शब्दो और एहसासों की मलिका सुप्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम – Amrita Pritam
व्यक्तित्व और कृतित्व की इस श्रृंखला को आगे बढाते हुए में मनीषा गुप्ता हिमालिनी पत्रिका (नेपाल) के कॉलम में सुप्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम जी के जीवन पर कुछ प्रकाश डालते हुए उनके जीवन से आप सभी को आत्मसात करवाती हुँ
शब्दो और एहसासों की मलिका की चंद पंक्तियों से एक शुरुआत
आज सूरज ने कुछ घबरा कर
रोशनी की एक खिड़की खोली
बादल की एक खिड़की बंद की
और अंधेरे की सीढियां उतर गया….
आसमान की भवों पर
जाने क्यों पसीना आ गया
सितारों के बटन खोल कर
उसने चांद का कुर्ता उतार दिया….
मैं दिल के एक कोने में बैठी हूं
तुम्हारी याद इस तरह आयी
जैसे गीली लकड़ी में से
गहरा और काला धूंआ उठता है….
एक भारतीय लेखिका और कवियित्री थी, जो पंजाबी और हिंदी में लिखती थी। उन्हें पंजाब की पहली मुख्य महिला कवियित्री भी माना जाता था और इसके साथ ही वे एक साहित्यकार और निबंधकार भी थी और पंजाबी भाषा की 20 वी सदी की प्रसिद्ध कवियित्री थी।
अमृता प्रीतम को भारत – पाकिस्तान की बॉर्डर पर दोनों ही तरफ से प्यार मिला। अपने 6 दशको के करियर में उन्होंने कविताओ की 100 से ज्यादा किताबे, जीवनी, निबंध और पंजाबी फोक गीत और आत्मकथाए भी लिखी। उनके लेखो और उनकी कविताओ को बहुत सी भारतीय और विदेशी भाषाओ में भाषांतरित किया गया है।
अमृता प्रीतम की जीवनी …. Amrita Pritam एक भारतीय लेखिका और कवियित्री थी, जो पंजाबी और हिंदी में लिखती थी। उन्हें पंजाब की पहली मुख्य महिला कवियित्री भी माना जाता था और इसके साथ ही वे एक साहित्यकार और निबंधकार भी थी और पंजाबी भाषा की 20 वी सदी की प्रसिद्ध कवियित्री थी।
अमृता प्रीतम को भारत – पाकिस्तान की बॉर्डर पर दोनों ही तरफ से प्यार मिला। अपने 6 दशको के करियर में उन्होंने कविताओ की 100 से ज्यादा किताबे, जीवनी, निबंध और पंजाबी फोक गीत और आत्मकथाए भी लिखी। उनके लेखो और उनकी कविताओ को बहुत सी भारतीय और विदेशी भाषाओ में भाषांतरित किया गया है
वह अपनी एक प्रसिद्ध कविता, “आज आखां वारिस शाह नु” के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह कविता उन्होंने 18 वी शताब्दी में लिखी थी और इस कविता में उन्होंने भारत विभाजन के समय में अपने गुस्से को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया था। एक नॉवेलिस्ट होने के तौर पे उनका सराहनीय काम पिंजर (1950) में हमें दिखायी देता है। इस नॉवेल पर एक 2003 में एक अवार्ड विनिंग फिल्म पिंजर भी बनायी गयी थी।
जब प्राचीन ब्रिटिश भारत का विभाजन 1947 में आज़ाद भारत राज्य के रूप में किया गया तब विभाजन के बाद वे भारत के लाहौर में आयी। लेकिन इसका असर उनकी प्रसिद्धि पर नही पड़ा, विभाजन के बाद भी पाकिस्तानी लोग उनकी कविताओ को उतना ही पसंद करते थे जितना विभाजन के पहले करते थे। अपने प्रतिद्वंदी मोहन सिंह और शिव कुमार बताल्वी के होने के बावजूद उनकी लोकप्रियता भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशो में कम नही हुई।
