पोखरा हवाई अड्डे के लिए जो ऋण लिया गया उसका ब्याज चुकाना हुआ मुश्किल
काठमान्डू 21 मार्च
प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ने बताया है कि पोखरा हवाई अड्डे के लिए ऋण को अनुदान में बदलने के लिए चीन के साथ राजनयिक प्रयास शुरू किए गए हैं। एयरपोर्ट उम्मीद के मुताबिक कमाई करने में विफल रहा है। इससे कर्ज चुकाने में मुश्किल आ रही है। विपक्षी नेता चंदा चौधरी की ओर से बढ़ते घाटे और कर्ज के बारे में सवाल उठाए जाने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री ने ये जानकारी दी है। चीन अगर पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए दिए लोन को ग्रांट में बदलता है तो नेपाल सरकार को ब्याज नहीं चुकाना होगा। नेपाल के पोखरा हवाई अड्डे का निर्माण मुख्य रूप से चीनियों कंपनियों द्वारा वित्त पोषित और क्रियान्वित किया गया है।
पीएम दहाल ने कहा, “पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ानें संचालित करने और सरकारी-निजी क्षेत्र से सहयोग का अध्ययन करने के लिए पहले ही एक समिति का गठन किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एयरपोर्ट के संचालन के लिए आवश्यक तैयारियां की जाएंगी। पोखरा एयरपोर्ट के निर्माण के लिए जो ऋण मिला है, उसे अनुदान में बदलने के लिए भी कूटनीतिक बातचीत चल रही है। सरकार सभी आवश्यक वित्तीय प्रबंधन के लिए आवश्यक समन्वय बनाएगी।”
नहीं शुरू हो सकी हैं इंटरनेशनल फ्लाइट
पोखरा हवाई अड्डे के 1 जनवरी, 2023 को शुरू होने के बाद से कुछ चार्टर्ड चीनी उड़ानों को छोड़कर कोई भीअंतरराष्ट्रीय उड़ानें नहीं देखी गईं। इस एयरपोर्ट के लिए 21 मार्च 2016 को नेपाल और चीन में 1.37 अरब चीनी युआन का ऋण समझौता हुआ था। नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण को 2036 तक ऋण राशि का भुगतान करना है। उड़ाने शुरू ना होने की वजह से ये संभव होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में नेपाली अधिकारियों ने हवाई अड्डे की वित्तीय चुनौतियों के कारण चीन से ऋण को अनुदान में बदल देने का अनुरोध किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनकी बीते साल सितंबर में हुई चीन यात्रा के दौरान चीन के विभिन्न शहरों से कनेक्टिंग उड़ानें शुरू करने के बारे में एक सैद्धांतिक सहमति बनी थी। इससे अंतरराष्ट्रीय उड़ानें पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेंगी और नुकसान की भरपाई करने में मदद करेंगी। नेपाल पीएम की यात्रा के दौरान चीन और नेपाल की ओर से जारी संयुक्त बयान में पोखरा हवाई अड्डे के पूरा होने और संचालन को स्वीकार किया गया था लेकिन ऋण माफ करने जैसी किसी योजना का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।