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डा. अरुण कुमार सिंह, बालरोग विशेषज्ञ,  बी.पी. कोइराला स्वास्थ्य विज्ञान प्रतिष्ठान धरान, ७ सेप्टेम्बर |
नेपाल का बालक रुपक सिंह जनकपुर धाम,  इंडिया के  दिल्ली मे पढाई कर रहा है  ! रुपक को डॉक्‍टर ने चिकनगुनिया कहा दिया ! नेपाल मे २०१३ मे ३ को  चिकनगुनिया का डाटा मिला है  ! लेकिन हमारे पाडोसी देश भारत में आम तौर पर आवत जावत होता रहता है | डॉक्‍टर भी नही सोचते चिकनगुनिया के बारे मे आखिर क्यो हुआ ?आज चिकनगुनिया के रोग के बारे में  पता करना डॉक्‍टर के लिए भी जरुरी है  !
चिकनगुनिया बीमारी मादा एडिस मच्छर  के काटने से फैलनेवाला एक बेहद पीड़ादायक संक्रामक रोग हैं।  चिकनगुनिया यह एक अफ़्रीकी शब्द है जिसका मतलब होता हैं हड्डी टूटने जैसा दर्द ! जोड़ों को पीड़ा से निष्क्रिय बना देने वाला यह रोग एक सप्ताह में ही रोगी को इतना कमजोर कर देता है कि वह किसी कार्य करने में असमर्थ हो जाता हैं।
chikguniya
चिकनगुनिया कैसे होता हैं ?
 चिकनगुनिया का फैलाव चिकनगुनिया वारस से संक्रमित एडिस  मच्छर के काटने से होता हैं। चिकनगुनिया फैलाने वाला यह मच्छर जब किसी संक्रमित व्यक्ति या बंदर को काटता है तो उसकी लार में यह वायरस पहुंच जाता हैं। फिर यह संग्राहक मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी इस रोग का शिकार बन जाता हैं। एक बार इस रोग से पीड़ित होने पर अगले 7 से 10 दिन तक व्यक्ति सक्रामक अर्थात रोग फैलाने की क्षमता रखता हैं।
चिकनगुनिया के लक्षण क्या हैं ?
मच्छर काटने के 2 से 7 दिनों के बाद चिकनगुनिया के लक्षण नजर आते हैं।
 चिकनगुनिया के लक्षण इस प्रकार हैं :
ठण्ड लगकर तेज बुखार आना
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
जोड़ो में तेज दर्द
जोड़ों में सूजन और विकृति
जी मचलना
भूक कम लगना
कमजोरी आना
प्रकाश सहन न होना
शरीर पर चकते निकलना
ज्यादातर मरीजों में शरीर में दर्द और जोड़ों में सूजन-दर्द की तकलीफ 7 से 10 दिनों तक बनी रहती हैं।
चिकनगुनिया का निदान Diagnosis कैसे किया जाता हैं ?
Complete Blood Count (CBC) Test : इस रक्त परिक्षण में सफेद रक्त कण (White Blood Cells) और Platelet Count में कमी आने पर चिकनगुनिया होने की आशंका होती हैं।
Reverse Transcriptase – Polymerase Chain Reaction (RT-PCR) Test : इस रक्त जांच में चिकनगुनिया के Gene की जांच की जाती हैं।
Virus Isolation : संक्रमण के शुरुआत के दिनों में रक्त से चिकनगुनिया के वायरस को अलग कर परिक्षण करने के लिए यह जांच की जाती हैं।
Enzyme-Linked Immunosorbent assays (ELISA) Test : इस रक्त जांच में चिकनगुनिया के antibodies रक्त में है या नहीं यह जांच की जाती हैं। पीड़ित व्यक्ति को डेंगू है या चिकनगुनिया यह इस जांच से पता चल जाता हैं।
चिकनगुनिया के उपचार क्या  हैं ?
चिकनगुनिया के विषाणु शरीर के अंदर नष्ट करने के लिए कोई विशेष दवा या वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। डॉक्टर चिकनगुनिया का उपचार करने के लिए लाक्षणिक दवा देते हैं। बुखार आने पर बुखार कम करने के लिए पेरासिटामोल दवा दी जाती हैं।डॉक्टर जोड़ो एवं अन्य दर्द के लिए दर्दनाशक दवा देते हैं। चिकनगुनिया में रोगो को बहोत आराम करना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में आहार और पेय पदार्थ लेना चाहिए।
 चिकनगुनिया से बचने के लिए क्या है ? 
घर के अन्दर और आस-पास पानी जमा न होने दे। कोई भी बर्तन में खुले में पानी न जमने दे।
बर्तन को खाली कर रखे या उसे उलटा कर कर रख दे। अगर आप किसी बर्तन, ड्रम या बाल्टी में पानी जमा कर रखते है तो उसे ढक कर रखे। जरुरत होने पर कूलर का पानी रोज नियमित बदलते रहे।
किसी भी खुली जगह में जैसे की गड्डो में, गमले में या कचरे में पानी जमा न होने दे। अगर पानी जमा है तो उसमे मिटटी डाल दे।घर में कीटनाशक का छिडकाव करे। कूलर का काम न होने पर उसमे जमा पानी निकालकर सुखा कर दे।  खिड़की और दरवाजे में जाली लगाकर रखे। शाम होने से पहले दरवाजे बंद कर दे।रात को सोते वक्त मच्छरदानी लगाकर सोए। अन्य मच्छर विरोधी उपकरणों का इस्तेमाल करे।
अगर बच्चे खुले में खेलने जाते है तो पुर शरीर ढके ऐसे कपडे पहनाए।
डॉक्टर की सलाह कब लेना चाहिय ?
चिकनगुनिया के लक्षण नजर आने पर मेडिकल से दवा लेने की जगह डॉक्टर की सलाह अनुसार उचित मात्रा में ही दवा लेनी चाहिए।
नेपाल सरकार के भी चिकनगुनिया रोग के लिय उचित टेस्ट ,दबाई,आदि उपलब्द करना जरुरी हे आज कि जनता का यही सोच हे !



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