अख्तियार से आस
रणधीर चौधरी :राजनीतिक उथल पुथल के इस दौर में जहाँ सत्ता सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए दिनरात एक किए हुए है और नेपाल की आम जनता की परेशानियों से आँखे बन्द किए हुए हैं, वहीं अभी के इस वर्तमान हाल में नेपाल में कोई जागरुक और सक्रिय दिखाई देता है तो वो है अख्तियार दुरुपयोग अनुुसन्धान आयोग (अ.दु.अ.आ) और सीमांतकृत वर्ग । अदुअआ, जो की संविधान मे दिए गए व्यवस्थाआें के
सार्वजनिक पद धारण करने वाले अधिकतम कर्मचारी या व्यक्ति की सम्पत्ति को देख कर आम इंसान उन कर्मचारियों के वेतन और उनकी भौतिक प्रगति को देख कर सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर इनकी तरक्की का राज क्या है ? जबकि यहाँ के सरकारी नौकर का वेतन इतना कम है कि वो किसी तरह घर चला सकते हैं फिर उनके हाथों में ऐसी कौन सी जादू की छड़ी लग जाती है कि वो रातो रात अरबपति बन जाते हैं ।
तहत काम कर रहा है । दूसरा, सीमांतकृत वर्ग जो कि अपने अधिकारों के लिये आन्दोलित है ।नेपाल के संविधान २०७२ के भाग २१ अन्तर्गत धारा २३८ के मुताबिक आयोग गठन सम्बन्धी व्यवस्था की गई है और धारा २३९ में आयोग के काम, कर्तव्य और अधिकार के बारे में व्यवस्था की गई है । संविधान मे किये गए व्यवस्था के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो की सार्वजनिक पद धारण कर रहा हो और भ्रष्टाचार करके अख्तियार के दुरुपयोग के सम्बन्ध मे अदुअआ कानून बमोजिम अनुसन्धान कर या करा सकता है । मै यहाँ जोड़ना चाहूँगा अख्तियार का वर्तमान कदम और उस पर स्थाई सत्ता का विरोध । ७ दिसम्बर २०१५ को जब अदुअआ ने २९ लोगों के नाम का समन निकाला था, तो मानो ऐसा लगा था कि जैसे उन सभी को भ्रष्टाचारी करार कर दिया गया हो । स्थाई सत्ता, जिसमें नेता, नागरिक समाज, उद्योगपति ये सब अदुअआ के विरुद्ध एकजुट दिखे । प्रमुख आयुक्त लोकमान सिंह के विरुद्ध महाअभियोग का प्रस्ताव तक दर्ता कराने की आवाज उठायी गयी । स्थाई सत्ता का कहना है कि अख्तियार द्वारा उठाये गये इस कदम का ‘टाइमिङ’ सही नही है । पर सच तो यह है कि इस से बढि़या ‘टाइमिङ’ शायद दूसरा नहीं हो सकता है । गौरतलब है कि देश में भूकंप से प्रभावित जनता ठंड के कहर से छटपटा रही है, मधेशी मोर्चा द्वारा की गई नाका अवरोध के कारण सारा देश अभाव में जीने को विवश है । इन सभी परिस्थितियों का गलत फायदा उठाते हुए कालाबजारी की सकस मे देश साँस लेने को मजबूर है । वहीं, सरकार मुरली बजाने में और रिबन काटने में व्यस्त दिख रही है ।
नेपाल में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है और यह बात जगजाहिर हो चुकी है । कई संस्थाओं ने प्रतिवेदन जारी कर के इस बात को स्पष्ट किया है । देश दिन ब दिन गरीबी रेखा से भी नीचे खिसक रही है । सार्वजनिक पद धारण करने वाले अधिकतम कर्मचारी या व्यक्ति की सम्पत्ति को देख कर आम इंसान उन कर्मचारियों के वेतन और उनकी भौतिक प्रगति को देख कर सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर इनकी तरक्की का राज क्या है ? जबकि यहाँ के सरकारी नौकर का वेतन इतना कम है कि वो किसी तरह घर चला सकते हैं फिर उनके हाथों में ऐसी कौन सी जादू की छड़ी लग जाती है कि वो रातो रात अरबपति बन जाते हैं । हाल में ही सशस्त्र के महानिरीक्षक कोषराज वन्त और पूर्व आईजीपी बासुदेव ओली, सनत बस्नेत, शैलेन्द्र श्रेष्ठ पर जब अख्तियार का फन्दा कसा तो ये सभी आधे घन्टे के अन्दर करोड़ों की रकम धरौटी जमा कर रिहा हो गए । ये है इस गरीब मुल्क की सच्चाई । राजनीतिक दल जो कि जनता की सेवा करने के लिये होते हैं, वहाँ जो नेता मौजूद हैं वो भी राजनीति में सिर्फ इसलिए आते हैं कि कुछ वर्षों में इतना काल धन जमा कर लें कि उनकी दो तीन पीढ़ी आराम से रह सकें ।
आज से पहले अख्तियार ने भ्रष्टाचार के मुद्दों में उनका नाम सामने लाया था जिनकी भ्रष्टाचार की ऊँचाई कम थी, ऐसे में लोग यह कहते थे कि– अदुअआ ‘बड़ी मछली कब पकड़ी जाएगी ?’ जी हाँ बड़ी मछली का अर्थ है बड़े नेता बड़े कर्मचारी इत्यादि । आरोप यह भी लगता आ रहा है कि क्यों ज्यादातर अभियोगी को क्लीन चीट दे दिया जाता है ? और अदुअआ पर लगा यह आरोप जायज भी दिखता है । क्योंकि आज तक इन मुद्दों पर सजा पाने वाले कम ही हैं । जनता द्वारा दिया गया राजस्व कर इन सब का हिसाब किताब जनता को नहीं दिया जाता है ।
वर्तमान समय आर्थिक उन्नति का है । देश मे कैसे रोजगार का माहोल बने उसका है । देश की युवाशक्ति विदेश पलायन के लिये बाध्य हैं । टैक्स की रकम सरकार द्वारा बढ़ती जा रही है । देश में विकास दर शून्य है और आगे के लिए भी हमारे नेताओं के सामने कोई योजना नहीं है । इस हाल में जनता जरुर जानना चाहेगी कि आखिर सारा पैसा जाता कहाँ है ? आज जिस तरह से अदुअआ भ्रष्टाचार के मामले में सामने आई है अगर यह दृढ़ता से इस पर कायम रहती है तो हालात सुधर सकते हैं । इसे अपनी सक्रियता और बढ़ानी चाहिये और परिणाममुखी होना चाहिये ।
जनसमर्थन
अदुअआ ने जो सक्रियता दिखाई है इसमें आम जनता को भी अपनी सक्रियता दिखानी होगी और अपना पूरा सहयोग देना होगा । एक अच्छी पहल अदुुअआ ने की है उसे इसे निरन्तरता देना होगा । सबसे बड़ी बात कि अदुअआ के प्रवक्ता कृष्णहरी पुष्कर सामाजिक संजाल को माध्यम बनाकर अदुअआ की हरेक क्रियाकलाप को आम जनता मे लाने का सुकार्य कर रहे हैं । जिससे जनता सभी बातों को जान और समझ रही है । बीते दिन उनकी अन्तर्वार्ता आई थी बीबीसी नेपाली सेवा में । जिस अन्तर्वाता के बाद उन्होंने टुइट कर के कहा था कि कैसे उनके अन्तर्वार्ता के महत्वपूर्ण अंश को एडिट कर के हटा दिया गया था । सवाल ये है कि आखिरकार मीडिया ऐसी हरकत क्यों करती है ? अदुअआ के सक्रियता को बदनाम÷डिफेम करने के लिये जो संभ्रान्त वर्ग लगे हंै उन सब के विरुद्ध में आम जनता को अपनी सहयोग अदुअआ को करनी चाहिये । चाहे ओ सामाजिक संजाल पर हो, सूचना संप्रेसन कर के हो या सड़क पर निकल कर नारावाजी कर के हो ।
साथ मे अदुअआ को कुछ ऐसे मुद्दा को जीत कर दिखाना होगा जिससे की आम जनता में भरोसा पैदा हो सके । उनको लगे कि अब उनके द्वारा दिए गए कर का दुरुपयोग नहीं होगा ।
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