थाइल्याण्ड से पि एच डी प्राप्त अमोद शर्मा नेपालगन्ज मे सचेतना कार्यक्रम मे सक्रिय
नेपालगन्ज,(बाँके) , पवन जायसवाल ।
बाँके जिला नेपालगन्ज निवासी एक युवक ने थाइल्याण्ड से विद्यावारिधि हासिल किया है । नेपालगन्ज नगरपालिका वार्ड नं. १६ एस.ओ.एस. मार्ग निवासी आमोद शर्मा ने अभी हालही मे यह उपाधि प्राप्त की है ।
एशिया के प्रतिष्ठित थाइल्याण्ड के पूर्वी भाग में अवस्थित वहाँ के सब से बडा विश्वविद्यालय खोनकेन विश्वविद्यालय से मेडिकल वायो-केमेष्ट्री में विद्यावारिधि (पि.एच.डि.) उपाधि हासिल किया है ,शर्मा ने उक्त अन्वेषण मुूसा पर प्रयोग किया था ।
काठमाण्डौं मेडिकल कालेज में अध्यापन करते करते सन् २०११ जून महीनें में पूर्ण छात्रवृत्ति पाकर सन् २०१४ मे को वह उपाधि प्राप्त किया है । आगामी डिसेम्बर महीनें में आयोजना होने वाला दिक्षान्त समारोह में थाइल्याण्ड की राजकुमारी से विद्यावारिधि की उपाधि प्राप्त करने का कार्यक्रम है ।
डा. शर्मा ने अजिनो मोटा अधिक खाने से मिर्गौला में पत्थडी होता है उस विषय में अन्वेषणात्मक काम किया है । चिकित्सा सम्बन्धि लेख विश्व में पहली बार विश्व के प्रतिष्ठित अमेरिका से प्रकाशित होनेवाली जर्नल एीइक् इल्भ् में सन् २०१३ सेप्टेम्बर में प्रकाशित हुआ था ।
विश्वभर के अन्वेषकों मे से चुना गया वह लेख के आधार में विद्यावारिधि उपाधि खोनकेन विश्वविद्यालय ने दिया है । विश्वविद्यालय ने वह लेख विश्व प्रसिद्ध जर्नल में प्रकाशित होने से रु. एक लाख बराबर का पुरस्कार भी प्रदान किया है । डा. शर्मा के अनुसार और दो दूसरा अन्वेषणात्मक चिकित्सा सम्बन्धि लेख एीइक् इल्भ् में प्रकाशित करने की प्रक्रिया में है । उनके अनुसार विश्व के प्रसिद्ध विशेषज्ञों से रिभ्यू करके पूर्णता देने के लियें कम से कम नौ महीने लगता है ।
डा. शर्मा ने जापान की राजधानी टोकियो में सन् २०१३ जुून महीने में आयोजित एशिया प्यासिफिक कन्फरेन्स अन क्लिनिकल न्यूट्रिसन में अपनी अनुसन्धान में पत्ता लगी नई बातों के बारे में कार्यपत्र प्रस्तुत करने की अवसर प्राप्त किकया था । इस प्रकार की कार्यपत्र भी विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने अध्ययन करके छनौट करने के बाद ही मात्र सहभागी होकर प्रस्तुत करने पाते है ।
बाके जिला नेपालगन्ज स्थित कैलपाल कालेज एण्ड हास्पिटल में करीब दो वर्ष प्रिन्सिपल पद में कार्यरत रहे थे डा. शर्मा ने भारत के देहरादून के हेमवन्तीनन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय से मेडिकल टेक्नोलोजी में स्नातकोत्तर करके विश्वविद्यालय मे सर्वोत्कृष्ठ स्थान हासिल किया था ।
अभी डा. शर्मा ने नेपाल मे ही रहकर सेवा करने की इच्छा होते हुयें भी उपयुक्त अवसर न होने के कारण थाइल्याण्ड की राजधानी बैंकक स्थित में थाइल्याण्ड के पहली श्रेणी का विश्वविद्यालय के शिक्षण अस्पताल ‘श्रीराज अस्पताल’में पोष्ट डक्टरेट फेलोसीप अन्तर्गत ‘महाविद्यावारिधि’ कर रहे है ।
दाङ्ग जिला हलवार गाविस नवलपुर में बि.सं. २०३७ साल में समाजसेवी श्रीमती लता शर्मा और रमण कुमार शर्मा की कोख से जन्म लेकर बर्दिया जिला के एक गाव में प्राथमिक शिक्षा हासिल किया, डा. शर्मा ने स्थानीय महेन्द्र बहुमुखी क्याम्पस में बि.सं. २०५७ साल में प्रमाण– पत्र तह विज्ञान संकाय में त्रिभुवन विश्वविद्यालयद्वारा लिया गया परीक्षा में बाँके जिला से उत्तीर्ण एक मात्र परीक्षार्थी रहे थे ।
अभी दशैं के छुट्टी पर घर में आयें हुयें समय की सदुपयोग करने के लियें डा. शर्मा ने ग्रामीण आर्थिक सामाजिक उत्थान केन्द्र नेपालगन्ज के आयोजना में पश्चिम नेपाल के थारु जातियों में अभी हालही मे दिखाई पडा सिकल सेल एनिमिया रोग और सुर्तीजन्य चीज सेवन विरुद्ध जनचेतना फैलाने के लियें बाके जिला में रहे कम्लहरी और विभिन्न विद्यालय के युवा छात्रछात्राओं के बीच में सचेतना फैलाने के लियें कक्षाए भी सञ्चालन करते आ रहे है ।
। उन्होंने बर्दिया जिला के बेलुवा गाविस वार्ड नं. ६ के उत्तर भकारी गाव में और मोतीपुर गाविस वार्ड नं. ८ बाँसगढी में बसोबास करने वाले थारु समुदाय तथा उसी जगाह एस.ओ.एस. बालग्राम में आवद्ध रहे बालबालिकाओं के अभिभावक तथा छात्रछात्राओं के वीच भी सिकल सेल एनिमिया रोग बारे सचेतना कार्यक्रम सञ्चालन किया ।