उलटि गिनती शुरु
पंकज दास
माओ वादी के कंधे पर चढÞकर अपनी ही पार्टर् वरि ष्ठ ने ता माधव कुमार ने पाल को सत्ताच्यूत कर ते हुए प्रधानमंत्री बनने में सफल हुए एमाले अध्यक्ष झलनाथ खनाल अब तक के सबसे असफल प्रधानमन्त्री साबित हुए हैं । सर कार गठन के महीनों बाद भी मन्त्रिपरि षद का परूणा गठन किए बिना ही उनकी उलटी गिनती शुरु हो गई है । अपने साढे तीन महिनों के कार्यकाल में वो विरोधी को तो अपना बनाना तो दूर कई सारे अपनों को भी विरो धी बना लिया है । एमाले के जिन ने ताओं ने खनाल को प्रधानमंत्री बनाने के लिए दिन रात लाँबिंग की थी, बालुवाटार में आज उनकी उपसिथति भी नहीं हो ती । सरकार को परा ना कर पाने तथा अपनों के द्वारा भी विरो ध किए जाने से खनाल की चिन्ता उनके चे हरे पर स् पष्ट दे खने को मिलती है ।
जिस समझौ ते के बल पर माओ वा दी ने खनाल को प्रधानमंत्री बनाने के लिए र्समर्थन दिया था, उसी समझौ ते को ना मानने की वजह से आज माओ वादी के भीतर भी भूचाल सा आ गया है । खनाल द्वार ा समझौ ता के तहत माओ वादी को गृह मंत्रालय ना दिए जाने के कार ण पार्टर्ध्यक्ष प्रचण्ड को अपनी ही पार्टर् भारी विरो ध का सामना कर ना पड र हा है । आलम यह है कि जिस पार्टर् ने ता खनाल सर कार को जन्म दे ने का दावा कर र हे थे , उसी पार्टर् र्समर्थन पर सर कार टिकी हर्इ है , वही पार्टरीब खनाल का विकल्प तलाशने लगी है ।
माओ वादी की बात कुछ दे र के लिए छो ड भी दी जाए तो अब खनाल की पार्टर् ही उनके इस् तीफे की माँग हो ने लगी है । मंत्रिमंडल के तीसरे विस् तार में जिस तर ह खनाल ने पार्टरीनर्ण्र्ाऔ र सहमति विपरि त अपने पक्षधर ने ताओं को ही मंत्री बनाया है , उससे पार्टर् दो प्रभावशाली ने ता जो उनके पहले से ही विरो धी थे , अब उन्हे ं प्रधानमंत्री पद से हटाने की मुहिम मे ं जुट गए है ं । पर्ूव प्रधानमन्त्री माधव कुमार ने पाल तथा के पी शर्मा ओ ली ने प्रधानमंत्री खनाल द्वारा मनमाने ढंग से मन्त्रिमण्डल विस् तार किए जाने तथा माओ वादी को गृह मन्त्रालय दे ने पर र ाजी हो ने की बात पर खनाल के इस् तीफे की मांग पर अड गए हैं । माधव-ओ ली जिनका दावा है कि पार्टर्सदीय दल छो डकर पो लिट ब्यूरो , स् थाई समिति व के न्द्रिय समिति में उनका वर्चस् व है , खनाल को प्रधानमन्त्री के साथ-साथ अध्यक्ष पद से भी हटाए जाएँगे ।
खनाल के साथ माधव-ओ ली के संबंध कुछ इस कदर बिगड गए है कि नए साल के मौ के पर बालुवाटार में हुए जलसे तक मे ं माधव-ओ ली का ना आना चर्चा का विषय र हा । अगले ही दिन माधव ने पाल ने तो र्सार्वजनिक रुप से इस जलसे का बहिष्कार किए जाने की बात कहते हुए खनाल पर मनमानी कर ने का आरो प लगाया । जबकि के पी ओ ली ने कहा कि जब उन्हे ं निमंत्रणा ही नहीं दिया गया था तो वे किस आधार पर जाते ।
खनाल के संबंध सिर्फमाधव-ओ ली से ही नहीं बिगडा है । पार्टर्धिवे शन से ले कर माधव ने पाल सर कार को हटाने औ र खनाल को प्रधानमंत्री बनाने के र्समर्थन तक कर ने वाले लगभग ३ दर्जन से अधिक के न्द्रीय ने ता, सभासादों से उनके संबंध अब पहले जै से नहीं र हे । एमाले के महासचिवर् इश्वर पोखरे ल, जो कि खनाल के सबसे करि बी माने जाते थे औ र महाधिवे शन मे ं उनके ही पै नल से महासचिव के पद पर जीत कर आए पो खरे ल भी खनाल के कट्टर विरो धी हो गए हैं ।
पो खरे ल के आलावा दर्जनों युवा ने ता, सभासद, पो लिट ब्युरो सदस् य, स् थाई समिति सदस् य भी खनाल के विर धी हो गए हैं औ र उनका साथ छोड चुके हैं । इन असंतुष्ट ने ताओं में रामचन्द्र झा, रि जवान अंसारी, प्रकाश ज्वाला, पुरुषो त्तम पौ डे ल आदि है ।
