महासमाधि मे लीन
मनीषा सिन्हा
न दवा का असर हुआ औ र न दुआ का, औ र नहीं हो सका कोर् इ चमत्कार । सत्य र्साईं बाबा का सामना भी अंतिम सच से हो गया । एक महीने पहले बाबा को पुट्टापर्थी के अस् पताल में भर्ती कराया गया था । शुरु में बताया गया कि उन्हें निमो निया हुआ था । उसके बाद से बीच में कभी उनकी हालत में थो डी सुधार की खबर आती, फिर स्िथति बिगड जाती । अंतिम तीन दिन से लगातार उनकी हालत बिगडी हर्इ थी । ८६ साल के बाबा के तमाम अहम अंगों ने काम कर ना बंद कर दिया था । उन्हें वेंटीले टर पर र खा गया था । दे श-विदे श के ढर्Þाई दर्जन से ज्यादा डाँक्टर लगातार उनका इलाज कर र हे थे । पर कोर् इ सुधार नहीं हुआ ।
आज विश्व भर में लाखों लो ग श्री सत्य र्साईं बाबा के दे हांत पर आँसू बहा र हे हैं । बाबा के दुनियाभर में करोडों भक्त हैं । श्री सत्य र्साईं बाबा को शिर डी र्साईं बाबा का अवतार के रुप में भी जाना जाता है । बहुत कम लो ग जानते हैं कि र्साईं बाबा विलक्षण प्रतिभा वाले एक साधार ण बालक थे । इनका जन्म आन्ध्र प्रदे श के पुट्टपर्थी गांव में २३ नवंबर १९२६ को हुआ था । वो बचपन से ही बडे अक्कमंद औ र दयालु थे । वो संगीत, नृत्य, गाना, लिखना इन सबमें काफी रुचि र खते थे । एक दिन अचानक ८ मार्च १९४० को जब वो कहीं जा र हे थे तो उनको एक बिच्छू ने डंक मार दिया । इसके कुछ दिनों बाद उनके व्यक्तित्व में खास बदलाव दे खने को मिला । उन्होंने अचानक संस् कृत में बो लना शुरु कर दिया । जिसे वो जानते तक नहीं थे । पिता ने डाँक्टर को दिखाया ले किन कोर् इ भी इस चमत्कार को नहीं समझ सका । २३ मई १९४० को उनकी दिव्यता का लो गों को अहसास हुआ । सत्य र्साईं ने घर के सभी लो गो ं को बुलाया औ र चमत्कार दिखाने लगे । उनके पिता ने उनकी पिर्टाई की औ र पूछा कि तुम कौ न हो – सत्यनार ायण ने कहा मैं र्साईं बाबा हूँ । उन्होंने अपने आप को शिर डी र्साईं बाबा का अवतार घो षित कर दिया । शिर डी र्साईं बाबा, सत्य र्साईं की पै दाइश से ८ साल पहले ही गुजर चुके थे । खुद को शिर डी र्साईं बाबा का अवतार घो षित कर ने के बाद सत्य र्साईं बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड जुटने लगी । उन्हो ंने मद्रास औ र दक्षिण भार त के अन्य हिस् सों की यात्रा की । उनके भक्तों की तादाद बढ गई । उन्होंने कई बार दे श औ र विदे श की यात्रा की । वे अपने संबो धन सभा में कहते कि मैं यहाँ दिल मे ं प्यार औ र श्रद्धा का दीप जलाने आया हूँ । मैं किसी धर्म के प्रचार के लिए या भक्त बनाने नहीं आया हूँ ।
सत्य र्साईं को निधन को ले कर उठा सवाल
श्री सत्य र्साईं बाबा के दहावसान के साथ ही उनकी मौ त के लिए जिम्मे वार कारणों को ले कर सवाल उठने लगे हैं । पुट्टपर्थी आश्रम में काफी लंबे समय से वो लंटियर की भूमिका में र हे एक प्रो फे सर ने श्री सत्य र्साईं बाबा की हालत के बारे में सही सूचना नहीं दे ने पर सवाल खडे किए हैं । इन्हो ंने आंध्र प्रदे श सर कार को एक चिट्ठी लिखी है , जिसमें पूछा है कि पिछले साल सत्य र्साईं बाबा की दे खभाल मे ं जुटे लोगों ने बाबा की हालत के बारे में किए गए सवालों का आखिर जवाब क्यों नहीं दिया । प्रो फे सर श्यामसुंदर ने राज्य सर कार को लिखे पत्र में र्साईं बाबा के निजी सहायक सत्यजीत औ र दे खभाल कर ने वाले अन्य लो गों के खिलाफ गंभीर आरो प लगाए हैं । आरो प है कि इन लो गों ने बाबा के स् वास् थ्य के बारे में लोगों को अंधे रे में र खा जब वो पिछले साल बीमार पडे थे ।
