Mon. Dec 4th, 2023

गजल

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं : निदा फाजली

निदा फ़ाज़ली उर्दू-हिन्दी के अज़ीम शायर हैं साथ ही उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए भी

लाऊँ कहाँ से अहले सुखन में मताऐ फन बिखरा हुआ अदब है शिकसता ख्याल है :अन्सार नेपाली

बाँकें/ नेपालगंज पवन जायसवाल गुल्जार–ए– अदब में अन्सार नेपाली द्वारा प्रस्तुत किया गया गजल ।

उस आईने की आज भी दुनियाँ में कद्र है, जिस आईने में आप का अक्शों जमाल है : अब्दुल लतीफ शौक

बाँके/ नेपालगंज पवन जायसवाल गुल्जार–ए– अदब नेपालगन्ज के अध्यक्ष हाजी अब्दुल लतीफ शौक द्वारा प्रस्तुत

सीने में आपके दिले हस्सास है ,अगर अहसान ये जिन्दगी की दरखशाँ मिसाल है : अहसान कुरैशी

बाँके / नेपालगंज पवन जायसवाल गुल्जार–ए–अदब के सचिव मोहम्मद मुस्तफा अहसान कुरैशी द्वारा प्रस्तुत  गजल

जमीं पे रह के वो देखेगा आसमाँ कैसे, हमेशा गरदिश–ए–दौरा का जो शिकार रहे : शारिक रब्बानी

गजल कार्यक्रम में  अन्जुमन शाहकार–ए–उर्दू उत्तर प्रदेश भारत के अध्यक्ष शारिक रब्बानी द्वारा पढा गया

कभी जिहन में, तो कभी ख्यालों में, जागती आँखों का वो ख्वाब लगे है : विनोद निराश

ग़ज़ल दास्तां-ए-ज़िंदगी, किताब लगे है , फुरकत-ए-यार इक अजाब लगे है।फलक पे धुँधली सी तस्वीर