मैं जब दूसरी बार आउंगी तो मैं नेपाली भाषा में ही काव्य पाठ करुंगी : निशानन्दनी गुप्ता
सन्दर्भ : नेपाल भारत साहित्यिक सम्मेलन 2018
हिमालिनी अंक सितम्बर २०१८ | तीन दिनों का जो साहित्य महोत्सव है, यह सराहनीय है । इसके द्वारा नेपाल और भारत के संबंध और प्रगाढ होंगे, मजबूत होंगे और साहित्यकार ही वह ताकत है, जो देश को बदल सकते हैं । हम भारत में जाकर जब नेपाल के बारे में लिखेंगे, जो भी नेपाल और भारत के बीच दूरियां है, वो और ज्यादा नजदीकियों में आएगी ।
यह महोत्सव तो मुझे अच्छा लगा ही, पर मुझे यहां नेपालबासी और भी अच्छे लगे । यहां के लोग बहुत ईमानदार हैं, जिन्होंने हम लोगों को स्वागत किया । मुझे लगता है कि स्वागत करने में नेपालवासियों से बढ़कर अन्य कोई नहीं हो सकता । मैं चाहूंगी कि प्रत्येक वर्ष इस तरह के महोत्सव हों । कभी भारत में हो और कभी नेपाल में हो, जिससे कि हमें आपस में मिलने का अवसर मिलता रहे ।
मैंने देखा की हमारे बीच में बहुत ज्यादा अन्तर नहीं है । हमारे वेषभूषा, खानपान, रहन–सहन, रीतिरिवाज सब बिल्कुल एक ही है । बस, भाषा में अन्तर है, लेकिन लिपि एक ही है । बस, थोड़ी सी भाषा में अन्तर है । मैं भी नेपाली सीखने का प्रयास कर रही हूं । जब मैं दूसरी बार आउंगी तो मैं नेपाली भाषा में बोलूंगी और नेपाली भाषा में ही अपना काव्य पाठ करुंगी ।
मैं पहली बार नेपाल आई हूं । वीरगंज के अलावा हमारी टीम हेटौडा भी गयी । वहां की प्रकृति बहुत अच्छी है । मुझे कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि हम लोग किसी अजनबी देश में आ गए । मुझे लगा कि हम अपने ही देश में एक शहर से दूसरे शहर में आए हैं । जब मैं एयरपोर्ट से उतर रही थी तो मुझे लगा कि अरे हम तो भारत में ही हैं । मुझे ऐसा लगता है तो क्यों हम लोग हमारे संबंध को और प्रगाढ नहीं बनाए ! नेपाल–भारत संबंध को इतना मजबूत करके चले कि अगर एक में आंच आए तो दूसरा खड़ा हो जाए, दूसरे पर आंच आए तो हम लोग खड़े हो जाएं, इसी विश्वास के साथ हमारे सम्बन्ध आगे बढ़ते रहें, मेरी यही कामना है ।