मधेश आन्दोलन के पुरोधा स्व• गजेन्द्र नारायण सिंह को सादर नमन : गंगेश कुमार मिश्र
सादगी के प्रतिमूर्ति स्व• गजेन्द्र नारायण सिंह नेमधेश को स्वाभिमान के साथ जीने की जो
सादगी के प्रतिमूर्ति स्व• गजेन्द्र नारायण सिंह नेमधेश को स्वाभिमान के साथ जीने की जो
करतार; °°°°°°° कट्पट्-खट्, बाजै करतार; सपना बेच रही, सरकार; भएँ निकम्मा, सत्तासीन; देशवा छिन्नभिन्न, कै
दिन काला या नीयत काली; ” जो आग छुपी है, राख में; इक रोज़, धधकनी
कुर्सी का खेल … गंगेशकुमार मिश्र °°°°°°°°°°°°° छक कर खाई; रसमलाई; जब-जब कुर्सी; मिली है,
आज पश्चिम की राजनीति में, कोहराम मचा हुआ है, मधेश के शीर्षस्थ नेतागण ( माननीय
महात्मा …उनका कहना था, ” सच्चाई कभी नहीं हारती।“ अहिंसा को धर्म मानने वाले, सत्य
अासाढ ४ गते कपिलवस्तु गंगेश मिश्र नवलपरासी रामग्राम में, राष्ट्रीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित
गंगेश मिश्र माँ कब भूखी सो गई, पता कहाँ चलता है भला ? यही तो
राजनेता ! दलाल बन गए … °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° बात एक ही जगह पर, आकर अटक
गंगेश मिश्र यूँ ही अचानक से, मन में आया; आज हम ही बस्ता लेकर चलते
गंगेश मिश्र °°°°°°°°°°°°°°°° आख़िर, एक साथ आ ही गए; मधेश के रहनुमा; बधाई तो बनती
मन में लगन, इच्छाशक्ति और आगे बढ़ने की चाहत हो, तो किसी भी बाधा को
गंगेश मिश्र हठ से काम बनता नहीं, बिगड़ ही जाता है; सहमति के बिना; जब
गंगेश मिश्र क्या देते ? ऋषि- मुनियों पास देने को कुछ था नहीं, रावण को;
‘होनहार बिरवान के, होत चिकने पात’, बचपन से ही रचनात्मक सोच रखने वाले आलोक कुमार
गगेश मिश्र °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° नेता को, कुर्सी से प्यार है। जनता का, कुंठित अधिकार है। अब
जब, अनिश्चितता में हो, राजनीति ! … °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° गगेश मिश्र एक के बाद एक,
हिसाब, कौन देगा ? गंगेश मिश्र भीड़ थी, फ़िर भीड़ में, कैसे लगी, निशाने पे
गंगेश कुमार मिश्र, कपिलबस्तु ,२६ जनवरी | एक कहावत है, मधेश में …… ” काहे
कोढ़ पर खाज़ ” स्वराजी “…. °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° जातीयता की, दौड़ है, मज़िल है, ना, ठौर
गंगेशकुमार मिश्र , कपिलबस्तु, ३१ दिसिम्बर | ☆ काला धन समाज के लिए नासूर। ☆बेईमानों
ओली और एमाले देश को, विखण्डन की ओर ले जाने पर अमादा हैं; बन्द से
गंगेश मिश्र, मनुजता को तार-तार, कर रहा जो बार-बार, कुकृत्य कर रहा है जो, नहीं
गंगेश मिश्र यहाँ आम, जाम है, जाम, आम है। दिखता हर-पल; सुबह-शाम है। रुक-रुक कर,
गंगेश मिश्र पाँच नम्बर से चार नम्बर वाले, पहाड़ी जिलों को अलग करने का प्रस्ताव
ज़हर बुझे खंज़र .. गंगेश मिश्र भ्रम की खेती, करने वाले, गरम मसाले, एमाले। अति
गंगेश मिश्र ” शहीदों की क़ुर्बानी, यूँ ही व्यर्थ जा रही है, इस कदर
गंगेश कुमार मिश्र , कपिलबस्तु , १८ नवम्बर | संविधान संशोधन – सीमांकन और संघीय
एक बच्चा था .. गंगेश कुमार मिश्र , कपिलबस्तु , 29 कार्तिक | °°°°°°°°°°°°°° मासूम
गंगेश कुमार मिश्र, कपिलबस्तु, ४, नवम्बर | ओली की नादानी .. ★★★★★ पूर्ववत् ! चर्चा
गंगेशकुमार मिश्र , कपिलबस्तु ,17 कार्तिक | किसे चिन्ता है मुल्क़ की ? सत्ता पाने
गंगेश कुमार मिश्र, कपिलबस्तु, २८ अक्टूबर | संशोधित न हुआ विधान, इस ओर नहीं ?
