भ्यू टावर (व्यंग्य) : बिम्मी कालिंदी शर्मा
हिमालिनी, अंक डिसेम्वर 2018,व्यंग्य, बिम्मी कालिंदी शर्मा विदेशों से अयात हो कर देश में समृद्धि आ रही है । जब देश में समृद्धि आएगी तो पूरा देश इसकी चमक–दमक से रौशन होगा । तब इस को कहां से और कैसे देखेगें ? इसीलिए सरकार समृद्धि को जनता को दिखाने के लिए भ्यू टावर का निर्माण करने जा रही है । देश के सभी नागरिक इसी भ्यू टावर में चढ़ कर समृद्धि नाम की उस चिडि़या को देखेंगे जो सिर्फ नेता और मंत्रियों के छत पर ही फुदकेगी । जनता के घर में फुदकने के लिए उन के पास अपना घर भी तो होना चाहिए ? खैर घर बनाने के मौके देने से पहले सरकार अपन देशवासियों को ही बेघर कर के विदेश पलायन करवा देती है ।
अरवों रुपए के लागत से बनने वाला यह भ्यू टावर धरहरा जैसा ही होगा । जहां से सरकार झाँक कर देखेगी की समृद्धि कहां तक पहुंची है । नेपाल में मल्लासनकाल के दौरान एक महेन्द्र मल्ल नाम के राजा थे । जो हर सुबह उठ कर अपने महल की छत से प्रजा के घर में देखा करते थे कि किस की रसोई से धुंआँ आ रही है और किस के रसोई से नहीं । जब सभी के घरों की रसोई से खाना पकाने, आग जलाने से धुआँ उठती तो वह चैन से अपनी रसोई मे जा कर खाना खाते कि आज उन की प्रजा भूखी नहीं है । वह खुश हो जाते । वर्तमान में हमारे देश की सरकार और उस के पीएम भी राजा महेन्द्र मल्ल के ही नक्शे कदम पर चलना चाहती है । इसीलिए भ्यू टावर का निर्माण कर देश की अवाम को देखना और दिखाना चाहती है । इस सरकार को देश की अवाम भूखी है या उस का पेट भरा हुआ है इस से कोई मतलब नहीं है । सरकार को अच्छी तरह मालूम है कि इतनी महंगाई में सरकार के अलावा और किसी का भी पेट नहीं भर सकता । इसीलिए सरकार जनता का पेट या चूल्हा देखने की बजाय भ्यू टावर बना कर उस से समृद्धि को ओस की बूंद की तरह टपकते हुए देखना चाहती है । क्या पता समृद्धि की कुछ बूंदे सरकार के मुँह मे भी टपक जाए ।
प्रकृति का दिया हुआ सब से बडा प्राकृतिक भ्यू टावर सगरमाथा तो इस देश में है ही । पर उस में सभी लोग नहीं चढ़ सकते और चढ़ने में भी बहुत पैसा खर्च होता है । फिर सगरमाथा के शिखर से सिर्फ प्राकृतिक चीजें ही दिखाईं देंगी । पर दो तिहाई बहुुमत से बनी हुई सरकार को अपने शासनकाल में निर्माण किए गए चीजों को दिखानी है । सरकार के जुड़वा बच्चे विकास और प्रगति को पीएम की गोदी या उन के घर के आँगन में खेलते और बढ़ते हुए दिखाना है । इसीलिए भ्यू टावर का बनना जरुरी है । कुछ साल पहले पर्सा जिला के विकास के लिए पर्सा के सासंदो ने नगरकोट में बैठ कर मीटिंग किया था । नगरकोट के भ्यू टावर से अवश्य ही पर्सा जिले की हरि तन्नमहालत दिखाई दी होगी । अब उसी के तर्ज पर सारे देश के हालता का जायजा लेने और समृद्धि को देखने और दिखानें के लिए सरकार भ्यू टावर का निर्माण करने जा रही है । इस सरकार की सोच कितनी दूरदर्शी है न ?
