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Day: May 15, 2014

कविताएं

अपने हाथ में कुछ भी नहीं है वीरेन्द्र प्रसाद मिश्र ऐसा सोचते हैं सब कुछ

किस्मत

गणेशकुमार लाल: उसने बहुत कोशिश की अपने भाग्य को बदलने के लिए । बलराम एक