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अतिथि देवो भवः नेपाल भ्रमण वर्ष २०२० : डॉ. श्वेता दीप्ति

डॉ. श्वेता दीप्ति, हिमालिनी  अंक  जनवरी 2020 |नेपाल वह सुरम्य राष्ट्र, जहाँ प्रकृति ने अपनी भरपूर छटा बिखेरी है । जहाँ का सौन्दर्य आपकी निगाहों को बाँधता है और बस उसे नजरों से दिल में उतार लेने को दिल करता है । अगर इस सौन्दर्य का सदुपयोग किया जाय तो विश्व पटल पर नेपाल एक सक्षम और स्वावलम्बी राष्ट्र बन सकता है । नेपाल वह राष्ट्र है जिसे विश्व के कई देशों से भरपूर सहायता मिलती रही है । परन्तु देखा जाय तो यह सहायता देश हित से अधिक व्यक्तिगत हित में चली जाती है । अगर उस सहयोग का सही तरीके से उपयोग किया जाय तो देश और देश के नागरिक सुखी और समृद्ध हो सकते है. । सही मायने में सुखी नेपाल और समृद्ध नेपाल का सपना साकार हो सकता है । पर अफसोस कि ऐसा होता नहीं है । जिसकी वजह से देश की युवा पीढ़ी पलायन कर रही है क्योंकि उनके समक्ष न रोजगार के संशाधन हैं न ही साधन हैं ।

हमें ज्ञात है कि २०२० को सरकार ने पर्यटन को ध्यान में रखते हुए भ्रमण वर्ष घोषित किया है । यह एक सराहनीय निर्णय है, किन्तु क्या यह पूर्ण तैयारी के साथ किया गया है ? यह महत्तवपूर्ण सवाल है । पर्यटन का क्षेत्र अत्यन्त प्रतिस्पद्र्धा का क्षेत्र है । यही पर्यटन देश की गरीबी को दूर करने में सहायक बनता है, विदेशी मुद्रा अर्जित करने का साधन बनता है और राष्ट्र को विश्व पटल पर पहचान दिलाता है ।

नेपाल विविध संस्कृतियों वाला सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक से परिपूर्ण देश है । जहाँ विश्व के पर्यटक आना चाहते हैं । उनके आकर्षण का केन्द्र विश्व सम्पदा सूची में शामिल अनुपम और अद्वितीय प्राकृतिक, सांस्कृतिक और मनोरञ्जनात्मक सम्पदा हैं जिन्हें वो नजदीक से देखना और महसूस करना चाहते हैं । पर पिछले समय का अनुभव बताता है कि पर्यटक जो देखना चाहते हैं वो यहाँ की अव्यवस्था और कमियों की वजह से देख नहीं पाते और एक असंतोष लेकर वापस जाते हैं । शायद यही वजह है कि इनके आने की जितनी सम्भावना होती है उस संख्या में इनका आना सम्भव नहीं हो पाता है ।

नेपाल के संविधान में पर्यटन–सम्बन्धी नीति निर्धारित किया गया है । । पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए उपयुक्त कानूनी प्रबन्ध तथा आवश्यक वातावरण निर्माण कर पर्यटन क्षेत्र का लाभ स्थानीय जनता के समक्ष पहुँचाने का लक्ष्य संविधान में आवधिक योजना तथा वार्षिक कार्यक्रम के द्वारा तय किया गया है । साथ ही पर्यटन विभाग भिजन द्दण्द्दण् और नेपाल राष्ट्रीय पर्यटन रणनीतिक योजना (सन् २०१६–२०२५) के साथ नेपाल को सुरक्षित, आकर्षक और सुन्दर पर्यटकीय गन्तव्य निर्माण बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है ।

नेपाल में पर्यटन की भरपूर सम्भावना है, बावजूद इसके जितनी अपेक्षा पर्यटकों के अगमन की होती है वह पूरा नहीं हो पाता है । एशिया के पर्यटन प्रतिस्पद्र्धा में नेपाल १०३ स्थान पर है जबकि भारत ४०, श्रीलंका ६४, भूटान ७८वें स्थान पर है । वहीं पाकिस्तान १२४ तथा बंगला देश १२५ वें स्थान पर है । निवेश की दृष्टिकोण से भी नेपाल का व्यवसायिक वातावरण भारत भूटान और श्रीलंका से पीछे है ।
इस स्थिति में सरकार द्वारा घोषित पर्यटन वर्ष कितना सफल हो पाएगा यह विचार का विषय है । क्योंकि जी.डी.पी.में नेपाल का प्रत्यक्ष योगदान २.६ प्रतिशत है जो विगत से कम है । इस अवस्था में यह कह सकते हैं कि नेपाल के अर्थतंत्र में पर्यटन का योगदान ना के बराबर है । अगर पड़ोसी राष्ट्र भारत को देखें तो वहाँ पर्यटन क्षेत्र ने जी.डी.पी.में ६.८८ प्रतिशत और रोजगार के क्षेत्र में १२ प्रतिशत योगदान पह्ँचाया है ।

