हिन्दी साहित्य के महान लेखक तथा सम्पादक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी : मनीषा गुप्ता
आज की साहित्यिक की श्रृंखला में मैं मनीषा गुप्ता हिमालिनि पत्रिका ( नेपाल ) के कॉलम में जिन साहित्य कर का परिचय आप लोगो से करवाने वाली हूं उनके
बारे में चंद लाइन #दिनकर जी के मुख से ।
दिनकरजी का कथन★★★
रामधारी सिंह दिनकर ने एक बार बेनीपुरीजी के विषय में कहा था कि- “स्वर्गीय पंडित रामवृक्ष बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी, जो कलम से निकल कर साहित्य बन जाती है। वे उस आग के भी धनी थे, जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ती है और मूल्यों पर प्रहार करती है। जो चिंतन को निर्भीक एवं कर्म को तेज बनाती है। बेनीपुरीजी के भीतर बेचैन कवि, बेचैन चिंतक, बेचैन क्रान्तिकारी और निर्भीक योद्धा सभी एक साथ निवास करते थे।”
जीवन परिचय★★★★
हिन्दी साहित्य के महान लेखक,देशभक्त,सम्पादक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव में सन् 1902 ई. को एक किसान परिवार में हुआ था।
रचनाएँ-★★★★
निबंध- गेंहूँ बनाम गुलाब, मशाल, वन्दे वाणी विनायकौ
संस्मरण- जंजीरें और दीवारें
कहानी- चिता के फूल
उपन्यास- पतितों के देश में
भाषा-शैली
भाषा –
बेनीपुरी जी की भाषा सरल,शुध्द, साहित्यिक खड़ी बोली है। आपने तत्सम, देसज,और विदेशी सभी प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है । आपकी भाषा में ओजगुण विद्यमान है। शब्दों के लाक्षणिक एवं व्यंजनात्मक प्रयोग ने भाषा को गभीरता प्रदान की है। आपकी भाषा में लोकोक्ति एवं मुहावरों के प्रयोग से सजीवता आ गई है।
शैली-
आपकी रचनाओं में निम्नांकित शैलियाँ दिखाई पड़ती हैं –
1 वर्णात्मक शैली – बेनीपुरी जी ने इस शैली में रेखाचित्र , संस्मरण, यात्रा वृतांत एवं जीवनी आदि की रचना की है।
2 आलोचनात्मक शैली – आपने समीक्षा के समय आलोचनात्मक शैली का प्रयोग किया है।
3 चित्रोपम शैली – इस शैली का प्रयोग रेखाचित्र में दिखाई पड़ता है । यत्र – तत्र कहानी तथा निबंध में भी इस शैली के दर्शन किए जा सकते है।
4 भावात्मक शैली – बेनीपुरी जी ने इस शैली का प्रयोग अपने ललित निबंधों में सर्वाधिक किया है।
5 प्रतीकात्मक शैली – बेनीपुरी जी अपने विचारों को प्रतीकात्मक शैली में प्रस्तुत करने में सिध्दस्त हैं । नींव की ईंट , गेहूँ और गुलाब , निबन्ध इसी शैली में लिखे गए हैं ।
साहित्य में स्थान –
स्वतंत्रता सेनानी, महान निबंधकार, प्रसिध्द रेखाचित्रकार, आलोचक, श्रेष्ठ नाट्यशिल्पी रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी साहित्य में श्रेष्ठ स्थान है।
सम्मान
वर्ष 1999 में ‘भारतीय डाक सेवा’ द्वारा रामवृक्ष बेनीपुरी के सम्मान में भारत का भाषायी सौहार्द मनाने हेतु भारतीय संघ के हिन्दी को राष्ट्रभाषा अपनाने की अर्धशती वर्ष में डाक-टिकटों का एक संग्रह जारी किया। उनके सम्मान में बिहार सरकार द्वारा ‘वार्षिक अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार’ दिया जाता है।
निधन
रामवृक्ष बेनीपुरी जी का निधन 7 सितम्बर, 1968 को मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ। बिहार के मुजफ़्फ़रपुर में हुआ।