गंगेश कुमार मिश्र , कपिलबस्तु ,२३ अक्तुबर | ☆अहंकार की बलिवेदी पर, सब कुछ क़ुर्बान
गंगेश कुमार मिश्र , कपिलबस्तु,२२ अक्टूबर | ” श्रीमान् गम्भीर नेपाली, प्रचण्ड प्रतापी भूपति ।।”
मनचलों की जीभ, लपलपाने लगी है … गंगेश मिश्र लालच की खेती, लहलहाने लगी है।
गंगेश मिश्र , कपिलबस्तु , २९ अगस्त | ” शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर
” ले लो शरण, हम तेरी शरण में ” .. °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° भटकत जग, भटकावत मन
कपिलबस्तु, १५ जुलाई | बस और कुछ ना चाहिए .. °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° समझा नहीं था, जब
क्यूँ घोलते मन में ज़हर गंगेश कुमार मिश्र है बात ये सम्मान की, पहचान की,
गंगेश मिश्र, कपिलबस्तु, 21, जून | भारत को आज़ादी के लिए, नब्बे साल इन्तज़ार करना
क्या आने वाले दिनों में, मधेश में ही अल्पसंख्यक हो जाएँगे मधेशी ? गंगेश मिश्र,
गंगेश कुमार मिश्र , कपिलबस्तु ,१३ जून | ” असीम ऊर्जावान नेतृत्व से परिपूर्ण माननीय
गंगेशकुमार मिश्र , कपिलबस्तु ८ जून | ” मूसलाधार वर्षा के बाद समस्त दिशाओं में
गंगेश मिश्र, कपिलबस्तु,६ जून | सपनों में आती, सपनें दिखाती, पथ से भटकाती, पथ-भ्रष्ट बनाती,
गंगेश मिश्र , कपिलबस्तु ,१६ मई | यूँ तो इस बार, यह आन्दोलन राजधानी केन्द्रित
गंगेश मिश्र , कपिलबस्तु, १२ मई | मधेश में एक कहावत है, ” केका कही
और ! बला टल गई…. °°°°°°°°°°°°°°°°°°° लगा के जैसे, गठबन्धन की गाँठ, खुल गई। नौ
” कुछ भी तो अब, सही नहीं है “……… “““““““●<>●“““““““` क्या नहीं था ? क्या
फ़िर से धरती होगी लाल……… गंगेश मिश्र ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ फ़िर उमड़ेगा, जनसैलाब; हक़ के ख़ातिर। फ़िर
भूकम्प और सरकार… अनिश्चितता, भूकम्प और सरकार, दोनों की, समानांतर कायम रही। आँसूओं की क़ीमत,
गंगेशकुमार मिश्र, कपिलबस्तु, ६ अप्रिल | नेपाल का गौरवपूर्ण इतिहास कहें या अभिशाप, यह देश
यही ओली ! सरकार है। अपनी कमी छुपाने को, राष्ट्रीयता का ढोंग रचाने को, बस
चलो पुरानी, संस्था पकड़ते हैं । गंगेश मिश्र ओली की मति,आन्दोलन की गतिदोनों मन्द हैं।धीरे
समझौतागंगेश मिश्र, कपिलवस्तु२२,फरवरीसमझौते होते रहे हैं,होते रहेंगे।जिन्हें बोने हैं काँटेबोते रहेंगे।फिर वही होगा,जो होता रहा
गंगेश मिश्र, कपिलवस्तुओली जी की बात,मोदी जी के साथ।क्या करेंगे बात लेकर ख़ूनी हाथ।दिल्ली पहुँचते
गगेंशकुमार मिश्र, कपिलवस्तु , ७ फरवरी | ” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी सन् 1857
गंगेशकुमार मिश्र, कपिलबस्तु, 21 जनवरी । मधेशियों को चिढ़ाने की क़ीमत, देश को अपने विखण्डन
गंगेशकुमार मिश्र, कपिलवस्तु , १९ जनवरी | ★ मधेशियों की हक़ की लड़ाई, अभी जारी
गंगेशकुमार मिश्र , कपिलबस्तु, १२ जनवरी | ” कलुषित मानसिकता के वशीभूत, नेपाली सत्ता के
गंगेश मिश्र, कपिलबस्तु , ७ जनवरी | ” श्रद्धान्जली….अछैबर दादा परलोक सिधार गए। ” °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
गंगेश मिश्र, कपिलबस्तु, ३१ दिसम्बर २०१५ | मधेश आन्दोलन ही, नेपाल का वह आन्दोलन है,
कौन जाने किस घड़ी, वक़्त का बदले मिजाज़ गंगेश कुमार मिश्रा, कपिलवस्तु ★ क्या ओली
गंगेश मिश्र :जैसे भीड़ की भगदड़ में, बच्चे, बूढ़े दब कर रह जाते हैं ।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° ” हटने होइन डटि लड़ने, नेपालीको बानी हुन्छ।” ” हटे नहीं, डटे रहे; क़त्ल-ए-आम