गौरतलब है कि नेपाल भ्रमण अन्य देशों की अपेक्षा कम खर्चीला है, इसके बाद भी यहाँ पर्यटक कम दिन ही रहना पसन्द करते हैं । सम्भवतः इसलिए कि पर्यटकों को उम्मीद के अनुसार सुविधा उपलब्ध नहीं होती है, जबकि अगर नेपाल के पर्यटन का बाजारीकरण किया जाय तो यहाँ धनाढ्य पर्यटकों को आसानी से आकर्षित किया जा सकता है । साथ ही पर्यटकों की सुविधा और उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम ही उन्हें नेपाल भ्रमण के लिए आकर्षित कर सकता है । कोई भी पर्यटक एक खास अनुभव को प्राप्त करने के लिए ही किसी अन्य देश या जगहों का भ्रमण करता है । किन्तु नेपाल की अवस्था देखें तो पर्यटक स्थल की साज सज्जा, रख रखाव और उसकी व्यवस्था में काफी सुधार की अपेक्षा है । कई जगह खास हैं यहाँ पर किन्तु, वो या तो गौण हैं या वो पर्यटकों को लुभा नहीं पा रहे हैं । गंदगी और असुरक्षा पर्यटकों को स्वाभाविक रूप से नाख्श करता है । साथ ही सुरक्षित यातायात की कमी उन्हें यहाँ आने से रोकती है । पर्याप्त वायुसेवा भी हमारे पास नहीं है । एक ही अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हमारे पास है और वह भी पूर्ण आधुनिक अवस्था में नहीं है । निर्माणाधीन गौरुतमबुद्ध अन्तररुररुाष्टरुीय विमानस्रुथल सन् २०१९ तक मेरुं भी समाप्त नहीं होरु पाया हैरुरु। जिसकी वजह सेरु भी पर्यटन वर्ष की पूररुी सफलता असम्भव लग ररुहा हैरुरु। हमाररुेरु प्राचीन धररुोरुहररु की अवस्रुथा दयनीय हैरुरु। सडरुकोरुं की अवस्रुथा बेरुहाल हैरु, प्रदूषण अपनी चररुम सीमा पररु हैरु, जिसकी वजह सेरु पर्यटन वर्ष सेरु जोरु हमाररुी उम्मीदेरुं हैरुं उसकी पूर्णता मेरुं संदेरुह ही नजररु आता हैरुरु।  तमबुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल सन् २०१९ तक में भी समाप्त नहीं हो पाया है । जिसकी वजह से भी पर्यटन वर्ष की पूरी सफलता असम्भव लग रहा है । हमारे प्राचीन धरोहर की अवस्था दयनीय है । सड़कों की अवस्था बेहाल है, प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है, जिसकी वजह से पर्यटन वर्ष से जो हमारी उम्मीदें हैं उसकी पूर्णता में संदेह ही नजर आता है ।

विगत में हुए दो पर्यटन वर्ष में पर्यटकों की संख्या में कोई खास बढोत्तरी नहीं हुई है । पहले और दूसरे पर्यटन वर्ष में क्रमशः सन् १९९८ और २०११ में पर्यटक का आगमन वृद्धिदर क्रमशः १० और २२ प्रतिशत था । दोनों ही पर्यटन वर्ष में जितनी पर्यटकों के आगमन की उम्मीद थी वह पूरी नहीं हो पाई थी । पहले और दूसरे पर्यटन वर्ष में पर्यटकों की अपेक्षा क्रमशः ५ और १० लाख थी किन्तु पर्यटक आगमन क्रमशः मात्र ४६३६८४ और ७६३२१५ थी । पर्यटन वर्ष के बाद के वर्षों में पहले वर्ष की संख्या में पर्यटक अवश्य बढे लेकिन उसके बाद के वर्षों में पर्यटक आगमन वृद्धिदर ऋणात्मक ही रही । इससे यह सवाल जरुर पैदा हुआ कि क्या यह पर्यटन वर्ष सफल रहा या सिर्फ दिखावा ही रहा ? संख्या में बढोत्तरी नहीं होने का कारण क्या रहा इस पर विश्लेषण की आवश्यकता थी किन्तु ऐसा हुआ नहीं है । क्योंकि पर्यटन वर्ष घोषणा तो की जाती है परन्तु उसके लिए सरकारी तौर पर कोई तैयारी नहीं होती है । ऐसे में इसकी सफलता की उम्मीद ही बेमानी हो जाती है । सर्वेक्षण बताता है कि नेपाल में पर्यटकों की संख्या से अधिक यहाँ से नेपाली नागरिकों का पर्यटन के लिए बाहर जाना ज्यादा होता है । आंतरिक भ्रमण से अधिक विदेश भ्रमण में जाने वाले नेपालियों की संख्या अधिक है ।

