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बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि पटना में नव निर्मित ‘बुद्ध स्मृति पार्क’ सहज ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म का एक अनोखा ‘लर्निग सेंटर’ बन सके, इसके लिए वह हर संभव सहयोग करेंगे.
इसी स्थल पर शनिवार से आरम्भ तीन दिनों के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ समागम का उद्घाटन करते हुए उन्होंने इस दिशा में गंभीरता के साथ विशेष पहल का श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया.
भगवान बुद्ध और बिहार के बीच गहरे सम्बन्ध का ज़िक्र उन्होंने बार-बार किया और कहा कि इस पार्क में बना यह भव्य ‘पाटलिपुत्र करुणा स्तूप’ उसी सम्बन्ध का प्रतीक बन गया है.
पटना शहर के ठीक मध्य में पुरानी बांकीपुर जेल को तोड़कर बनाए गए इस पार्क का बहुआयामी उद्देश्य यही है कि सैर-सपाटे के साथ-साथ ज्ञान-ध्यान और अध्ययन का भी यह विशेष केंद्र बन सके.
इसलिए पार्क के परिसर में ख़ास तौर पर इस अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मलेन का आयोजन किया गया है. इसमें 17 देशों के दो सौ से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
बोधगया की महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति और बिहार सरकार के कला-संस्कृति विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह समागम दुनिया भर के बौद्ध संघों से जुड़े विद्वानों का बड़ा जमावड़ा माना जा रहा है.
दलाई लामा

इस मौके के सबसे ख़ास अतिथि दलाई लामा ने कहा ”अलग-अलग धार्मिक आस्था वालों के बीच टकराव एक नासमझी है. धर्म परिवर्तन करने या कराने की ज़रुरत ही क्या है, जब शांति और प्रेम ही सभी धर्मों का सार है.”

उनका कहना था, “दुनिया में आर्थिक समस्याएं इसलिए बढ़ रही हैं, क्योंकि लोगों का लोभ बढ़ रहा है. इसी तरह सामाजिक समस्याओं के बढ़ने की मुख्य वजह ये है कि लोगों में करुणा घट रही है. ऐसा मत होने दीजिये.”सम्मलेन में रविवार और सोमवार को मुख्य रूप से जिस विषय पर चर्चा होनी है, वो है- अहिंसक समाज की स्थापना और बुद्ध के उपदेशों को आगे बढाने में बौद्धों की भूमिका.
जिन देशों के प्रतिनिधि इसमें भाग ले रहे है, उनमें हॉन्गकॉन्ग, ब्रिटेन, बर्मा, श्रीलंका, नेपाल, जापान, फ़्रांस, थाईलैंड,जर्मनी और अमरीका शामिल हैं.
इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ”इस बुद्ध स्मृति पार्क में आने वालों के मन में शांति, सद्भाव और मैत्री की भावना बलवती होगी. इसे आध्यात्मिक जीवन-दर्शन और ज्ञान से जुड़े अध्ययन केंद्र की शक्ल में विकसित करने का लक्ष्य है.”
नीतीश कुमार ने ये भी घोषणा की महात्मा बुद्ध के दो प्रमुख शिष्यों सारिपुत्र और महामोगली की हर वर्ष जयंती मनाई जाएगी. बुद्ध के ये दोनो शिष्य बिहार के थे.
पार्क परिसर में पुस्तकालय और ‘मैडिटेशन सेंटर’ का निर्माण किया गया है. बांकीपुर जेल की दीवार का एक छोटा-सा हिस्सा पार्क में सुरक्षित रखा गया है, ताकि पहले और अब के बीच का एक सूत्र जुड़ा रहे.

मणिकांत ठाकुर
बीबीसी संवाददाता, पटना



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