Tue. Apr 23rd, 2024

नई दिल्ली/भारत भ्रमण पर रहे नेपाल के प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए दिल्ली के विमानस्थल पर किसी भी भारतीय मंत्री को नहीं देख कर थोडा अटपटा जरूर लगा। यह दूसरी बार हुआ है जब नेपाल के प्रधानमंत्री का स्वागत किसी मंत्री ने नहीं कर एक सरकारी अधिकारी ने ही किया। इस बात से यह चर्चा शुरू हो गई है कि नेपाल के प्रधानमंत्री भट्टराई के नेपाल भ्रमण को भारत उतना महत्व नहीं दे रहा है। इसे नेपाल का अपमान माना जाए या नहीं? यह सवाल काठमाण्डू से आए मीडिया वालों ने किया।

इससे पहले का आंकडा देखा जाए तो नेपाल के संदर्भ में किसी भी प्रधानमंत्री के भ्रमण पर दिल्ली आने के बाद विमानस्थल पर एक ना एक मंत्री जरूर रहते हैं। नेपाल में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के बाद अब तक भारत भ्रमण पर आने वाले बाबूराम भट्टराई चौथे प्रधानमंत्री हैं। लेकिन इन चारों में यह पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री के दिल्ली अवतरण के बाद उनका स्वागत यहां के किसी मंत्री या राज्य मंत्री ने ना कर एक सरकारी कर्मचारी ने किया है। लेकिन जब माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड खुद पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत भ्रमण पर आए थे तो उनका स्वागत भी मंत्री के द्वारा ना होकर तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने किया था।

लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के बाद जब सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला भारत भ्रमण पर पहुंचे थे तो उनका स्वागत करने के लिए खुद प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह विमानस्थल पहुंचे थे। अपने सारे प्रोटोकॉल को तोडते हुए भारतीय प्रधानमंत्री का इस तरह से विमानस्थल पर पहुंचना एक बहुत बडी बात थी और इससे नेपाल को काफी सम्मान मिला था। इसके बाद माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड के भारत भ्रमण के दौरान भी उनका स्वागत भारत के विदेश सचिव ने किया। लेकिन उनके बाद बने प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल का स्वागत भारतीय विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर ने किया। माधव नेपाल के भ्रमण के बाद भट्टराई का नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में भ्रमण हो रहा है।

गुरूवार को दोपहर जब भट्टराई दिल्ली के अन्तर्राष्ट्रीय विमानस्थल पर पहुंए तो उनके स्वागत के लिए विदेश सचिव भी नहीं बल्कि विदेश मंत्रालय के चीफ ऑफ प्रोटोकॉल को भेजा गया था। जबकि नेपाली प्रतिनिधिमंडल को यह आशा थी कि कम से कम कोई राज्य मंत्री स्तर का कोई नेपाल के प्रधानमंत्री के स्वागत में आएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे यह लगता है कि भट्टराई के भारत भ्रमण को भारत उतना महत्व नहीं दे रहा है जितना कि गिरिजा कोइराला और माधव नेपाल को दिया था। बल्कि यूं कहे कि भट्टराई के भ्रमण को प्रचण्ड से भी कम महत्व दिया गया तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

भारत नेपाल को मोष्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देता है लेकिन जब प्रधानमंत्री के स्वागत की बात होती है तो उसमें दिख जाता है कि भारत नेपाल को उतना महत्व नहीं देता है। ऐसा लग रहा है कि नेपाल के प्रधानमंत्री का महत्व पाकिस्तान के विदेश मंत्री से भी कम है। क्योंकि जब पिछली बार पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी भारत भ्रमण पर आयी थी तो उनका स्वागत भारत के विदेश सचिव करते हैं और नेपाल के प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए सिर्फ विदेश मंत्रालय का एक कर्मचारी आता है। इससे साफ जाहिर होता है कि भारत अपने सबसे निकटतम पडोसी देश नेपाल को उतना महत्व नहीं दे रहा है।nepalkikhabar.com



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: