ममता शर्मा की आगामी कृति “बारिश …उम्मीदों की” का राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा अनुदान हेतु चयन
कवयित्री ममता शर्मा”अंचल” की प्रस्तुत पांडुलिपि ” “बारिश …उम्मीदों की” का राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर
कवयित्री ममता शर्मा”अंचल” की प्रस्तुत पांडुलिपि ” “बारिश …उम्मीदों की” का राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर
विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली संसार की तीसरी भाषा है।भारत
*अंग्रेजी गुड़क रही अब नीचे* : *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भारत से अंग्रेजों को विदा हुए
अलसस्य कुतो विद्या,अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रं,अमित्रस्य कुतः सुखम् –योगवासिष्ठ आओ नए वर्ष में
आधारशिला काॅलेज ऑव प्रोफेशनल कोर्सेस द्वारा प्रख्यात आलोचक करुणाशंकर उपाध्याय के सद्य: प्रकाशित ग्रंथ जयशंकर
नये साल का “नववधु” की तरह तुम हृदय से स्वागत करना। नवसंकल्प के साथ बुलंद
श्रद्धांजलि अलविदा हीराबेन! डॉ श्रीगोपालनारसन बहुत बोझ होता है उस अर्थी में जो मां की
मंगल हो नववर्ष मिटे सभी की दूरियाँ, रहे न अब तकरार। नया साल जोड़े रहे,
काश बचपन लौट आए…. … करूणा झा….. चलो फिर से बच्चे हो जाएं,
इसे भी क्लिक करें सन्तोष मेहता, (गजेंद्र न.सिंह प्रतिष्ठान) । मातृ भाषा और सम्पर्क भाषा
खजुरा/(बाँके) पवन जायसवाल ।बाँके जिला के खजुरा में विश्व नेपाली साहित्य महासंघ बाँके शाखा ने
भले ही वर्तमान में प्रेम के मायने बदल गए हैं, इसकी परिभाषा बदल गई है
मुंबई विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय ने अपना सद्य: प्रकाशित ग्रंथ जयशंकर प्रसाद महानता
मुरली मनोहर तिवारी (सीपू), बीरगंज । भिखारी ठाकुर (18 दिसम्बर, 1887, 1285 साल पौष मास
मुरली मनोहर तिवारी (सीपू), बीरगंज, 15 सितम्बर । जब देश के लोग किसी एक राजनैतिक
मृगतृष्णा एक स्नेह पिपासु, भटकता रहा, स्नेह पाने इधर-उधर । कभी जंगलाें में गिरे सूखे-
नुक्कड़ नाटक प्रियांशी ——————- पात्र- 0 सुनिए सुनिए सुनिए पात्र- 1 आए हैं हम सब
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर ।संवेदनात्मक ज्ञान और ज्ञानात्मक संवेदना के लोकधर्मी कवि और फ़ासीवाद विरोधी
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर । रविवार को जनकपुरधाम मेंउपेन्द्र दास द्वारा लिखित मधुकर बाबा मगही
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर । मिथिला पेंटिंग की सिद्धहस्त कलाकार मिथिलेश्वरी देवी कर्ण को कर्ण
क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी विभाग चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के सहयोग से तीन दिवसीय मेरठ
काठमांडू, 28 नोवेम्बर। भारतीय राजदूत श्री नवीन कुमार श्रीवास्तव ने नेपाल हस्तकला महासंघ के अध्यक्ष
नेपालगन्ज /(बाँके) पवन जायसवाल ।बाँके जिला के नेपालगन्ज में प्रगतिशील लेखक संघ बाँके शाखा ने
काठमान्डू मंसिर 10 काठमांडू के थापागांव में मंडला थियेटर ने शुक्रवार को प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री
नेपालगन्ज/(बाँके) पवन जायसवाल ।बाँके जिला में रहा कल्पना फाउन्डेसन नेपाल खजुरा के आयोजन में चर्चित
१९ नवम्बर २०२२ हिन्दी केन्द्रीय विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्राडा सूर्यनाथ गोप का दिल्ली
