भारत में शिक्षक दिवस के आयोजन पर ४६ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा
काठमांडू, ५ सितंबर
गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागूं पांय ।
बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय
बहुत पहले कबीर दास ने अपनी इस पंक्ति में गुरु के बारे में कह दिया है । भगवान भी स्वयं से बड़े गुरु को मानते हैं । हमारे जीवन में गुरु का होना बहुत मायने रखता है । एक अच्छे शिक्षक का होना जो हमें न केवल पढाई को लेकर वरन जब हम जिंदगी के कुछ ऐसे समस्याओं में जब उलझ जाते हैं तब हमारे शिक्षकगण हमें उस समस्या से बाहर निकाल लाते हैं । या हमें उससे बाहर निकलने का गुढ़ रहस्य सिखाते हैं । बिना गुरु के ज्ञान नहीं ।
आज भारत मना रहा है शिक्षक दिवस । भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर इस दिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है । उनका मानना था कि देश का भविष्य बच्चों के हाथ में है और उन्हें बेहतर इंसान बनाने में शिक्षकों का बड़ा योगदान है । कृष्णन स्वयं एक शिक्षक थे । महज २१ साल की उम्र में वो मद्रास प्रेसिडेन्सी कॉलेज में फिलॉसफी विभाग में जूनियर लेक्चरर बन गए थे । वो स्वयं शिक्षको का बहुत आदर करते थे और उन्हें एक अच्छे शिक्षक के रुप में आज भी लोग याद करते हैं । भारत के प्रत्येक शहर के स्कूल कॉलेज में आज के दिन विभिन्न तरह के प्रतियोगिता का कार्यक्रम भी रखा जाता है और राधाकृष्णन को याद कर उनसे प्रेरणा ली जाती है ।
लेकिन दुनिया भर में शिक्षक दिवस ५ अक्टुबर को मनाया जाता है । यूनेस्को ने साल १९४५ में ५ अक्टुबर को विश्व शिक्षक दिवस के तौर पर घोषित किया था । कहते हैं कि पेरिस के एक कॉन्फ्रेंस में शिक्षकों के अधिकार , जिम्मेदारी समेत शिक्षकों से संबंधित बहुत से मुद्दों पर बहस हुई जिसे यूनस्को ने अपनाया और इस दिन की याद में ही ५ अक्टुबर को विश्व शिक्षक दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया ।
भारत में इस बार के शिक्षक दिवस के आयोजन पर ४६ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा । ये पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देंगी ।