मिथिला और देवघाट नेपाल भारत सम्बन्ध की अटूट कड़ी : डॉ. श्वेता दीप्ति
“अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वारावती चैप सप्तैता मोक्षदायिकाः ।।” गरुड़ पुराण के अनुसार
“अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वारावती चैप सप्तैता मोक्षदायिकाः ।।” गरुड़ पुराण के अनुसार
साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः हिमालिनी, अंक डिसेम्वर 2018, (सम्पादकीय ) भर्तृहरि नीतिशतक में कहा गया है
माँ कहती थीं तुम मेरी साेन चिरैया हाे किसी देश में एक राजा था अाैर
हिमालिनी, अंक नोभेम्बर 2018, (सम्पादकीय ) हिन्दू धर्म या यूँ कहूँ कि सनातन हिन्दू धर्म
डा. श्वेता दीप्ति, हिमालिनी अंक (नवम्बर २०१८) में प्रकाशित आलेख हिन्दू धर्म सनातन धर्म है, जो
डा श्वेता दीप्ति सुख समृद्धि अाैर एेश्वर्य की शुभेच्छा के साथ दीपाेत्सव के शुभअवसर पर
हिरासत में लेना या दमन की राजनीति अपनाना समस्या के समाधान का विकल्प नहीं है
सत्ता के सात महीनें कितनी सफल ! दो तिहाई बहुमत की शक्तिशाली सरकार, जिसने अपनी
डा श्वेता दीप्ति हम सभी जानते हैं कि दुर्गा की प्रतिमा तब तक पूरी नहीं
बिमस्टेक की सार्थकता ? Bimstec-ktm हिमालिनी, अंक सितंबर,२०१८ | बहुक्षेत्रीय प्रौद्योगिकीय एवं आर्थिक सहयोग के
नीति और नीयत पर सवाल हिमालिनी, अंक सितंबर,२०१८, सम्पादकीय प्रहरी हिरासत में राममनोहर यादव की
श्वेता दीप्ति, काठमांडू, २० सितम्बर २०१८ | तीन वर्ष पुराना संविधान अपना जन्मोत्सव मना चुका
जाे दस्तक पडी है दरवाजे पर तेरे देखाे, सुनाे अाैर जागाे । काफी है
विश्व का उत्कृष्ट संविधान एक ओर हर्ष तो दूसरी ओर विषाद | मधेशी नेता बहे
ज्ञान की, सम्मान की, प्यार की, मनुहार की, भाषा है ये दिल की, हम सबके
इसी विरोध का परिणाम राममनोहर यादव को अपनी जान गँवा कर देनी पड़ी । जिसका
काठमांडू, भद्र २२ २०१८ | राष्ट्रपति भवन में तीज, जितिया व्रत शुभकामना आदान प्रदान कार्यक्रम
काठमाडौँ– नेपाल–भारत की सीमा खुली रखनी है या बंद इस विषय पर जोर शोर
संवेदनहीनता की पराकाष्ठा बेटियों को ही नहीं अपने बेटों को यह शिक्षा देनी होगी कि
सम्पादकीय, हिमालिनी अंक अगस्त २०१८ | सदियों लगा हमें आदिम आदिवासी जीवन को त्याग कर
मंहगाई और टैक्स के भार से कराहती जनता की आँखों के आँसू और सूखे होंठ
मध्य से दक्षिण एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव जो पाकिस्तान से लेकर म्याँमार तक
प्रधानमंत्री की सोच सराहनीय परन्तु समयानुकूल नहीं सम्पादकीय, हिमालिनी, अंक जुलाई २०१८ | मानसून की
स्टीफेनी ए.आइसेनटैट और लुंडी बैक्राफ्ट के अनुसार ‘घरेलू प्रताड़ना या उत्पीड़न दांपत्य संबंधों में पति
सम्पादकीय,हिमालिनी अंक जून 2018 । आदिगुरु श्री शंकराचार्य जी का मत है कि “अप्राप्त वस्तु
काठमांडू, हिमालिनी जून अंक | योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण
नागरिक अभिनन्दन के दौरान उनके सम्बोधन ने बड़ी गहराई से नेपाल और भारत के रिश्तों के
ठंडे पड़े रिश्तों में गर्माहट के आसार सम्पादकीय, हिमालिनी, मई अंक 2018 । भारतीय
श्वेता दीप्ति, काठमांडू | विगत चुनाव के बाद जनता ने नए–नए संघीयता का स्वागत किया
कवि हृदय बसन्त चौधरी ! जिन्हें जितना मैंने जाना, व्यापारी व्यक्तित्व में एक मासूम दिल,