वर्तमान हिंदी आलोचना के अमिताभ बच्चन हैं प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय। ये जहां खड़े होते हैं
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर । संकल्पधर्मा चेतना के रक्तप्लावित स्वर, अंधेरे में रोशनी के पर्याय
अम्बरीश कुमार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद। हिंदी साहित्य में शुक्ल जी के बाद आलोचना विधा आरोप
बूँद – बूँद बहुत सम्हालकर रखा था मैंने, मेरे इस अनमाेल रतन काे, मेरे इस
वॉशिंगटन@ पत्रिका ने खबर दी है कि अमेरिका में अंग्रेजी के बाद सबसे लोकप्रिय भाषा
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर . जनसंस्कृति मंच, दरभंगा द्वारा शोषित-पीड़ित आम अवाम की मुखर आवाज
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक*गुजरात के स्कूलों में 5 जी की तकनीक के बारे में बोलते हुए
खिड़की आज भी दाैड़ते हुए वहीं, उसी खिड़की पर, जा रूकी थी, एक जिज्ञासा के
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर । युवा साहित्यकार सुजीत कुमार झा ने किशोरी के लिए मैथिली
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक*इधर भोपाल में गृहमंत्री अमित शाह ने मेडिकल की तीन हिंदी किताबों का
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक*केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु के क्रमशः मुख्यमंत्री, मंत्री और नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र
बापू अचानक थाने आये। उनको पकड़कर लाया नहीं गया था, वे खुद आये थे।
कविता-दरिद्रता : दस प्रकरण कवि-विनोदविक्रम केसी १. मेरी मां का एक छोटा सा नाम सिसकारी
राजेश झा, मुम्बई।’राष्ट्रद्रोही मुसलमान’ जब अपने समाज में भी दुत्कारे जाने लगे हैं , राष्ट्रवादी
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर। जयशंकर प्रसाद : महानता का आयाम ग्रंथ महाकवि जयशंकर प्रसाद को
काठमांडू, 8 अक्टूबर।आज ललितपुर के भैंसेपाटी में एक भव्य समारोह में प्रेम रस नामक पुस्तक
*डाॅ0 कामिनी वर्मा* आत्मसंयम, इन्द्रियनिग्रह, परोपकार, सहनशीलता, उदारता, अपरिग्रह आदि वैयक्तिक गुण भारतीय संस्कृति में
ए औरत कब तक छली जाएगी तू, डॉ कामिनी वर्मा कभी राधा बनकर, कभी
एस.एस.डोगरा,दिल्ली,पुरषोतम भगवान राम का नाम ही एक ऐसा व्यक्तित्व का आईना है जिसे हर व्यक्ति को अनुसरण करना चाहिए. पौराणिक ग्रन्थ रामायण में राम एक ऐसा चरित्र है जिसने अपने जीवन काल में पहले पुत्र, भाई,पति, पिता एवं प्रजा के प्रति एक अयोध्या राज्य के शासक के रूप आदर्श जीवन जिया. इन्ही सद्गुणों की बदौलत ही, भगवान राम को देश-विदेशों में बड़ी श्रधा पूर्वक पूजा जाता है. उन्ही के व्यक्तित्व को लेकर उन पर बायोपिक बोले तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी-जगह जगह रामलीला मंचन किया जाता है. रामानंद सागर ने तो उन “रामायण” नामक टीवी सीरियल बना डाला था. और उस सीरियल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस समय वह सीरियल टीवी पर प्रसारित होता था तो लोग सारे अपने जरुरी काम एवं व्यस्तता छोड़कर इस सीरियल को देखने के लिए टीवी से चिपक जाया करते थे. इन दिनों यानि नवरात्रों में अक्सर हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी रामलीलाओं का मंचन बड़ी धूमधाम से किया जाता है. जहाँ तक इस रामलीला के मंचन की बात की जाए तो अधिकतर रामलीला