलता ही रहेगा । इन नारों के पिछे चलनेवाले भी उनके बेटे द्वारा किसी लडकी पर बद्सलुकी किए जाने पर क्या करेगें ? सोचने की बात है । कितने जुलुस में नारे लगानेवाले पुरुष अपने घर से बाहर तक रोजमर्रा में कितनी महिलाओं पर हिंसा थोपते हैं, जरा गौर से देखिए और सोचिए— तस्विर साफ हो जायेगा ।

बाबुराम पौडेल

 



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: