राजा बिना की रानी : बिम्मी शर्मा
व्यंग्य
बिम्मी शर्मा
एक हिंदी गीत है “किसी दिन बनुगीं मैं राजा की रानी” । पर हमारे देश में बिना राजा के ही रानी धमाल मचा रही है । गणतंत्र की इस महारानी के लिए कभी १८ करोड की गाडी खरीदी जा रही है तो कभी डेढ अरब का हेलिकप्टर महारानी जी के सेवा के लिए खरीदी जा रही है । इस देश में की राजतंत्र था पर यह इतिहास नहीं हुआ है । उस कब्र में दफन हो चुके राजतंत्र का भूत इस महारानी जी के जिस्म मे सवार हो गया है । इसी लिए महारानी नित नयीं मागं कर रही है । गोया उन्हे लगता है की वह निर्वाचन से चुन कर नही बल्कि वंशवाद से रानी बन गई है इसी लिए यह उनका अधिकार है । बस एक उनको अपने सिर में ताज पहनना ही बांकी रह गया है । किसी दिन पीएम उनके सिर मे ताज पहनाने का यह शुभ कार्य भी समपन्न कर देंगे । आखिर में वह नव महारानी है जो चाहे मांग कर सकती है । राजतंत्र को नेस्तनाबुद कर के गणतंत्र लाए ही इस लिए थे कि हम नव महाराजा या महारानियों को अपने सिर पर बिठाएं और अपने खून पसीने की कमाई से सरकार को दिए हुए राजस्व का सदुपयोग इन के सेवा, टहल में खर्च हो । खुद पीएम का बिजली के हर खंबे पर अपना पोष्टर टांगने का सपना पूरा करने के लिए देश के राजकोष से ८ करोड रुपएं खर्च किए गए थे । अब राष्ट्रपत्नी अर्थात देश की इस नव महारानी के लिए करोडों रुपएं लुटाना कौन सी बडी बात है । इन के लिए तो खरबाें रुपएं भी न्यौछावर किए जा सकते हैं । उधर पूर्व राजा किसी महफिल में थोडा नाच लेते हैं तो देश की राजनीतिक गलियारे में भूकंप आने लगता है । जैसे कि भगवान शिव कोई ताडंव नृत्य कर रहे हो और कहीं प्रलय न आ जाए । उसी तरह सब डर गए हैं शाह के थोडा सा कमर मटकाने पर । अभी तो उन्होने सिर्फ कमर ही मटकाया है कहीं हाथ, पैर भी थिरकाने लगे और सिर भी हिलाने लगें तो क्या होगा इस देश की सत्ता का । शाह के सिर्फ कमर हिलाने से ही कमरेड बडबडाने लगे है कहीं उन्होने पूरा शरीर हिला दिया तो हमेशा के लिए कोमा में ही न चले जाएं ? ईस देश के नेता सिर्फ अपने को ही ईस देश का नागरिक समझते है शाह को नहीं इसी लिए उन के मूंडी हिलाते ही शोर होने लगता है । अकेले शाह ही गणतंत्र के लिए राज दरवार रुपी कब्रिस्तान के वह भूत है जिस के कब्रिस्तान से बाहर निकलने का खौफ गणतंत्र के प्रेतों को हमेशा सताता रहता है । अभी सिफ पूर्व राजा का भूत देख कर ईतना डरे हुए हैं कहीं पूरा राजतंत्र का कब्रिस्तान ही जग कर सिहं दरवार पर धावा बोल दिया तो यह गणतंत्र वादी कहीं मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेगें । १० वर्षीय जन युद्ध में जो करीब २० हजार इस देश के नागरिकों ने इन के सर्वहारा आंदोलन के नाम पर प्राण गवांया है उस अपराध का डर इन को इतना सताता है कि इस का सारा दोष शाह के सिर पर मढ देते है । अगर यही हाल रहा और गणतंत्र के नाम पर लूटतंत्र मचा रहा तो ब्रिटेन की तरह नेपाल में भीं राजतंत्र कि वापसी हो सकती है । राजतंत्र मे सिर्फ एक राजा, रानी और राजकुमार को पालना था । पर गणतंत्र के नाम पर निर्वाचन जीत सिहं दरवार के गलियारे में कावं, कावं कर रहे अनेक कौवो और गिद्धोें को राजा, महाराजा और महारानियों कि तरह पालना पड रहा है । फटे, पुराने चप्पल पहन कर चलने वाले और सिलबट्टे की थाल पर खाना खाने वाले नेता आज गणतंत्र के नाम पर आलिशान मकान पर रहते हैं चांदी की थाली पर खाना खाते है । सिंह दरवार की जाते हुए चप्पल तो कब पैर से फिसल गया पता हीं नहीं इन को । अब तो महंगी गाडी में महगें विदेशी जुत्ते पहन कर विदेश सैर करते है । यह नेता ईतने निर्लज्ज और नमक हराम हैं की राजधानी में घर होते हुए भी राज्य से घर भाडा का पैसा लेते हैं । और उपर से इतने भोले बन कर कहते हैं कि “हमे पता ही नहीं चलता सरकार कब हमारे बैंक खाते में घर भाडा का पैसा डाल देती है ।” वाह रे भोलापन देश का करोडों रुपए मकान भाडे के नाम पर मासुमियत से डकार जाते है । जब एक सासंद या मंत्री सरकार कि तरफ से विभिन्न शीर्षक पर मिलने वालें भत्ते की रकम पचा लेता है तो देश के सबसे बडे पद पर आसीन महारानी क्यों न अपने पावर का ईस्तेमाल कर के महंगी गाडी और हेलिकप्टर का अपने लिए मांग करे ? जब तक राष्ट्रपति के पद पर किसी कि पत्नी हो कर वह राज कर रही है । अब पति जिदां होता तो जरुर महाराजा कि तरह ऐश करता । अब पति नहीं है तो उन के तरफ से भी पत्नी पद के रुतबे का खुब फायदा उठा रही है । वो बिना ताज और बिना राजा की इस देश कि निर्वाचित महारानी है । आखिर में दो तिहाई बहुमत का साथ मिला है उनको तो क्यों न मौज करें ? जरुर और जबरदस्त तरीके से किजिए महारानी जी । हमारे खून पसीने की कमाई है ही आप की सभी ईच्छाओं को पूरा करने के लिए ।