उतार -चढ़ाव है सब के जीवन में, फिर क्यों हार मानना मन में : मनीषा मारू
“अपने- सपने” : मनीषा मारू
एक कशिश चल रही है मन , में कुछ करना है जीवन में।
उतार -चढ़ाव है सब के जीवन में, फिर क्यों हार मानना मन में।
सपने पूरे करने है अपने,तो मेहनत भी अपने ही होगी।
अपनी लगन से ,जो पूर्ण हुए सपने, तो सबसे पहले अपने आप में आप ही झूमोगे।
कोशिश करने वालों की हार नहीं, जाने है जग सारा।
सदैव हार के बाद ही आगे बढ़ाता, जीत की और कदम हमारा।
जब लगन- लगाके मेहक उठेगा जीवन सारा ,
ना होगा किसी पे भी दोष- रोपण हमारा।
सफलता का मूल मंत्र बस यही, हार के बाद भी हम हारे नहीं।
आलस्य से बड़ा ,कोई सत्रु हमारा हो सकता नहीं।
हमारे सपने बस हमारे हैं, उन्हें और कोई पूरा कर सकता नहीं।