आयोजकों का मानना है कि आज समाज में भगवान राम जैसे आज्ञा-पालक पुत्र, भाई, पति, एवं आदर्श शासक के संस्कारों को जिन्दा रखने के लिए रामलीला मंचन अत्यंत जरुरी है. रामलीला में आदर्श राम तथा अन्य चरित्रों से बहुत कुछ सीखने समझने को मिलता है. फिर चाहे लक्ष्मण की अपने भाई भगवान राम एवं सीता मैया के प्रति आदर हो, या संकट मोचन भगवान हनुमान. अपने पति भगवान राम के प्रति अपार श्रधा का अनुपम उदहारण है सीता-माता का बलिदान. प्रत्येक वर्ष, लगभग दस दिनों तक चलने वाले रामलीला मंचन में सभी बड़े क्रमबद्दता के आधार पर प्रतिदिन अनेक चरित्रों द्वारा बड़े सुन्दर ढंग से रामलीला को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है. रामलीला, भगवान राम के पूरे जीवन की एक नाटकीय प्रस्तुति है, जो अपने युवा काल के राम के इतिहास से शुरू होती है और भगवान राम और रावण के बीच 10 दिनों के लिए युद्ध के साथ समाप्त होती है। महान हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, राम लीला एक पुरानी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो हर साल 10 रातों के लिए मंच पर खेलती है। लीला के अंत में आरती होती है। इस अवधि के दौरान एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है ताकि हर कोई राम लीला नाटक का भरपूर आनंद ले सकें। रामलीला की शुरुआत : रामलीला की ऐतिहासिकता पर नजर डाले तो एक किंवदंति का संकेत है कि त्रेता युग में श्री रामचंद्र के वनगमनोपरांत अयोध्यावासियों ने चौदह वर्ष की वियोगावधि राम की बाल लीलाओं का अभिनय कर बिताई थी। तभी से इसकी परंपरा का प्रचलन हुआ। एक अन्य जनश्रुति से यह प्रमाणित होता है कि इसके आदि प्रवर्तक मेघा भगत थे जो काशी के कतुआपुर महल्ले में स्थित फुटहे हनुमान के निकट के निवासी माने जाते हैं। एक बार पुरुषोत्तम रामचंद्र जी ने इन्हें स्वप्न में दर्शन देकर लीला करने का आदेश दिया ताकि भक्त जनों को भगवान के चाक्षुष दर्शन हो सकें। इससे सत्प्रेरणा पाकर इन्होंने रामलीला संपन्न कराई। तत्परिणामस्वरूप ठीक भरत मिलाप के मंगल अवसर पर आराध्य देव ने अपनी झलक देकर इनकी कामना पूर्ण की। कुछ लोगों के मतानुसार रामलीला की अभिनय परंपरा के प्रतिष्ठापक गोस्वामी तुलसीदास हैं, इन्होंने हिंदी में जन मनोरंजनकारी नाटकों का अभाव पाकर इसका श्रीगणेश किया। इनकी प्रेरणा से अयोध्या और काशी के तुलसी घाट पर प्रथम बार रामलीला हुई थी। सूत्रों के मुताबिक रामनगर वाराणसी में राम लीला एक महीने के लिए रामलीला मैदान पर विशाल मेले के साथ आयोजित की जाती है। दशहरा त्यौहार शरद नवरात्रों से शुरू होता है। विजयादशमी के दिन, राम ने रावण को हरा दिया और मार डाला तो जमीन पटाखों और आतिशबाजी की आवाज से भरा हो गया। इस दिन हर कोई बुराई पर सच्चाई की जीत के लिए आनंद लेता है और नृत्य करता है। रावण के भाई कुंभकरन और पुत्र मेघनाथ भी भगवान राम द्वारा युद्ध में मारे गये। लंबे समय से युद्ध की जीत के बाद, राम घर आये जहां अभिषेक का आयोजन किया गया, ताकि अयोध्या नगरी में उनका स्वागत किया जा सके। राम अवतार भगवान विष्णु के 7 वें जीवित रूप अवतार के रूप में माना जाता है। पूरी रामायण भगवान राम के साथ अपनी पत्नी और भाई के इतिहास पर आधारित है। भारतीय संस्कृति में राम लीला का अधिक महत्व है। भारत में अधिकतर स्थानों पर, रामलीला के रामायण, रामचरितमानस के अवधियों के संस्करण में आयोजित किया गया था दशहरा के दौरान रामलीला ने लोगों के वैश्विक ध्यान को आकर्षित किया ऐसा माना जाता है कि प्राचीन रामलीला शो, तुलसीदास के अनुयायी मेघा भगत, द्वारा आयोजित किया गया था मुगल सम्राट अकबर के समय, अकबर ने यह प्रदर्शन देखा था और वह बहुत खुश हुए थे। आजकल, उत्तर प्रदेश में कई क्षेत्रीय रीति-रिवाजों के अनुसार रामलीला को विभिन्न शैलियों में किया जाता है। सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख रामलीला मेला राजा काशी नरेश के किले में रामनगर, वाराणसी में आयोजित किया जाता है विशेष रूप से, रामलीला को चित्रकूट में पांच वर्ष के लिए उत्सुक भक्तों द्वारा सालाना किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रामलीला मेला का पारंपरिक मंचन रामनगर, बनारस (काशी नरेश का किला) गंगा नदी के तट पर स्थित है जिसे वर्ष 1830 में काशी नरेश महाराज उदित नारायण सिंह द्वारा शुरू किया गया था। जिसकी वजह से ही इसे रामनगर और वाराणसी के सभी क्षेत्रों और वाराणसी के आस-पास के इलाकों में प्रसिद्धि मिली मेले तथा रामलीला को देखने के लिए यहां बहुसंख्या में तीर्थयात्री आते है पूरा रामनगर शहर अशोक वाटिका, पंचवटी, जनकपुरी, लंका आदि के लिए विभिन्न दृश्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सेट के रूप में कार्य करता है। रामनगर के स्थानीय अभिनेता रामायण के विभिन्न पात्रों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं राम, रावण, जानकी, हनुमान, लक्ष्मण, जटायू, दशरथ, और जनक को खेलते हैं दशहरा त्यौहार काशी नरेश की परेड द्वारा रंगीन हाथी की चढ़ाई से शुरू किया जाता है। सैकड़ों पुजारी वहाँ रामचरितमानस के पाठ को बताने के लिए वहाँ रहते हैं। रामलीला के प्रकार: रंगमंचीय दृष्टि से रामलीला तीन प्रकार की हैं – सचल लीला, अचल लीला तथा स्टेज़ लीला। काशी नगरी के चार स्थानों में अचल लीलाएँ होती हैं। गो. तुलसीदास द्वारा स्थापित रंगमंच की कई विशेषताओं में से एक यह भी है कि स्वाभाविकता, प्रभावोत्पादकता और मनोहरता की सृष्टि के लिए, अयोध्या, जनकपुर, चित्रकूट, लंका आदि अलग-अलग स्थान बना दिए गए थे और एक स्थान पर उसी से संबंधित सब लीलाएँ दिखाई जाती थीं। यह ज्ञातव्य है कि रंगशाला खुली होती थी और पात्रों को संवाद जोड़ने घटाने में स्वतंत्रता थी। इस तरह हिंदी रंगमंच की प्रतिष्ठा का श्रेय गो. तुलसीदास को और इनके कार्यक्षेत्र काशी को प्राप्त है। गोपीगंज आदि में भरतमिलाप के दिन विमान, इलाहाबाद के दशहरे के अवसर पर रामलीला के सिलसिले में जो विमान और चौकियाँ निकलती है, उनका दृश्य बड़ा भव्य होता है। जबकि रामायण के प्रथम रचियता महर्षि बाल्मीकि जी के आधार पर भी रामलीला मंचन किया जाता है. रामलीला में कलाकार: लीला के पात्र, नवजात, किशोर, युवा, प्रौढ़ सभी होते हैं। पात्रों का चुनाव करते समय रावण की कायिक विराटता, सीता की प्रकृतिगत कोमलता और वाणीगत मृदुता, शूर्पणखा की शारीरिक लंबाई आदि पर विशेष ध्यान रखा जाता है। पहले रामलीला मंचन केवल ब्राह्मण जाति वाले ही किया करता थे लेकिन आजकल हिन्दुओं के अलावा अन्य धर्मों के अनुयायी भी रामलीलाओं में अपनी-अपनी भूमिका निभाकर चर्चा में भी बने रहते हैं. लीलाभिनेता चौपाइयों, दोहों को कंठस्थ किए रहते हैं और यथावसर कथोपकथनों में उपयोग कर देते हैं। इस कड़ी में आमतौर पर, शिव-पार्वती संवाद, नारद मोह, रावण तपस्या, पृथ्वी पर अत्याचार, राम-सीता जन्म, तकड़ा वध, अहिल्या उद्धार, ग्रुप वाटिका, सीता स्वंयवर, राम-राज तिलक घोषणा, मंत्र कैकेयी संवाद, राम वनवास, राम-निषादराज मिलन, खेवट प्रसंग, दशरथ मरण, भारत-कैकयी संवाद, राम-भरत मिलाप, पंचवटी प्रवेश, सुरपर्णखा प्रसंग, खर-दूषण वध, रावन-मारीच संवाद, सीता-हरण, जटायु वध, शवरी प्रसंग, हनुमान मिलन, राम-सुग्रीव मैत्री, बाली वध, रावण-सीता संवाद, हनुमान-सीता संवाद, रावण-हनुमान संवाद, लंका दहन, विभीषण शरणागत, सेतु बंधन, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध, लक्ष्मण मूर्छा, हनुमान जी का संजीवनी बूटी लेकर आना, रावण कुम्भकरण संवाद, कुम्भकरण विभीषण संवाद, कुम्भकरण वध, मेघनाथ-रावण संवाद, मेघनाथ वध, सुलोचना प्रसंग, अहिरावण शक्ति प्रदर्शन, अहिरावण वध, और सबसे अंत में राम की शक्ति पूजा, रावण का अन्तर्द्वन्द, राम-रावण युद्ध, रावण वध, दशहरा महोत्सव-रावण,कुम्भकरण,मेघनाथ के विशाल पुतलों का दहन,भव्य आतिशबाजी, राम अयोध्या वापिसी और भगवान राम का राजतिलक के द्रश्यों के माध्यम से पूरी रामलीला को मंचित किया जाता है. लोकनायक राम की लीला भारत के अनेक प्रान्तों-जिलों
नेपालगन्ज/(बाँके) पवन जायसवाल । विश्व नेपाली साहित्य महासंघ नेपाल शाखा के आयोजन में विजया दशमी
पुरानी काॅपी एक बरसों पुरानी कॉपी में अनेक आकार बने हुए थे टेढ़े मेढ़े, खुद
नारनौल। मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल (हरियाणा) द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामनिवास ‘मानव’ के सृजन
काठमांडू 29 सितम्बर। आज राजधानी के बबरमहल में भोजपुरी व्याकरण का लोकार्पण किया गया ।
काठमांडू, 29 सितंबर । पूर्व मंत्री एवम् माओवादी पार्टी के नेता श्री मात्रिका यादव ने
प्रधानमंत्री का पचासिवां व्यञ्जन नेपाली से हिंदी अनुवाद: बिम्मी कालिन्दी शर्मा “प्रधानमंत्री की रसोई” कभी
नेपालगन्ज /(बाँके) पवन जायसवाल ।बाँके जिला के खजुरा निवासी कथाकार कल्पना पौडेल जिज्ञासु की निती
राजेश झापं, मुंबई । पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज १०९वीं जयन्ती है।समाज के निर्धनतम व्यक्ति
काठमांडू, 23 सितम्बर 022। भारत के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 114वीं जयन्ती तथा हिंदी
डा कामिनी वर्मा, लखनऊ । *हे धरती माँ, जो कुछ मैं तुझसे लूंगा वह उतना
पांचाली ———— प्रियांशी हूॅं शकुनि की कपट और आग की लपट
चित्रामुद्गल समकालीन हिंदी साहित्य की शिखर साहित्यकार हैं।आपने गुण और परिमाण दोनों ही दृष्टियों से
नारनौल। टोक्यो (जापान) की साहित्यकार डॉ रमा पूर्णिमा शर्मा और मास्को (रूस) की साहित्यकार श्वेता
काठमांडू, 15 सितम्बर। 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के अवसर पर काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में
जनकपुरधाम /मिश्री लाल मधुकर आज विश्व हिंदी दिवस हैं। पूरे विश्व में हिन्दी दिवस मनाया
नेपाली राजनीति के निर्देशक, नेपाली कांग्रेस के संस्थापक, नेपाली जनता के आदर्श, विश्वपुरुष, प्रखर चेतना,
*जिरा मिर्च* तब हम गाँव में रहा करते थे। उस समय मेरी उम्र 6 या
गुरुवर जलते दीप से दूर तिमिर को जो करें, बांटे सच्चा ज्ञान। मिट्टी को जीवित
झांसी।गत दिनों झांसी में आयोजित हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) की द्वितीय केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक