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अजब देश की गजब कहानी

व्यग्ंय

बिम्मी कालिंदी शर्मा

इस देश में पहले राणा शासन था, उसके बाद राजतंत्र आया, फिर उसके बाद प्रजातंत्र आया । अभी देश में लोकतंत्र है पर यह कथित लोकतंत्र भी जल्द ही घुटना टेकने वाला तंत्र में परिवर्तन हो जाएगा । क्यों कि उस आदमी नें घुटने टेक कर सिनेमा के ट्रेलर की तरह ईस का ट्रेलर दिखा दिया है । अबजब ट्रेलर ईतना बढिया हैं तो जरा सोचिए फिल्म और कितना अच्छा होगा? जब घुटना तंत्र या युग आएगा तब आंख और दिमाग की जरुरत ही नहीं पडेगी ।

यह अजब देश और गजब देश है । यहां की प्रकृति या आबोहवा ही गजब नहीं हैं यहां के लोग भी अजब ही हैं । जो बोलते हैं करते ठीक उसका उल्टा । हमारे देश के प्रधानमंत्री को ही लीजिए । जब वह प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने ईश्वर के नाम से पद का शपथ नहीं लिया । अपने साम्यवादी ईश्वर कार्ल मार्कस् और लेनिन को याद कर के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली । अब जब दो तिहाई बहुमत के प्रभाव से प्रधानमंत्री पद में अपनी वानर सेना के साथ रज गज कर रहे हैं । तब दशहरे में टीका लगा रहे हैं उसी ईश्वर यानी भगवती के नाम पर अपने चाटुकारों, हुक्म के गुलामो और हनुमानो को । है न यह देश अजब और गजब का । जहां कब क्या हो जाता है पशुपतिनाथको भी नहीं मालूम ।
एक तरफ प्रधानमंत्री टीका लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ इस देश की राष्ट्रपति बड़ा महारानी वाले भाव से अपने कथित भक्तो को ऐसे टीका लगा रही हैं जैसे कोई एहसान कर रही हों । श्री ५ ऐश्वर्य स्वर्ग सिधार गर्इं और श्री ५ कोमल बडा महारानी अपने पद से रिटायर हो गई । और बिल्ली के भाग से छींका टूट कर देश और जनता के दूर्भाग्य और इन के सौभाग्य से राष्ट्रपति बनी श्री ५ भण्डारी महारानी हमलोग के सिर पर और इस देश पर राज कर रहीं हैं । इन के लिए तो हींग लगे न फिटकरी रगं चोखा आए जैसा है ।
यह तो सब को मालूम ही है कि अब हमाम में तो सभी नगें ही होते हैं । अब जो नंगा है उस को काहे की और किस बात की शर्म ? और हमारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भी यही हाल है । उन के सामने कोई घुटने टेक कर टीका लगा रहा है और वह खुशी, खुशी महारानीवाले अंदाज में उस को टीका लगा कर जैसे उस को जीवनबख्श दे रही हैं । और टीका लगने वाले को भी इतनी शर्म या तमीज नहीं हैं की वह सीधा खड़ा हो कर टीका लगाए । इस देश में गणतंत्र आ चुका है शायद वह भूल गया । या उस ने राष्ट्रपति के चेहरे में बडा महारानी का भाव देखा होगा । जिस से बेचारा डर गया और उस ने घुटने दबा कर और हाथ फैला कर टीका लगाया ।
इस देश में पहले राणा शासन था, उसके बाद राजतंत्र आया, फिर उसके बाद प्रजातंत्र आया । अभी देश में लोकतंत्र है पर यह कथित लोकतंत्र भी जल्द ही घुटना टेकने वाला तंत्र में परिवर्तन हो जाएगा । क्यों कि उस आदमी नें घुटने टेक कर सिनेमा के ट्रेलर की तरह ईस का ट्रेलर दिखा दिया है । अबजब ट्रेलर ईतना बढिया हैं तो जरा सोचिए फिल्म और कितना अच्छा होगा? जब घुटना तंत्र या युग आएगा तब आंख और दिमाग की जरुरत ही नहीं पडेगी । तब आंख बंद करके घुटने टेक कर और हाथ फैला कर अपने आकाओं से मन की मुराद पूरी करने की भीख मांग लो । श्री महाराज की कृपा से और उन के शासनकाल में दो तिहाई की बलबूते पर यह घुटने टेकने का तंत्र जरुर आएगा । ईस का रिहर्सल शुरु हो चुका है । अब पांच साल के अदंर यह घुटनातंत्र सब के घर में घुस जाएगा ।
दशमी की लंबी छूट्टी में श्री महाराज ओवर टाईम कर रहे हैं । वह भी पूर्णिमा तक अपने सरकारी क्वार्टर बालुवाटार मे अपने हुक्म के गुलामों और वानर सेनाओं को टीका लगा कर । बेचारे को विदा के दिनों में भी फुर्सत नहीं हैं । ओवर टाईम कर, कर के देश को समृद्धि की तरफ अकेले ही जबरजस्ती धकेल रहे हैं । बेचारे को एक किडनी में ही देश का बोझ उठाना पड रहा है । अगर पीए के दो किडनी साथ में होते तो वह सारी दुनिया का ही बोझअपने कंधे पर उठा लेते । पर बेचारे लाचार हैं । इसी लिए सरकारी निवास पर ही बैठे बैठे ओवर टाईम कर रहे हैं । अब जो उन के पवित्र हाथों से टीका लगाने आएगा वह खाली हाथ तो नहीं आएगा । वह पीएम के लिए लिफाफे में नगदनारायण भी डाल कर ही उनको प्रणाम करेगा । अब यह दक्षीणा के रुप में आया नगदनारायण इतने ईमानदार पिएम अपने लिए देश के विकास में ही खर्च करेगें । इस से देश में समृद्धि भी तेजी से आएगी । है न पीएम का आईडिया कमाल का ? इसीलिए तो यह देश अजब और गजब का है ।

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