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महायोगी सिद्धबाबा: धर्म, सत्य और न्याय का प्रतीक

हिमालीनी प्रतिनिधि कोशी प्रदेश नेपाल । जगद्गुरु श्रीरामानंदाचार्य स्वामी रामकृष्णाचार्य, जिन्हें महायोगी सिद्धबाबा के रूप में जाना जाता है, को हाल ही में महिला अनुयायी पर बलात्कार के आरोप से उच्च न्यायालय, विराटनगर ने बरी कर दिया है। सुनसरी जिला अदालत के फैसले को कायम रखते हुए, उच्च न्यायालय की संयुक्त पीठ ने ‘आरोपों के समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने’ के आधार पर महायोगी सिद्धबाबा को निर्दोष घोषित किया। यह घटना न केवल एक साधु-संत पर लगे आरोपों का अंत है, बल्कि धर्म और न्याय की एक महत्वपूर्ण जीत भी है।



महायोगी सिद्धबाबा का योगदान

महायोगी सिद्धबाबा नेपाल के वैदिक सनातन धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में समर्पित महान व्यक्ति हैं। उन्होंने धर्म, संस्कृति और संस्कारों को जीवित रखने के लिए अनेक प्रयास किए हैं। महायोग, आयुर्वेद, ज्योतिष विज्ञान और नाड़ी विज्ञान में उनके गहन ज्ञान ने कई लोगों को प्रभावित किया है। विशेष रूप से, हिमालय से लेकर मरुस्थल तक तपस्या करते हुए, उन्होंने सुरत-शब्द योग का गूढ़ ज्ञान प्राप्त किया है।

उनकी विशेषता कुंडलिनी शक्ति का जागरण है, जिसे वे केवल स्पर्श, दृष्टि, मंत्र या संकल्प से जाग्रत कर सकते हैं। यह क्षमता कठोर तपस्या और साधना से ही संभव हो सकती है, जिसके लिए उन्होंने जीवन भर तपस्या की है।

धर्म पर षड्यंत्र

महायोगी सिद्धबाबा पर लगाए गए बलात्कार के आरोप साधारण नहीं थे। यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जिसका उद्देश्य वैदिक सनातन धर्म को कमजोर करना था। ऐसे षड्यंत्र हमेशा धर्म के रक्षकों को बदनाम कर धर्म की जड़ें हिलाने का प्रयास होते हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब सच्चे संतों को निशाना बनाया गया है, तब धार्मिक समाज को गहरी चोट पहुंची है।

लेकिन सत्य की हमेशा जीत होती है। उच्च न्यायालय के इस फैसले ने न केवल महायोगी सिद्धबाबा को न्याय दिलाया है, बल्कि पूरे वैदिक सनातन हिंदू धर्म की गरिमा को भी बचाया है।

महायोगी सिद्धबाबा का कार्य

महायोगी सिद्धबाबा के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हुए हैं। उन्होंने नेपाल और भारत में धार्मिक और सामाजिक सुधार अभियानों का संचालन किया है। उनके नेतृत्व में आयोजित श्रीराम तारक ब्रह्म महायज्ञ, श्रीरामार्चन महायज्ञ और संकटमोचन श्रीहनुमान महायज्ञ ने वैदिक धर्म को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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साथ ही, उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और समृद्धि के क्षेत्रों में भी अद्वितीय योगदान दिया है। महायोगी सिद्धबाबा के नेतृत्व में जगद्गुरु श्रीरामानंदाचार्य सेवा पीठ ने विभिन्न आपातकालीन स्थितियों में मुफ्त भोजन शिविर, राहत कोष और कोविड-19 महामारी के दौरान होल्डिंग सेंटर की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।

धर्मगुरुओं से अपील

महायोगी सिद्धबाबा पर हुए षड्यंत्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी हिंदू धर्मगुरुओं और धार्मिक कार्यकर्ताओं को एकजुट होने की आवश्यकता है। जब एक त्यागी महापुरुष को भी षड्यंत्र का शिकार बनाया जा सकता है, तो अन्य साधु-संत और धर्मगुरु इससे अछूते नहीं रह सकते।

आज हिंदू धर्म में एकता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। अन्य धर्मों में अपने धर्मगुरुओं की रक्षा के लिए समुदाय की एकजुटता देखने को मिलती है, लेकिन हिंदू धर्म में अक्सर इस तरह की एकजुटता की कमी दिखाई देती है। अब समय आ गया है कि हम सभी को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए।

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निष्कर्ष

महायोगी सिद्धबाबा के चरित्र पर किया गया हमला केवल उनका अपमान नहीं है, बल्कि यह पूरे वैदिक सनातन धर्म पर किया गया आक्रमण है। उच्च न्यायालय के इस फैसले से सत्य की जीत हुई है, लेकिन हिंदू धर्मगुरुओं और कार्यकर्ताओं को इससे सीखकर अपने धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

महायोगी सिद्धबाबा आज भी धर्म, सत्य और न्याय का प्रतीक बनकर हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। सत्य को कोई षड्यंत्र दबा नहीं सकता, और महायोगी सिद्धबाबा का जीवन और कार्य इस तथ्य को पुनः स्थापित करता है।

जगद्गुरु श्रीरामानंदाचार्य स्वामी रामकृष्णाचार्य, जिन्हें महायोगी सिद्धबाबा

 



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