पाकिस्तान की नीति
पिछले दिनों पाकिस्तान ने भारत से लगने वाली अपनी पूर्वी सीमा से बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती हटाई है। इन्हें हटाकर उसने अपनी पश्चिमी सीमा पर तैनात किया है, जहां वजीरिस्तान और बलूचिस्तान में उसे कबायलियों से संघर्ष करना पड़ रहा है। कबायलियों में छुपे अल कायदा और तालिबानी तत्वों को काबू में करना उसकी अपनी अंदरूनी समस्या है। लेकिन भारत से लगी अपनी सीमा से सैनिकों की तैनाती कम करने का मतलब है कि वे इस मोर्चे पर अब कोई मनोवैज्ञानिक दबाव नहीं महसूस कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने औपचारिक स्तर पर यह बात मानी भी है कि उन्हें भारत की ओर से अपनी सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है। अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी तमाम दूसरे देशों के रक्षा अधिकारियों के सामने यह बात कह चुके हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की युवा विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने भी अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि वहां की विदेश नीति पर सेना के प्रभाव की बात जरूरत से ज्यादा बढ़ाकर कही जाती है। यानी सेना का इतना दखल नहीं है, जितना कहा जाता है। जबकि भारत में आम धारणा यही है कि पाकिस्तान की भारत के प्रति शत्रुता वहां की सेना द्वारा प्रायोजित है। पर अब पाकिस्तान अपने रुख में बदलाव लाता प्रतीत हो रहा है। फिलहाल फौज हटाने और भारत से कोई खतरा नहीं होने की बात कहने से पाकिस्तान की भारत नीति में आ रहे सकारात्मक बदलाव का पता चलता है। हमें इस बदलाव को आगे बढ़ाने में पाकिस्तान की पूरी मदद करनी चाहिए। यह अमन की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए एक शानदार अवसर की तरह है।
