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मानस के तुलसी : अजय कुमार झा

तुलसी जयंती  2020 जुलाई 27  सोमबार

मानस के तुलसी जो ज्ञान के भण्डार भयो,
वेद औं पुराण के है भेद वो बताबतो।
खोजी खोजी तत्व ज्ञान भागवत औं पुराण,
व्राह्मण उपनिषदो के सार वो समझावतो।।   1
हुलसी के गोद आजू धन्य राजापुर भयो,
आत्माराम आजू नाची नाची के है गावतो।
रामानन्द कुलभूषण नरहरि शिरोमणि,
गुरु ज्ञान पाई चित्रकूट है सजाबतो।।  2
संवत पंद्रह सय चौवन श्रावण शुक्ला सप्तमी के,
नन्दघर आनंद अम्बर कुशुम बरसावतो।
बतीसी देखाई शिशु रामराम बोलन लाग्यो,
माता हुलसी के हिय चिंता है जगावतो।।  3
अशुभ अमंगल हेतु पुत्र मोह त्रास परी.
चुनियाँ के गोद हुलसी प्राण है लुटाबतो।
बिना ही सिखाए गायत्री मन्त्र वो जपन लागे,
नरहरि देखि देखि प्रेम है लुटाबतो।।     4
राम से लगन एसो लाग्यो रामबोला जू को,
जित देखू तीत प्रिय रामहि दिखावतो।
शुन्य में भी राम नाम अलख दिखाई दियो,
निराकार राम भी साकार रूप धारतो।।   5
कामिनी के मोह परी काम में जो रत भए,
रत्नावली बिना फटकार कौन  लगाबतो।
हाड मॉस देह के यी प्रवल जे मोह पास,
गुरु बिना कौन माया जाल से बचाबतो।।  6
जय हो प्रिय रत्नावली धन्य हो तोहार वचन,
बिना वाग्देवी कौन बचन बोलाबतो।
धन्य आजू रामबोला तुलसी जीवन भयो,
बिनु ललकार कौन राम गुण गवतो।।  7
बिनाही संन्यास कैसे राम से लगन होई,
काक भुशुण्डि जी से मिलन न होइतो।
हनुमान जे न सुगा बनिके चेतबितो त,
कौन राम लक्ष्मण को चन्दन लगवितो।।   8
तुलसी बाबा मान सरोवर न पुगितो त,
काकभुसुण्डि संग संवाद कोन करबितो।
शेषसनातन जइसन गुरु नाही पवितो त,
वेद वेदाङ्ग को आध्यापन को करबितो।।  9
मुगल को त्रास औ संत्रास देखि क्षुब्ध भई,
कहु कौन मुरलीधर सॉं धनुष उठबितो।
सत्य,अहिंसा,प्रेम,भक्ति,आनद संग,
धर्म रक्षा हेतु कौन विगुल बजबितो।।  11
रूप के विसारि जे अरूप में हेरायल प्राणी,
कौन हमें सगुण राम तत्व को बतबितो।
जहा देखू उंहें राम राममय हरेक ठाम,
सियाराममय जग जानी कौन कहितो।।  12
सज्जन के वंदना वृहद् कैली तुलसी बाबा,
खलनायको के से हो प्रार्थना सिखबली।
सनातन संस्कार सातो खण्ड में पुगाय देली,
हमरो हिया में सियाराम के बसव्ली।।  13
योग,ध्यान,सिद्ध से भूखण्ड जे वीरान भेल,
प्रेम रसधार नवधा भगति सिखवली।
सुनसान नीरस हतास जे जीवन रहे,
सुधा सन राम रसायन पियबली।। 14
दुनु कर जोरी करी बिनती तोहार हम,
तुलसी बाबा फेनु फेनु धरती पे अवहो।
कलि के कराल रूप मानस अचेत देखि,
अनहद नाद से सचेत तू करावहो।।   15
नरहिरि नरशिंह के कृपा न होइतो त,
हुलसी के लाल कैसे रामायण गावितो।
रामचरित्र मानस जे न तुलसी रचितो त,
कहु आजू कौन तुलसी जयंती मनबितो।। 16
ओशो सन ब्रह्माण्डीय गुरु जे न रहितों त,
हमरो सन नाचीज कहु चीज कोना बनितो।
भुवनेश्वर महेश्वर के साथ जे न पवितों त,
कहु कोना आजू हम तुलसी के गबितो।।  17
रचनाकार: अजय कुमार झा

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