प्रेम और प्रकृति के कवि बसन्त चौधरी : डॉ. श्वेता दीप्ति
‘यकीं है ये, मेरा दावा नहीं, कि दुनिया में कोई तुमसा नहीं’ तुम आज भी
‘यकीं है ये, मेरा दावा नहीं, कि दुनिया में कोई तुमसा नहीं’ तुम आज भी
नेपाल की एकमात्र आवश्यकता है विकास और इसके लिए इसे हर दिशा से प्रयास करना
आधुनिक हिन्दी साहित्य जगत का चिरपरिचित नाम माननीय केदारनाथ सिंहजी के सम्मान मायोजित कार्यक्रम में