1956 में पंजाब साहित्यों में उन्हें महिलाओ की मुख्य आवाज़ बताकर नवाजा गया था और साहित्य अकादमी अवार्ड जीतने वाली भी वह पहली महिला बनी थी। यह अवार्ड उन्हें लंबी कविता सुनेहदे (सन्देश) के लिए दिया गया था। बाद में 1982 की कागज़ ते कैनवास कविता के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक अवार्ड भारतीय ज्नानपिथ से भी सम्मानित किया गया था। 1969 में उन्हें पद्म श्री और 2004 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है और उसी साल उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।
अमृता प्रीतम व्यक्तिगत जीवन
1935 में अमृता का विवाह प्रीतम सिंह से हुआ, जो लाहौर के अनारकली बाज़ार के होजिअरी व्यापारी के बेटे थे। 1960 में अमृता ने उनके पति को छोड़ दिया। और साथ ही उन्होंने कवी साहिर लुधिंवी के प्रति हो रहे उनके आकर्षण को भी बताया। इस प्यार की कहानी उनकी आत्मकथा रसीदी टिकट में भी हमें दिखायी देती है।
जब दूसरी महिला गायिका सुधा मल्होत्रा साहिर की जिंदगी में आयी तो अमृता ने अपने लिए दूसरा जीवनसाथी ढूंडना शुरू कर दिया। और उनकी मुलाकात आर्टिस्ट और लेखक इमरोज़ से हुई। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम चालीस साल इमरोज़ के साथ ही व्यतीत किये। आपस में बिताया इनका जीवन भी किसी किताब से कम नही और इनके जीवन पर आधारित एक किताब भी लिखी गयी है, अमृता इमरोज़ : ए लव स्टोरी।
31 दिसम्बर 2005 को 86 साल की उम्र में नयी दिल्ली में लंबी बीमारी के चलते नींद में ही उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनके पीछे वे अपने साथी इमरोज़, बेटी कांदला, बेटे नवराज क्वात्रा, बहु अलका और पोते टोरस, नूर, अमन और शिल्पी को छोड़ गयी थी।
कार्य –
6 दशको के अपने विशाल करियर में उन्होंने 28 नॉवेल, 18 एंथोलॉजी, पाँच लघु कथाए और बहुत सी कविताये भी लिखी है।
नॉवेल –
• पिंजर
• डॉक्टर देव
• कोरे कागज़, उनचास दिन
• धरती, सागर और सीपियन
• रंग दी पट्टा
• दिल्ली की गलियाँ
• तेरहवाँ सूरज
• यात्री
• जिलावतन (1968)
• हरदत्त का जिंदगीनामा
आत्मकथा –
• रसीदी टिकट (1976)
• शैडो ऑफ़ वर्ड्स (2004)
• ए रेवेन्यु स्टेम्प
लघु कथाए –
• कहानियाँ जो कहानियाँ नही
• कहानियों के आँगन में
• स्टेंच ऑफ़ केरोसिन
काव्य संकलन –
• अमृत लहरन (1936)
• जिउंदा जीवन (1939)
• ट्रेल धोते फूल (1942)
• ओ गीतां वालिया (1942)
• बदलाम दी लाली (1943)
• साँझ दी लाली (1943)
• लोक पीरा (1944)
• पत्थर गीते (1946)
• पंजाब दी आवाज़ (1952)
• सुनेहदे (सन्देश) (1955)
• अशोका चेती (1957)
• कस्तूरी (1957)
• नागमणि (1964)
• इक सी अनीता (1964)
• चक नंबर चट्टी (1964)
• उनिंजा दिन (49 दिन) (1979)
• कागज़ ते कनवास (1981) – भारतीय ज्नानपिथ
• चुनी हुयी कवितायेँ
• एक बात
साहित्यिक पत्रिका –
• नागमणि, काव्य मासिक
बहुत ही उम्दा लिखा है सर आपने
Bahut hi achcha Post hai. thankss
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good poetry
very nice post thank you for shearing helpful information
bahoot hi achha post likha hai apne sir ji
Bahut Achhi Post Hai Bro Thanks For Shearing