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Continue to Chatनयन को घेर लेते घन, स्वयं में रह न पाता मन लहर से मूक अधरों पर व्यथा बनती मधुर सिहरन : नामवर सिंह https://www.himalini.com/80580/08/20/02/
नयन को घेर लेते घन, स्वयं में रह न पाता मन लहर से मूक अधरों पर व्यथा बनती मधुर सिहरन : नामवर सिंह https://www.himalini.com/80580/08/20/02/