तरु पल्लव सी मैं : मनीषा गुप्ता
यूँही ✍✍✍तरु पल्लव सी मैं ह्म्म्म , यूँही चलते चलते कब थामा तुमने हाथ समझ
यूँही ✍✍✍तरु पल्लव सी मैं ह्म्म्म , यूँही चलते चलते कब थामा तुमने हाथ समझ
नमस्कार हिमालिनी पत्रिका का आभार जो आप लोगो के समक्ष अपनी लेखनी ले कर आती
नमस्कार आज हिमालिनी पत्रिका के साहित्यिक कॉलम में मैं उत्तराखंड के इतिहास में से एक
नमस्कार मैं मनीषा गुप्ता आज आप लोगो के समक्ष एक ऐसी कुरीति को लेकर आई
★★★★★महिला दिवस ★★★★★ “कैसी है यह विडम्बना कैसा यह परिहास है … नारी जिस्म सुरक्षित
कुबेरनाथ राय आज की साहित्यिक श्रृंखला को आगे बढाते हुए हिमालिनि पत्रिका नेपाल में मेरा
आज की साहित्यिक श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए हिमालिनी पत्रिका ( नेपाल ) में साहित्य
मनीषा गुप्ता, ★★★★★रामवृक्ष बेनीपुरी ★★★★★★★ आज की साहित्यिक की श्रृंखला में मैं मनीषा गुप्ता हिमालिनि
महर्षि वाल्मीकि का जीवन – परिचय – Maharshi Valmiki Ki Jeevani आज मैं एक बार
हिमालिनि पत्रिका ( नेपाल ) की इस बार की साहित्यिक श्रृंखला में मैं मनीषा गुप्ता
जी हाँ सहित्य और संगीत का एक अटुट रिश्ता रहा है संगीत को साहित्य के
आज हिमालिनी पत्रिका ( नेपाल) के आभार स्वरूप एक ऐसे लेखक से आप को रूबरू
खुद को गौरवान्वित महसूस होता है आज इतने महान लेखक कवि स्वर्गीय हरिवंश बच्चन राय
आज साहित्य की इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए में मनीषा गुप्ता हिमालिनी पत्रिका (नेपाल)
साहित्य की इस श्रृंखला में इस बार हम आप का परिचय करवा रहे है उत्तराखंड
अमृता प्रीतम – Amrita Pritam व्यक्तित्व और कृतित्व की इस श्रृंखला को आगे बढाते हुए
#आज मन जाने क्यों बहुत असहज सा होकर हजारो सवालों से घेर कर बैठ
नमस्कार, जी हाँ मैं मनीषा हिमालिनी पत्रिका (नेपाल), कॉलम व्यक्तित्व और कृतित्व की श्रंखला में
साहित्य की इस बार की श्रंखला को आगे बढाते हुए हम कवि , लेखक ,
【 औरत 】 तमाम उम्र एक छत के नीचे निकाल कर औरत …… अपनों से
आज की इस साहित्य श्रंखला को हिमालिनी पत्रिका 【 नेपाल 】 संग आगे बढ़ाते हुए
इस बार साहित्य की श्रृंखला में हम आत्म सात करेंगे हिंदी साहित्य की बहुआयामी प्रतिभा
हिंदी साहित्य की श्रंखला को आगे बढाते हुए हिमालिनी संग मनीषा गुप्ता …… हिंदी साहित्य
साहित्य की इस बार की अपनी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए हम हिमालिनी(पत्रिका) और आप
एक बार फिर साहित्य की इस श्रृंखला को आप सभी के सहयोग और हिमालिनी के
यकीनन साहित्य एक असीम विस्तृत सागर है जिसमे जितने गहरे उतरेंगे उतने ही रत्न प्राप्त
साहित्य की इस बार की श्रृंखला को ले कर मैं मनीषा फिर एक बार आप
साहित्य की इस बार की श्रृंखला को आगे बढाते हुए विश्व विख्यात महादेवी जी वर्मा
साहित्य जगत के प्रख्यात कवि माहत्मा कबीर जी का जीवन परिचय उनके उपदेश तथा उनकी
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी
मनीषा गुप्ता, ऋषिकेश, १५ मई | हिमालय का सौन्दर्य जितना आकर्षक है उतनी ही सुन्दर
माना ऊँची ऊँची गगन चुम्बी इमारते नहीं ।पर मेरे गाँव में रौनक आजभी हैं पिज़ा
अंबर धरती कुछ यूँ गुनगुनाती है और मैं कुछ यूँ खो जाती हूँ जैसे रच
नारी नर से कहीं ज्यादा बुद्धिमान है । क्योंकि यह सच है की वो पुरुष
एक हसरत जो आज बड़े प्यार से उसने मुझ से कही । बहुत कुछ लिखती
जिंदगी एक ऐसा सफर जिसमें राह में अनेक लोगो से मुलाकात होती है । कुछ
एक “शब्द ” पर उसमें सिमटा एक रूपसी का श्रृंगार , माँ का ममतामयी रूप