गत आर्थिक वर्ष में पर्यटन से नेपाल को कुल रू.६७ अर्ब ९ करोड़ ४६ लाख आमदनी हुई थी वहीं नेपालियों के विदेश भ्रमण में कुल रू.७९ अर्ब ५९ करोड़ ६५ लाख खर्च हुआ था । यानि पर्यटन के हिस्से में नेपाल ने कुल रू.१५ अर्ब ५० करोड़ १९ लाख का घाटा उठाया ।
विदेश भ्रमण में खर्च होने वाले पैसे को नेपाल में ही कैसे रखा जाय इसकी आवश्यकता है । आज देश संघीय व्यवस्था में जा चुका है । इसलिए पर्यटन को स्थानीय स्तर पर भी विशेष रूप से साधन सम्पन्न बनाना आवश्यक है । पर्यटन क्षेत्र का आधुनिक स्तर से विकास करने पर ही इसमें सुधार हो सकता है और यह पर्यटकों को अपनी ओर खींच सकता है । ग्रामीण क्षेत्रों में होम स्टे को सुन्दर और सुविधा सम्पन्न बनाना आवश्यक है ।

आन्तरिक तथा बाहृय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन प्रवर्धन की ओर ध्यान देना होगा तथा नेपाल को खुद का आकर्षक ब्राण्ड निर्माण करना आवश्यक है । विश्वासी संचार माध्यम के द्वारा नए–नए जगहों का प्रचार प्रसार होने से ही बाह्य पर्यटक आकर्षित हो पाएँगे । पर्यटन के प्रबर्धन और विकास के लिए सरकारी, गैरसरकारी, निजी तथा साझेदारी का प्रयास आवश्यक है ।

सयुंक्त राष्ट्रसंघीय विश्व पर्यटन संगठन के सन् २०१८ के रिपोर्ट के अनुसार विश्व अर्थतन्त्र में १ हजार ३ सौ ४० बिलियन डॉलर पर्यटन क्षेत्र का योगदान है, जिसमें अमेरिकी डॉलर में २ सौ ९९ बिलियन डॉलर, स्पेन ९६ बिलियन डॉलर, फ्रान्स ८६ बिलियन डॉलर (यह रकम फ्रान्स के कुल गार्हस्थ्य उत्पादन का करीब ९.७ प्रतिशत है), थाइल्यान्ड ८१ बिलियन डॉलर आय पर्यटन क्षेत्र से प्राप्त कर अग्रस्थान में है । थाईल्यान्ड में सन् २०१७ में ३५ मिलियन पर्यटकों का आगमन हुआ था । जबकि प्रति पर्यटक खर्च का स्तर १ हजार ६ सौ २४ डॉलर था । चीन में सन् २०१७ में ३३ मिलियन पर्यटकों का आगमन हुआ था और प्रतिव्यक्ति खर्च ५ सौ ३६ डॉलर औसत था । पिछले समय में विकास में विश्व को अचम्भित करते हुए युएई ने सन २०१६ और १७ में १८.७ बिलियन डॉलर आय पर्यटन क्षेत्र से अर्जित किया था, जो उसके कुल गार्हस्थ्य उत्पादन का ५.२ प्रतिशत है । इस विश्वव्यापी तथ्य के द्वारा नेपाल के स्तर और अवस्था का विश्लेषण कर सकते हैं कि नेपाल का पर्यटन व्यवसाय किस अवस्था में है ।