खनाल के मंत्रिमंडल गठन पर भी उनको तगडा भटका लगा जब उनके द्वारा नियुक्त मंत्री ने शपथग्रहण से ही इंकार कर दिया तो दूसरे मंत्री की असलियत खुलने पर आखिर कार उन्हे ं पदमुक्त कर ना पडा । खनाल द्वारा नियुक्त शिक्षा राज्य मंत्री र ाधा ज्ञवाली ने राज्यमंत्री बनाए जाने से नाराज हो कर शपथ ग्रहण में हिस् सा ही नहीं लिया । ज्ञावली का आरो प है कि उनके जूनियर कम अनुभव तथा पार्टर् आए नए ने ता ओं को कै बिने ट का दर्जा दिया गया । खनाल के लाख मनाने के बावजूद राधा ज्ञवाली नहीं मानी तो गुस् साए प्रधानमन्त्री ने उन्हें पदमुक्त कर दिया ।
यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अर्थ र ाज्य मंत्री के रुप मे नियुक्त डा. ल्हार क्याल लामा को फर्जी नामों से तीन देशों की नागरि कता र खने , ने पाल में ही दो नामों से नागरि कता व पासपोर् ट र खने , कई दे शों के लिए खुफिया सूचना आदान प्रदान कर ने , प|mी तिब्बत मूवमे ण्ट मे ं सक्रिय हो ने के कार ण ना चाहते हुए भी खनाल को डा. लामा को बर्खास् त कर ना पडÞा । लामा को मंत्री बनाए जाने को ले कर खनाल भी संदे ह के घे रे में हैं । चीनी दूतावास के एजे ण्ट के रुप मे ं काम कर र हे लामा को किसके दबाब मे ं या किस स् वार्थ मे ं मंत्री पद दिया गया था यह अभी जाँच का विषय है ।
सिर्फर ाजनीतिक रुप से ही खनाल असफल नहीं हुए है ं बल्कि कई अन्य कार ण है ं जिस वजह से उन्हे ं असफल कर ार दिया गया है । अपने तीन महीनो ं के छो टे से कार्यकाल मे ं खनाल को आधा दर्जन से अधिक बार विभिन्न संसदीय समिति मे ं जबाव दे ने के लिए खुद हाजिर हो ना पडÞा है । चाहे मामला युनुस अंसार ी पर से ंट्रल जे ल मे ं गो ली लगने की हो या फिर अर्थसचिव खनाल के इस् तीफे की । शांति सुर क्षा का मामला हो या घो टाले का विवादास् पद व्यक्ति को मंत्री बनाने का हो या अन्य हमे शा संसदीय समिति से खनाल को झिडÞकी सुनने को मिली है ।
र् नई सर कार से लो गो ं को कुछ ना कुछ अपे क्षा र हती ही है । ले किन खनाल जनता की इच्छा औ र आकांक्षा पर खडÞे नहीं उतर पाए । उनके प्रधानमंत्री बनते ही दे श मे ं पे ट्रो लियम पदार्थ का अभाव दिखा । महंगाई आसमान छु र ही है । शांति सुर क्षा का बुर ा हाल है । मंत्री पद पर नियुक्त हो ने के चन्द घण्टो ं बाद ही गो कर्ण्र्ाावष्ट पर हमला हो ता है । दिनदहाडÞे पाकिस् तानी दूतावास के कर्मचार ी पर गो ली चलाई जाती है । र ाजधानी के सुर क्षित समझे जाने वाले क्षे त्र मे ं सर े आम व्यापार ी की हत्या कर दी जाती है ।
शांति प्रक्रिया पूर ा कर संविधान बनाने का अवसर भी खनाल ने खो दिया है । वो ना तो अपने को प्रधानमंत्री बनाने वाले माओ वादी ने ता ओ ं को खुश र ख पाए औ र नहीं अपनी पार्टर्ीीे ं साथ दे ने वाले ने ताओ ं को साथ र ख पाए । र ाजनीति मे ं पिछले तीन दशको ं से सक्रिय प्रधानमंत्री खनाल दिन-प्रतिदिन अवसान की तर फ बढÞ र हे है । सर कार के संचालन की बात हो या फिर पार्टर्ीीलाने की, दो नो ं मे ं ही खनाल असफल साबित हो र हे है । पार्टर्ीीनर्ण्र्ााव नीति विपरि त चलने का आर ो प उन पर लगातार लग र हा है औ र पार्टर्ीीे भीतर से औ र बाहर से भी उनकी तीव्र आलो चना हो र ही है । गै र ो ं को अपना बनाना तो दूर उन्हो ंने अपनो ं को भी गै र बना लिया है ।
शांति प्रक्रिया व संविधान निर्माण कार्य मे ं भी इस दौ र ान को भी उपलब्धिमूलक कार्य नहीं हो पाया है । संवै धानिक समिति मे ं विवाद कायम है , संसद लगातार अवरुद्ध र हा, संविधान मे ं दे े खे गए विवाद को सुलझ ाने के लिए गठित उपसमिति की दूसर ी बार बढर्Þाई गई समय सीमा मे ं एक दिन भी बै ठक नहीं हो पाई । तीसर ी बार के लिए भी समय सीमा बढÞाए जाने पर सहमति हर्ुइ ले किन मसला हल नहीं हो पाया है । उधर से ना समायो जन से संबंधी प्रक्रिया जस की तस पडÞी है । इन्हीं सब कार णो ं से खनाल सर कार की उलटी गिनती शुरु हो गई है । दे खना यह र ह गया है कि वो जे ठ १४ से पहले ही सत्ता छो डÞते है या जे ठ १४ गते के बाद ।
माधव ओली उन्हें हटाने के लिए केन्द्रीय कमिटी की बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं लेकिन खनाल इससे बचने के लिए संसदीय दल की बैठक में भी उपस् िथत नहीं हो रहे है ।