भ्यू टावर के निर्माण से पहले सरकार बिजली के खंबे पर अपने विकास का जलवा दिखा रही है । नेपाल के पीएम केपीशर्मा ओली का झंडानुमा पोष्टर बिजली के खंबे पर टांग कर समृद्धि के आने की सूचना दे रही है । पीएमओली ने कहा भी है कि मेलम्ची बहुत जल्द देश की राजधानी की सड़कों पर दौडने लगेगा । २० साल से मेलम्ची अभी आ रही है, तभी आ रही है कह कर खूब आश्वासन बांटा गया । इस देश में आश्वासन ही तो है जो रेवड़ी की तरह मुफ्त में बटंती है । कभी मोनो रेल या मेट्रो रेल के आने का आश्वासन तो कभी ईलेक्ट्रिक बस के सड़कों पर कूदने का आश्वासन । यह आश्वासन बीमार आदमी के लिए स्लाईन पानी की तरह काम करता है । मरीज को लगता है कि स्लाईन पानी चढ़ने से उस के शरीर में ताकत आ रही है । उसी तरह उपरोक्त सभी वस्तुओं या सेवाओं का आश्वासन देश की अवाम को देने या बांटने से उन्हे लगने लगता है कि देश में सचमूच में समृद्धि आ रही है । पर इतनी मंहगाई में समृद्धि गरीब जनता के घर में आने से तो रही । उस का किराया ही इतना मंहगा होगा कि गरीब बेचारा समृद्धि को देख कर पहले ही हाथ जोड़ देगा ।
जो जरुरी चीजों का निर्माण करना है उस को रहने देते है पर गैर जरुरी चीजाें जैसे भ्यू टावर या धरहरा जिसका निर्माण न भी हो तो काम चल सकता है । पर सरकार इन चीजों को बनाने में ऐसे तवज्जो दे रही है जैसे यह आक्सिजन का प्लांट हो । यदि इस का निर्माण समय में नहीं होगा तो जैसे जनता की सांस ही रुक जाएगी । जितने पैसे में भ्यू टावर या धरहरा का निर्माण किया जाने वाला है उतने पैसे में देश में बडेÞ–बडेÞ उधोग स्थापित कर के गरीबी और बेरोजगारी को कम करने में मदद कर सकती है । पर नहीं सरकार वीजा और पासपोर्ट बनवाने का शुल्क निःशुल्क कर के देश की गरीबी और बेरोजगारी को विदेशों मे निर्यात कर अपने सर को मुसल के मार से बचवाना चाहती है । देश की जनसख्या जो दिन दूनी रात चौगूनी बढ़ रही है । उस को अपने फायदे के लिए भुनाते हुए देश की जनशक्ति को एक उत्पादन का लेवल लगा कर विदेशों में उन के श्रम को निर्यात कर उसी के रेमिट्यांस से सरकार अपना खजाना भर रही है । और उस का सदूपयोग हो रहा है भ्य ूटावर बनाने में ।
सरकार के सलाहकार इतने नेकदिल हैं कि वह तामझाम वाले चीजों के निर्माण में तरजीह देते हैं । जनता के स्वास्थ्य और शिक्षा से प्रत्यक्ष सरोकार रखने वाले काम या निर्माण को कोई तरजीह नहीं देते । सरकार को तो बस अपनी शानो शौकत दिखानी है और हल्ला करना हमने यह किया या हमनें वह किया । पर किया कुछ नहीं । पीएम ओली का पोष्टर बिजली के खंबे में चिपकाने के लिए नेपाली ८ करोड रुपएं खर्च हुए । कोई बात नहीं देश की अवाम अपने खून–पसीने की कमाई को इन के ऐसे ही सनक की भेंट चढ़ाने के लिए तैयार बैठी । भ्यू टावर की भी क्या जरुरत है ? जनता अपनी पीठ पर देश के नेता और मंत्रियों को चढ़ा कर कथित समृद्धि काभ् यू करा सकती है । मंहगी के मार से जनता की पीठ ऐसे ही झुक चुकी है । उसी के उपर भ्यूटावर बना कर पर्यटकों को उस में बिठा कर देश की गरीबी का भ्यू कराओ और मालामाल हो जाओ । आखिर समृद्धि गरीब जनता के खपरैल मकान में आने से तो रही । तो उसी जनता की पीठ पर सवार हो कर भ्यू करो और अपने घर आंगन को समृद्धि से लबालब भर दो । क्यों जनता के घर में पानी भरने के लिए भी एक टब नहीं है तो वह समृद्धि को कहां किस में भर–भर कर रखेगी ? इसी लिए देश के अवाम की पीठ तैयार है भ्यू टावर बनने के लिए । इसीलिए आईए और अपना सुदंर और सुकोमल पैर हमारी पीठ पर डाल कर समृद्धि का भ्यू कीजिए और इस का रसास्वादन कीजिए । देखिए तो समृद्धि दूर से कितनी सुंदर दिख रही है ।