बुद्ध, गांधी औ प्रचण्ड:
वसन्त बस् नेत
माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड के द्वारा लुम्बिनी विकास के नाम के नाम प अमेकिा से भ्रमण से लौटने के बाद माओवादी समर्थित एक मासिक पत्रिका ने प्रचण्ड औ बुद्ध के दर्शन का फ्यूजन शर्ीष्ाक में आवण कथा प्रकाशित की थी। इससे पहले माओवादी उपाध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री डाँ बाबूाम भर्ट्टाई के भात भ्रमण के दिन ही वहां के एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक द इण्डियन एक्सप्रेस में भात की खुफिया एजेन्सी के एक पर्ूव प्रमुख पी के हार्ँर्मिस थाकान द्वाा भर्ट्टाई की प्रशंसा कते हुए उन्हें मार्क्सवादी गांधी की उपाधि देते हुए एक लेख प्रकाशित किया गया था।
अहिंसा औ शान्ति के मानक गौतम बुद्ध के प्रचा प्रसा को औ अधिक व्यापक बनाने के लिए सशस् त्र युद्ध के र्सवाेच्च कमाण्ड औ इस देश के एक पर्ूव प्रधानमंत्री के रूप में अर्न्ताष्ट्रीय समुदाय के समक्ष अपने आप को पेश कना कितना उचित है – अपने ही दल के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में सका की बागडो सौंपक खुद शान्ति प्रक्रिया औ संविधान निर्माण के काम में अग्रसता लेने के प्रचण्ड के कदम को सकाात्मक लिया जा सकता है। लेकिन उनकी ही पार्टर्ीीे मुखपत्र औ उनके ही दल के नेताओं द्वाा बौद्ध धर्म तथा लुम्बिनी से प्रचण्ड को जोडक संबंध स् थापित किए जाने की टिप्पणी से यह आशंका पैदा हो गई है कि कहीं प्रचण्ड बुद्ध के मुद्दे को भंजाने की णनीति में तो नहीं लगे हैं –
उध ‘गांधीवादी माओवादी’ नेता भर्ट्टाई के कई शुभचिंतकों के विश्लेषण प अभी तक कोई खास प्रतिक्रिया सुनने को नहीं मिली है। लगता है कि इसमें उनकी मौन स् वीकृति है। ऐसा लगता है कि माओवादी के भीत से ही एक नए रूप में माओवादी को बाही आवण के साथ लोगों के सामने प्रतिबिम्बित कने की सुनियोजित योजना के तहत तो इस तह की उपमा नहीं दी जा ही है। वैसे माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड ने कई बा अपने भाषणों में कहा है कि युद्ध के समय से ही बा बा कहते आ हे हैं कि बुद्ध के द्वाा प्रतिपादन की जा ही दर्शन मार्क्सवादी दृष्टिकोण से काफी मिलता जुलता है।’ हालांकि इस बो में अभी तक प्रचण्ड के तफ से कोई भी व्याख्या नहीं आया है।
बुद्ध के द्वाा अहिंसा के ास् ते से ही दुख निवाण होने का विश्वास खते थे। इसके लिए भगवान बुद्ध ने अष्टांग मार्ग प्रस् तुत किया था। लेकिन बुद्ध के नाम प इस समय दुनियां भ से सहायता संकलन कने का बीडा उठाने वाले प्रचण्ड की पार्टर्ीीाओवादी क्तपातपर्ूण्ा युद्ध को ही प्राथमिकता देता है शान्तिपर्ूण्ा संर्घष्ा चलाने वाले तो माओवादी की दृष्टि में विर्सजनवादी औ संशोधनवादी है। ाजनीतिक रूप में पिछले दिनों माओवादी ने शान्तिपर्ूण्ा आन्दोलन के सामर्थ्य को आत्मसात कने की कोशिश तो क ही प्रतीत हो ही है। लेकिन सैद्धांतिक रूप से माओवादी अभी भी उसी जग प है जिससे हिंसात्मक संर्घष्ा के दर्शन में आधाति है। प्रचण्ड के प्रति यही एक प्रश्न है कि आखि किस तह से हिंसा औ अहिंसा के दर्शन के बीच कैसे फ्यूजन संभव है।
अब गांधी की बात कें। महात्मा गांधी अहिंसा औ सत्याग्रह में विश्वास कते थे। सुवासचन्द्र बोस भगत सिंह जैसे नेता आक्रामक संर्घष्ा के मामले में गांधी का मतभेद था। घृणा को प्रेम से जीता जा सकता है औ गांधी दर्शन माओवादी मान्यता में वर्ग समन्वयवादी है। ाज्य सत्ता के पास हथिया होता है इसलिए उसके विरूद्ध जैसे को तैसा ही व्यवहा कने के लिए हथिया की ही आवश्यकता होती है। इसलिए गांधीवादी विचाधाा औ माओवादी विचाधाा में जमीन आसमान का अन्त है।
बुद्ध के जन्मस् थान लुम्बिनी के विकास के लिए सका का नेतृत्व क ही पार्टर्ीीे अध्यक्ष द्वाा अग्रसता लेने प सभी को खुशी होना चाहिए। लेकिन प्रचण्ड के इस प्रयत्न के पीछे इमानदा पहलकदमी कम औ णनीतिक कुटिल चाल अधिक दिखाई देती है। प्रचण्ड की इस णनीति को समझ क ही उपाध्यक्ष मोहन वैद्य किण र्समर्थक द्वाा उनकी आलोचना की गई होगी। प्रचण्ड के स् वभाव को किसी किसी के द्वाा डायनमिक औ गतिशील भी कहा जाता हा है। वास् तव में प्रचण्ड के स् वभाव में गतिशीलता कम औ अस् िथता अधिक दिखाई देती है। धार्मिक आस् था खने वालों के ऊप युद्धकाल में माओवादी ने कई स् थानों प अनुचित व्यवहा किया था। धार्मिक गतिविधि निर्बाध रूप से कना काफी कठिन हो गया था। मंदि गुम्बा आदि के नाम प ही सैकडों बिघा जमीन माओवादी द्वाा कब्जा किया गया है। कब्जा की गई जमीन को वापस कने की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी तक मठ मन्दिों के नाम प हे जमीनों को वापस किये जाने तक कोई भी पहल नहीं किया जा हा है।
दस वषर्ाें तक सशस् त्र युद्ध का नेतृत्व कने वाले प्रचण्ड ाजनीतिक लाभ के लिए कुछ भी कने को तैया हो जाते हैं। कभी भैंसी पूजा कते हैं कभी बाबा, कभी गुरू औ भिक्षुओं का आशीष लेने पहुंच जाते हैं। कभी द्वंद्वात्मक भौतिकवाद औ आध्यात्मिक आदर्शवाद के बीच का अन्त सम्झाने के लिए स् कूलिंग कते हैं कभी इन्हीं दोनों के बीच फ्यूजन काने की कोशिश कते हैं। धर्म औ मार्क्सवाद के फ्यूजन काने वाले लोग प्रचण्ड को बुद्ध औ भर्ट्टाई को गांधी बनाने की कोशिश में लगे हैं। ऐसा लगता है प्रचण्ड को सम्राट अशोक बनने की काफी जल्दी है। ±±±
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