संगीत नाटक अकादेमी के सहयोग से नाट्य कार्यशाला का समापन
“संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली: संगीत और नाटक की सांस्कृतिक धरोहर का रक्षक”
संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली के सहयोग से डॉ. अकेलाभाइ प्रोग्रेसिव फाउंडेशन द्वारा मंगलवार दिनांक 15 अगस्त को छाप स्थित आर. जे. मेमोरियल स्कूल, छाप (गोपालगंज) के परिसर में भोजपुरी लोक साहित्य पर आधारित हिंदी नाटक ‘अनपढ़’ का सफल मंचन किया गया। इस नाटक के मंचन से पूर्व 20 विद्यार्थियों को 17 जुलाई से 12 अगस्त तक आकाशवाणी से सेवा निवृत्त विभागीय कलाकार डॉ. अकेलाभाइ, श्री रोहन कुमार, साहिबा खातुन और दिलकश परवीन द्वारा नाट्य कार्यशाला का आयोजन कर ग्रामीण उभरते हुए कलाकारों को प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यशाला के दौरान नाट्य संबंधी विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला। 13 और 14 अगस्त को नाटक मंचन के लिए सहभागियों से अभ्यास कराया गया । दिनांक 18 अगस्त को श्री गोरख प्रसाद यादव गुंजन की अध्यक्षता में कार्यशाला और नाट्य मंचन के विषय में समीक्षा करने के लिए एक बैठक की गई। बैठक का संचालन कुमारी दिलकश परवीन ने किया। इस बैठक का समापन डॉ. अकेलाभाइ के धन्यवाद श्रापन के सथा हुआ।
कार्यकारी निदेशक श्री रोहन कुमार ने बताया कि नाटक और कला के कई दृष्टिकोण हैं। शिक्षा में कला और नाटक के माध्यम से बच्चे दुनिया के बारे में नए तरीके से सीख सकते हैं। इसलिए, यह कार्यशाला छात्रों को एक विषय के लिए एक नए दृष्टिकोण की पहचान करने और खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का मौका देते हैं। यह बच्चों को बड़ी तस्वीर देखने और समस्या सुलझाने की क्षमता विकसित करने की अनुमति देता है। लचीलापन कला शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो किसी भी युवा के विकास के लिए आवश्यक है। युवाओं को कुछ छोड़ने के बजाय फिर से प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है, भले ही उन्हें पहली बार में असफलता का अनुभव हो। कला छात्रों को सफल होने तक प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित करती है। रोहन कुमार ने बताया कि यह कार्यशाला विद्यार्थियों को शर्म या असफलता के डर को दूर करने में मदद करेगा। यह प्रतिभा उन युवाओं के लिए उपयोगी है जो प्रेरक वक्ता बनना चाहते हैं, उद्यमी जो बिक्री पिच देते हैं, आर्किटेक्ट जो प्रस्तुतियां देते हैं, या किसी को भी जिसे नियमित नौकरी साक्षात्कार में बात करनी है।
मुख्य निर्देशक डॉ. अकेलाभाइ ने नाटक, अभिनय और इसकी महत्ता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि नाटक और कला रचनात्मक अभिव्यक्ति को सक्षम करता है । शिक्षा में कला और नाटक के माध्यम से बच्चे दुनिया के बारे में नए तरीके से सीख सकते हैं। नाटक और कला के कई दृष्टिकोण हैं। इसलिए, यह कार्यशाला छात्रों को एक विषय के लिए एक नए दृष्टिकोण की पहचान करने और खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का मौका देते हैं। बच्चे सीखकर या अभ्यास करके भी भावनाओं में महारत हासिल कर सकते हैं। शिक्षा में कला और नाटक के फायदों में से एक यह है कि यह न केवल अभिव्यक्ति में सुधार करता है बल्कि शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार करता है। कला का अध्ययन करने वाले छात्र अपनी रचनात्मकता का उपयोग अध्ययन के लिए कर सकते हैं जो उन्हें अन्य क्षेत्रों में फलने-फूलने की अनुमति देता है। शोध के अनुसार, जो बच्चे सप्ताह में कम से कम तीन बार प्रदर्शन कला में भाग लेते हैं, उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए पहचाने जाने की संभावना अधिक होती है। एक नाटक, संगीत कार्यक्रम या कला शो की तैयारी करना एक तनावपूर्ण काम हो सकता है, लेकिन लाभ बहुत अधिक हैं। ऐसा करते समय, छात्रों को लगातार सकारात्मक और रचनात्मक दोनों तरह की तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त होती है। यह बाहरी दुनिया के लिए आवश्यक जीवन कौशल, जैसे स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता, समय प्रबंधन कौशल, जल्दी सीखने की क्षमता, दबाव में काम करने और वापस उछाल की क्षमता के साथ उन्हें शिक्षित करते हुए उनकी उन्नति को बढ़ावा देता है।
डॉ. अकेलाभाइ ने संगीत नाटक अकादेमी के विषय में चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को बताया कि संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली, संगीत और नाटक की सांस्कृतिक धरोहर का रक्षक है । संगीत और नाटक हमारे समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। संगीत की मधुरता और नाटक की कला हमें समय के साथ जुड़े रहने की भावना और अद्वितीय रंगीनता प्रदान करती हैं। भारतीय संगीत और नाटक की विरासत को संरक्षित रखने के उद्देश्य से नई दिल्ली में स्थापित ‘संगीत नाटक अकादेमी’ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली ने संगीत और नाटक कला को समृद्धि और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका उद्देश्य भारतीय संगीत और नाटक की महत्वपूर्णता को प्रमोट करना और यह समृद्धि और समरसता की भावना को साकार करने में मदद करना है। इस प्रकार, संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली ने भारतीय संगीत और नाटक की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने और प्रोत्साहन देने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
मंच से अपने प्रतिवेदन में डॉ. अकेलाभाइ ने बताया कि इस नाट्य कार्यशाला के माध्यम से हम यह लक्ष्य रखते हैं कि भविष्य के नाटक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए और कला-संस्कृति के क्षेत्र में नए और प्रतिभाशाली ग्रामीण कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाए। नाटकों के माध्यम से ग्रामीण अनपढ़ लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक किया जाए ताकि वे अपने अधिकार और कर्तव्यों को भलीभांति जान सके। गाँव के अधिकांश लोग शिक्षा के प्रति एकदम उदासिन हैं। अपने बच्चों को स्कूलों में समय से नहीं भेज पाते हैं। राज्य की कला एवं संस्कृति से अनभिज्ञ हैं। ऐसे लोगों के नाटक, नृत्य और संगीत के माध्यम से शिक्षित किया जा सकता है।
कुमारी साहिबा खातुन और दिलकश परवीन ने अभ्यास कराने पर जोर दिया और प्रतिभागियों को नृत्य और अभिनय के पक्ष को बखूबी समझाया। प्रतिदिन उनसे अभ्यास करवा कर उनको प्रोत्साहित किया। इस कार्यशाला में छोटे कलाकारों को भी भाग लेने का अवसर मिला। उन्होंने भी इस कार्यशाला को सफल बनाने में काफी सक्रिय रहे। इस कार्यशाला में इंटरनेट का सहारा लेकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया। स्मार्ट क्लास के जरिए प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करना अधिक सरल और सहज लगा।
इस नाट्य कार्यशाला का उद्देश्य रहा, नाटक और संगीत के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को एक साथ जोड़ना। नए प्रतिभाशाली नाटक लेखकों, नाटक निर्देशकों, अभिनेताओं, संगीतकारों और संगीत वादकों को प्रोत्साहित करना। नाटक संस्कृति के माध्यम से समाज में संवेदनशीलता और समरसता पैदा करना। नाट्यकला में मास्टरक्लास और कार्यशाला के माध्यम से शैली, अभिनय, रंगमंच सेटिंग, संगीत निर्माण, और शोभा-यात्रा की बेहतरीन तकनीकों का समर्थन करना।
इस कार्यशाला में सर्वश्री सुजीत कुमार, अजीत कुमार, रोहन राजवंशी, नीरज कुमार, दुर्गेश कुमार, सन्नी कुमार, बॉबी देवल कुमार, दीपु शर्मा, अंकुल कुमार, अफरोज आलम, तनवीर आलम, सुहानी कुमारी, आफिया खातुन, बबली कुमारी, जैनब खातुन, याद अली, अंबुज कुमार, सिदरा परवीन, नीरज कुमार, संजना कुमारी और प्रिया कुमारी ने सफलतापूर्वक एवं सक्रिय रूप से भाग लिया। इन 21 छात्र-छात्राओं में से 9 चयनित छात्र-छात्राओं ने नाटक के मंचन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
इस अवसर पर इस कार्यक्रम के मुख्य अथिति श्री गोरखनाथ प्रसाद यादव ‘गुजन’, प्रभारी प्राचार्य (सेवा निवृत्त), जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षम संस्थान, थावे, गोपालगंज ने अपना उद्घार व्यक्त करते हुए इस प्रयास की सराहना की। छात्रों ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्ति की। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों को प्रमाण पत्र, उपहार तथा मेडल प्रदान किया गया। डा अकेलाभाइ ने अपने स्वागत भाषण में प्रतिभागियों के कार्यों की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय है कि विगत चार वर्षों से संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली के सहयोग से डॉ. अकेलाभाइ प्रोग्रेसिव फाउंडेशन द्वारा नाट्य कार्यशाला और नाट्य मंचन का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष आर जे मेमोरियल स्कूल के प्रांगण में लोक साहित्य पर आधारित लघु लटक अनपढ़ का मंचन किया गया। इस नाटक की परिकल्पना श्री रोहन कुमार मार्गदर्शन और निर्देशन डा. अकेलाभाइ ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन कुमारी दिलकश परवीन ने किया।
इस अवसर पर विद्यालय के सभी छात्र एवं छात्राओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई,। इनके अतिरिक्त श्री सच्चिदानंद सिंह, सीता कुमारी, रेनु कुमारी, आसिफ अली, श्रीमती अफसाना परवीन, श्री कलीम हवारी, श्रीमती नगमा खातुन, चंद्रेश्वर सिंह, बजरंगीलाल कुशवाहा और छाप तथा समीप के लगभग 200 दर्शक गाँववासी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि दर्शकों ने संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली और डॉ. अकेलाभाइ प्रोग्रेसिव फाउंडेशन के इस साझेदारी को दिल से स्वागत किया ।
कार्यक्रम का समापन “हम होंगे कामयाब….” गाने के साथ हुआ।