Tue. Dec 3rd, 2024

गठबंधन नही ठगबंधन – वाम, दाम और नाम का संगम : बिम्मी शर्मा

बिम्मी शर्मा, वीरगंज, (व्यंग्य) | इस देश में बारबार हो रहे निर्वाचन शादी के सात फेरे जैसी हो गयी है । शादी के ही सीजन में इस देश में निर्वाचन का भी शुभ मुहुर्त निकलता है । इसी लिए शादी की तरह सब नेता एक दूसरे से गठबंधन कर रहे हैं । शादी में तो दो परिवार आवाद होते हैं पर नेताओं के चुनावी गठबंधन से देश और जनता बर्बाद होने की कगार पर हैं । यह दिखने में भले ही गठबंधन हो पर यह है असल में इन नेताओं का ठगबंधन । सब राजनीतिक दल और इसके नेता मिल कर देश और अवाम को ठग रहे हैं । सभी को निर्वाचन में खडे होना है और जैसे भी हो जीतना भी है । पर जीत हासिल ऐसे ही नहीं हो सकती । इसके लिए ठगी और झूठ के पापड़ बेलने पड़ते हंै ।

जिस तरह नेपाल की सभी वाम पार्टियाँ एकत्रित हो कर एक ही निर्वाचन चिन्ह से लड़ने के लिए मैदान में आयी है उस से साफ पता चल गया है कि यह सिर्फ इनकी नाम और दाम कमाने की मनसा है । देश और जनता जाए भाड़ में इन्हें क्या ? इस के लिए ठगबंधन सब से जरुरी है । चाहे एकता कहिए या गठबंधन रूप में भले ही इन का नाम और नारा आकर्षक हो पर सार में यह है एक ठगबंधन ही । जैसे दो कुत्ते आपस में कभी मिल कर नहीं बैंठते । एक, दूसरे को देखते ही गुर्राते हुए भौंकने लगते हैं । यहाँ तो पद और पैसारुपी हड्डी है जो इन वाम दलों कों एक नही होने देगी । सिद्धान्तः यह दल कम्यूनिष्ट है पर इन में देश और जनता के प्रति निष्ठा बहुत कम है ।

यह भी पढें   आज का पंचांग: आज दिनांक 1 दिसंबर 2024 रविवार शुभसंवत् 2081

कल तक जो राजनीतिक दल एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे आज सभी पुराने गिले, शिकवे भूला कर गले मिल रहे हैं । इन राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और हनुमान जो शोसल मीडिया पर एक दूजे को कीचड़ फेंकते थे इन के आकाओं के मधुर मिलन के बाद बेचारे बेरोजगार हो गए है । कीचड़ से सनी राजनीति की जुबान गाली होती है । पर इन के रहनुमाओं ने इन बेचारे रावण भक्त लगुंरों के मुँह पर टेप ही चिपका दिया है । जिस तरह एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती, दो सौत आपस में मिल कर नहीं रह सकती उसी तरह इन राजनीतिक दलों के तथाकथित प्रभु भी ज्यादा दिन मिल कर या एक ही जगह टिक कर नहीं रह सकेंगे ।

यह भी पढें   टॉस जीतकर विराटनगर ने गेंदबाजी को चुना

राजनीति में सुबह का भूला शाम तक घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते । इसी लिए जो दल त्याग कर के अन्य दलों में आशियाना बनाने गए थे अब फिर पुराने ही आशियाने में चुग्गा सहित लौट आए हैं । जैसे भूकंप या सुनामी आ कर सब तहस, नहस कर देता है उसी तरह अचानक इन राजनीतिक दलों ने आपस में एकता कर देश में भूचाल ला दिया है । एकता तो अच्छी बात है पर यह टिकेगी कितने दिन यही देखने की बात है । यह तो जगजाहिर है चाइनिज सुपर ग्लू से कोई भी सामान ज्यादा दिन तक नही चिपकता या जुड़ सकता है । यह तो फिर राजनीतिक दल है जो चीनी सिद्धान्त से निर्देशित हो कर एकता कर रही है । कहीं चाईनिज सामान कि तरह ही इनकी एकता भी जल्दी ही टूट न जाए । क्योंकि इस के जड़ में ईमानदारी नही हैं इसीलिए ।

यह भी पढें   गौरीशंकर गाँवपालिका उपाध्यक्ष में एमाले की उमा लुंगेली मगर शेर्पा विजयी

समाजवादी या अन्य दलों का पत्ता साफ करने के लिए और राजनीति में अपना चना जोर गरम बिकवाने के लिए यह जो एकता या गठबन्धन हुई है यह इन वाम दलों के निजी स्वार्थ के धरातल पर किया गया है । १० वर्ष जनयुद्ध के दौरान जो जन, धन की क्षति हुई है और आम जनमानस में इनके प्रति जो आपराधिक धारणा बनी हुई है उस के चलते वोट तो आने से रही सत्ता संभालना तो बहुत दूर की बात है । यह एकता सत्ता पर काविज होने के लिए की गयी है और कुछ नहीं ।

यह गठबंधन तो राजनीति का ‘ठगबंधन’ है ।

अपने मतलब के लिए वाम, दाम और नाम का संगम है ।

 

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
%d bloggers like this: