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13 अप्रैल से नवरात्रि का शुभारंभ , घोड़े पर आरूढ़ होकर आएगी माता हाथी पर होगा प्रस्थान

राज शर्मा ( ज्योतिष्कार एवं संस्कृति संरक्षक ),आनी कुल्लू हिमाचल प्रदेश । आदि शक्ति का सर्वलोकप्रिय महापर्व चैत्र बासंतिक नवरात्रि का शुभारंभ 13 अप्रैल 2021 मंगलवार से होने जा रहा है । अनेकों वर्षों की भांति इस वर्ष भी शुभ एवं दुर्लभ संयोगों से युक्त नवरात्रि का यह महापर्व सभी भक्तों के जीवन को तेजोमय एवं एश्वर्य से युक्त बनाए ।

● सूर्य का राशि परिवर्तन एवं दुर्लभ संयोग

13 अप्रैल को ही घट स्थापना के लिए विशेषत: शुभकारक रहेगा । इस दिन प्रातः काल सर्वार्थ सिद्धि योग 06: 09 मिनट से लेकर दोपहर के 02: 23 मिनट तक रहेगा । इसी दिन “राक्षस” नामक सम्वत्सर तदनुसार 2078 का भी शुभारंभ हो जाएगा । इसी दिन भगवान सूर्य भास्कर अपनी उच्च राशि मेष में रात्रि के 02:27 मिनट पर आ जाएंगे । इसके साथ ही इसी दिन मंगल ग्रह का भी रात्रि 01:08 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश हो जाएगा । बता दे कि 12 अप्रैल को प्रातः काल 07:58 मिनट से प्रतिपदा तिथि का आरंभ हो जाएगा जो अगले दिन ( 13 अप्रैल ) प्रातः 10:15 मिनट तक व्याप्त रहेगी ।

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घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

13 अप्रैल 2021 मंगलवार

प्रातः 05: 26 मिनट से सुबह 10:11 मिनट तक।
अवधि- 04 घंटे 13 मिनट

दूसरा शुभ मुहूर्त-  11:54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक।

● किस दिन नवरात्रि की कौन सी तिथि रहेगी

13 अप्रैल- ( पहला नवरात्रा ) प्रतिपदा:- मां शैलपुत्री पूजा एवं घटस्थापना
14 अप्रैल- ( दूसरा नवरात्रा ) :- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल- (तीसरा नवरात्रा) :- मां चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल- ( चौथा नवरात्रा ):- मांकुष्मांडा पूजा
17 अप्रैल- (पांचवा नवरात्रा ) :– मां स्कंदमाता पूजा
18 अप्रैल- (छठा नवरात्रा) :– मां कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल- ( सातवां नवरात्रा ) :- मां कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल- (आठवां नवरात्रा :- मां महागौरी
21 अप्रैल- ( नवम नवरात्रा ):- मां सिद्धिदात्री , रामनवमी
22 अप्रैल- दशमी- नवरात्रि पारणा

विशेष पूजन तन्त्र साधना
महानिशा पूजा तिथि: 20 अप्रैल रात्रि 10: 24 मिनट से 02:47 मिनट तक ।

● इस नवरात्रि किस वाहन पर माता का आगमन और प्रस्थान

● घोड़े पर होगा आगमन और हाथी पर होगा जगदम्बा का प्रस्थान

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देवी भागवत के अनुसार “शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता”॥ इसके अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वर्णन बताया गया है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका अर्थ है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता घोड़े ( अश्व) पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो तो माता डोली पर सवार होकर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं।

वर्ष 2012 तदनुसार 13 अप्रैल मंगलवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर रहेगा । इस वर्ष देवी अश्व पर आरूढ़ होकर आ रही है , जो स्थिति पड़ोसी देशों के साथ युद्ध को दर्शा रही है । दुर्गा के घोड़े पर आरूढ़ होकर आने से शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को प्रजा एवं विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ सकता है । परन्तु जिन साधकों पर माँ भगवती की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी ।
जिस वर्ष की नवरात्रि में दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। उस वर्ष जनता महंगाई की मार से बहुत व्याकुल रहती है। युद्ध और उपद्रव की आशंका पूरे वर्ष बनी रहेगी । कहीं क्षत्र भंग भी हो जाता है ( किसी देश अथवा प्रदेश की सरकार गिरने की आशंका रहेगी ) । बता दे कि यदि नवरात्रि की समाप्ति बुधवार को हो तो दुर्गा हाथी ( गज ) पर सवार होकर जाती हैं। हाथी पर जब माता जाती हैं उस वर्ष वर्षा अधिक होती है । धन्य-धान्य खूब होता है। किंतु अराजक तत्व देश एवं धर्म को हानि पहुंचाने के प्रयास करते रहेंगे । हाथी पर जाने का तात्पर्य यह भी है कि देश के सत्तारूढ़ सरकार और दृढ़ होगी।

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राज शर्मा ( ज्योतिष्कार एवं संस्कृति संरक्षक )
आनी कुल्लू हिमाचल प्रदेश
मो० 9817819789

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