जीवन का एक कटु सत्य और हमारी खामोशी । एक दिन जब हमारे हाथों से सब
हिमालिनी, अप्रैल 2018 अंक । इस वर्ष विश्व हिन्दी दिवस पर भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित
रिश्तों पर पड़ी धूल हटने की उम्मीद हिमालिनी, सम्पादकीय , अप्रैल अंक २०१८ | राजनीतिक
हिमालिनी , अप्रिल अंक २०१८ | ‘वसंत’! नाम का असर कुछ ऐसा कि, चेहरे पर
तकरार चाहे जितने भी हो जाय वास्तविक सच्चाई यही है कि, दोनों देशों के रिश्तों
काठमान्डू ४ अप्रील | एक भव्य समारोह में कवि बसन्त चौधरी की कृति वसन्त का
जब भी कोई नारी पुरुषों की ज्यादती की शिकार हुई है, तो पहला सवाल नारी
डा.श्वेता दीप्ति, काठमांडू | नेपाल यात्रा में आईं हुई कात्यायनी जी से मिलने का सुअवसर
हमेशा संघीयता का विरोध किया, जो यह कहता आया है कि संविधान का संशोधन देश
हिन्दी साहित्य के एक– एक रत्न साथ छोड़ रहे हैं और दे जा रहे हैं
कानूनी रूप से विवाह कर के जो महिला आती हैं वो अपनी पहचान छोड़ कर
नेपाल भारत के संबंध में आए तनाव की बात है तो इसकी एक वजह मधेश
पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार और वर्चस्व की भावना, कभी–कभी गम्भीर परिस्थितियाँ और परिणाम को जन्म
वामगठबन्धन की बैचेनी अब भी शांत नहीं हो पा रही है और वो रोज निर्वाचन
काठमांडू | राजनीतिक अस्थिरता के बीच ही हमने २०१८ का सफर शुरु कर दिया है
डॉ. श्वेता दीप्ति, काठमांडू | तराई की समतल भूमि जनक नन्दिनी सीता की जन्म स्थली
माना कि चाहतों का दिया तुमने सिला नहीं कोई गम नहीं है मुझको जो तू
( देश की जनता स्थायित्व खोज रही है, सम्पादकीय- दिसम्बर २०१७ ) जनता के बीच
सवाल मुँह बाए खड़ा है कि क्या संविधान संशोधन होगा ? क्या पहचान और अधिकार
भाषा और संस्कृति जैसे संवेदनशील मुद्दे को धैर्य और बुद्धिमता के साथ सुलझाना आवश्यक है
बन्दूक और बारुद के भय को तो नेपाल की जनता ने बहुत सालों तक झेला
डा. श्वेता दीप्ति | क्या आज की राजनीति सिर्फ रणनीति का खेल रह गई है
श्वेता दीप्ति, काठमांडू | इस देश में विकास, रोजगार, बिगडती शिक्षा व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, पिछडती उद्योग
आज नेपालरुपी समुन्द्र में चुनावरूपी मन्थन जारी है । सभी जनता की वोटरूपी अमृत का
श्वेता दीप्ति, हिमालिनी, अक्टूबर अंक । संसद विघटित हो चुका है और भूतपूर्व साँसद एक
अभिनय कला क्या निकृष्ट कला है जिसके लिए इतनी वितृष्णा से लेखक ने उल्लेख किया
डा.श्वेता दीप्ति, काठमांडू | चुनावी रणभूमि में सबकी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है धनुषा
श्वेता दीप्ति, काठमांडू | स्थानीय चुनाव के बाद देश केन्द्रीय चुनाव की ओर अग्रसर है
अब सबसे बड़ा सवाल मधेशवादी दलों का है । आगे भी वो अपनी गलतियों पर
घायल मधेश ने एमाले अध्यक्ष ओली को आइना तो दिखा ही दिया मधेशवादी दलों को
एमाले ने राष्ट्रवाद के नाम पर जो जख्म मधेश को दिया है वो मधेश भूला
डा.श्वेता दीप्ति, काठमांडू | मत भूलें कि अगर सचमुच हम लोकतंत्र में साँसें ले रहे
डॉ.श्वेता दीप्ति, काठमांडू, ८ सेप्टेम्बर | हमें भेजा है दुनिया में, निशानी छोड़ जानी है,
पहाड़ का दर्द भी अलग नहीं है |(सम्पादकीय ) हिमालिनी, अगस्त अंक | प्रकृति