नेपाल में सन् १९५१ से आधिकारिक रूप में विदेशी पर्यटकों का आगमन को अनुमति दी गई । सन् १९५५ से योजनागत रूप में पर्यटन विकास पर जोर दिया गया था । सन् १९७२ में पहली बार पर्यटन गुरुयोजना लागू किया गया था । वर्तमान में राष्ट्रीय पर्यटन रणनीतिक योजना सन् २०१६–२०२५ कार्यान्वन में है । नेपाल के संविधान में पर्यटन संस्कृति के विकास पर और उसकी प्राथमिकता पर विशेष ध्यान दिया गया है किन्तु यह सिर्फ दस्तावेज में सीमित नजर आता है क्योंकि सही और सार्थक कार्यान्वयन यथार्थ रूप से सामने नहीं दिखाई दे रहा है । २०१५ के भूकम्प ने नेपाल की आर्थिक दशा की नींव हिला दी थी । भूकम्प के पश्चात् विश्वस्तर पर सहयोग के हाथ भी बढ़े किन्तु उसका सही उपयोग नहीं हो पाया । भूकम्प के विनाश के बाद पर्यटकीय सम्पदा का पुनर्निर्माण, प्राचीन सम्पदा का संरक्षण, पर्यटन सुरक्षा और पर्यटन सेवा–सुविधा की गुणस्तरीयता, विश्वसनीय हवाई सेवा, पर्यटनमैत्री पुर्वाधार, पर्याप्त सूचना और पर्यटन गन्तव्यों का विविधीकरण करना नेपाली पर्यटन व्यवसाय विकास के लिए आवश्यक था पर जिस रूप में इस पर कार्य होना चाहिए था वह नहीं हो पाया है । आज भी देश की राजधानी अस्तव्यस्त है जहाँ अगर स्थानीय तौर पर कोई आयोजन होता है तो पूरी राजधानी में अफरातफरी का माहौल हो जाता है । ऐसे में इस अवस्था के मद्दे नजर इस पर्यटन वर्ष से कुछ खास उम्मीद नहीं की जा सकती है । हम सभी जानते हैं कि नेपाल में अगर किसी देश से सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं तो वह देश भारत है । पर हाल के समय में नेपाल में जो सीमा विवाद को लेकर सड़कों पर गो बैक इंडिया के नारे लगे और पुतले दहन किए गए, इन सबका असर भी इस पर्यटन वर्ष पर अवशय पड़ेगा । अगर इसे सफल करना है तो सरकार को एक निश्चित दिशा तय करनी होगी और जन–विश्वास का माहौल तैयार करना होगा ।

इतना ही नहीं भारतीय रुपयों पर जो पाबंदी है, उस पर भी पुनर्विचार की आवश्यकता है । एक आम धारणा यहाँ बनी हुई है कि भारतीय हजार और पाँच सौ के नोट इसलिए बंद किए गए क्योंकि भारत सरकार ने ही यह अनुरोध किया है । किन्तु सच्चाई इससे बिल्कुल परे है । भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भारत सरकार किसी भी भारतीय नागरिक को नेपाल अथवा भूटान की यात्रा के दौरान सौ, पाँच सौ और हजार के रुपए प्रयोग करने की अनुमति देती है जिसकी सीमा पचीस हजार तक है । किन्तु नेपाल में भारत के सिर्फ सौ के नोट चल रहे हैं । ऐसे में पर्यटकों को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा क्योंकि, सौ–सौ के कितने नोट लेकर वो यात्रा कर सकते हैं । भारत के ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक तीर्थयात्री बन कर आते है,ं जिनके पास एटीएम हो यह आवश्यक नहीं है, ऐसे में जाहिर तौर पर उन्हें मुश्किल होगी । अगर नेपाल सरकार के पास भारत सरकार द्वारा कोई सूचना इस विषय को लेकर है तो उसका सार्वजनिक होना और प्रचार होना आवश्यक है । क्योंकि भारतीय नागरिक अपनी जानकारी के अनुसार अगर पाँच सौ या हजार के रुपए लेकर आते हैं और यहाँ आकर वो उसे खर्च नहीं कर सकते तो समस्या उत्पन्न होती है । पर्यटन वर्ष को अगर सफल करना है तो इस दिशा में तत्काल ही सरकार की ओर से सही जानकारी वृहत स्तर पर सम्प्रेषित करने की आवश्यकता है ।

बावजूद इसके विविध समस्याओं के बाद भी नेपाल में विश्व पर्यटन का ०.१ प्रतिशत और दक्षिण एसिया का ५.७ प्रतिशत पर्यटकों का आगमन होता है । आमदनी के हिसाब से विश्व का ०.०३ प्रतिशत और दक्षिण एसिया का १.४ प्रतिशत हिस्सा नेपाल प्राप्त करता है । पर्यटन क्षेत्र से किस तरह लाभ लिया जाय इसके लिए राज्य प्रणाली का जागरुक होना जरूरी है । पूर्वाधार निर्माण और विकास पर्यटन मैत्री होना आवश्यक है । पर्यटकीय क्षेत्र का संरक्षण और नए गन्तव्य का पहचान करना और सभी के साथ सहकार्य की आवश्यकता है तभी यह पर्यटन वर्ष सार्थक और सफल हो सकता है ।



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1 thought on “अतिथि देवो भवः नेपाल भ्रमण वर्ष २०२० : डॉ. श्वेता दीप्ति

  1. नेपाल के लिए बहुत ही उम्दा जानकारी प्राप्त हुई है हार्दिक बधाई

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