६ जुन १९९३ को र्साईं बाबा पर जानले वा हमला हुआ था । उनके कमरे में चार घुसपै ठियों की पुलिस द्वारा हत्या आज भी र हस् य बनी हर्इ है । उनके बे डरुम के आसपास छह लो गों की हत्या हर्ुइ थी । इस हमले में उनके निजी सचिव राधा कृष्णन मे नन भी मारे गए थे इस घटना के बाद से ही सत्यजीत र्साईं बाबा की दे खरे ख में जुटे हैं । वर्ष२००५ से बाबा व्हीलचे यर पर चलते र हे औ र खर ाब स् वास् थ्य के कार ण लो गों के सामने बहुत कम उपस्िथत हुए । आंध्र प्रदे श सर कार को लिखी चिट्ठी में श्यामसुंदर ने कहा है कि बाबा के आसपास कडÞी सुर क्षा र हती थी औ र वह लंबे समय से दिखाई नहीं दिए । चिट्ठी के मुताबिक ‘भक्तों को कहा गया कि बाबा का स् वास् थ्य ठीक नहीं है , इसलिए उन्हें डिस्र् र्टब कर ना ठीक नहीं हो गा । ले किन उनके स् वास् थ्य के बार े मे ं जार ी की जाने वाली सूचनाएं संदिग्ध र ही हैं ।
र्साई को दिया गया “धीमा जहर ”
सत्य र्साईं बाबा के कर ीबी सत्यजीत औ र निजी चिकित्सक डाँ. अययर की जान को खतरा है । इस बारे में खुफिया रि पो टोर् के बाद र ाज्य सर कार ने इन लो गो ं को कम से कम बाहर निकलने की सलाह दी है । तमिलनाडु मे ं र हने वाले सत्यजीत कई वषोर ं से बाबा की दे खभाल कर ते र हे है ं । हालांकि उनके ऊपर उस वक्त से कई आरो प लगे , जब सत्य र्साईं बाबा गत २८ मार्च को अस् पताल मे ं भर्ती हुए । पुलिस सूत्रो ं के मुताबिक गंभीर आरो प यह है कि सत्यजीत ने बाबा को सही समय पर आहार नहीं दिया औ र बडÞी मात्रा मे ं दर्द निवार क दवाएं दी जिससे कि हालत दिन- व-दिन बिगडÞती चली गई ।
सत्य र्साईं इंस् टीट् यूट आँफ हायर मे डिकल साइंसे ज में बाबा का इलाज कर ने वाले डाँक्टर ो ं ने हालांकि न तो इसकी पुष्टि की औ र नहीं इससे इंकार किया कि बाबा को अस् पत ाल मे ं भर्ती हो ने से पहले दर्द निवार क दवा ओ ं की बडÞी खुर ाक दी गई । बाबा को सांस मे ं तकलीफ के बाद अस् पत ाल मे ं भर्ती कर ाया गया था । गत २४ अपै ्रल र विवार सुबह सत्य र्साईं ने अंतिम सांस ली ।
यह खबर आने के बाद कि कुछ लो ग बाबा के कुछ बे हद कर ीबियो ं को खत्म कर ने की साजिश र च र हे है ं, सर कार ने सत्य र्साईं ट्रस् ट के सभी पदाधिकारि यो ं की सुर क्षा बढÞा दी है । सत्यजीत को सत्य र्साईं से ंट्रल ट्रस् ट का वारि स बनाए जाने की पूर ी संभावना है , क्यो ंकि अधिकतर सदस् य उनके पक्ष मे ं दिखाई दे र हे है ं । र्साईं बाबा का कोर् इ भी मे डिकल रि कार्ँड नहीं र खने को ले कर कई भक्त डा. अययर की आलो चना कर ते र हे है ं । औ र यहाँ तक कि उन्हे ं जान से मार ने की धमकी भी दी गई, जब बाबा अस् पताल मे ं भर्ती थे । सत्य र्साईं के आश्रम प्रशांति निलयम की ओ र से यह खुलासा किया गया है ।
कौ न हो गा सत्य र्साईबाबा का वारि स –
सत्य र्साईं बाबा ने अपने पीछे जो चालीस हजार कर ो डÞ रुपये से ज्यादा की संपत्ति औ र विर ासत छो डÞी है उसको ले कर उनके कर ीबी लो गो ं के बीच खामो शी से खींचातानी शुरु हो गई है । हालांकि आम र ाय यह है कि जाने माने व्यक्तियो ं से बना सत्य र्साईं से ंट्रल ट्रस् ट इस समस् या का कोर् इ समाधान निकाल ले गा । २७ अप्रै ल को र्साईंबाबा के अंतिम संस् कार के बाद सम्भावना है कि सत्य र्साईं से ंट्रल ट्रस् ट की बै ठक हो गी औ र उसमे ं इसी सवाल पर कोर् इ फै सला हो गा कि बाबा के बाद ट्रस् ट का काम कौ न संभाले गा ।
अब तक इस ट्रस् ट के अध्यक्ष र्साईं बाबा ही थे औ र ट्रस् ट की हर बै ठक की अध्यक्षता वही कर ते थे ले किन अब पहली बै ठक हो गी जो बाबा के बिना हो गी, जहाँ तक बाबा की संपत्ति की विर ासत के लिए हो ने वाले खामो श युद्ध का सवाल है , इसमे ं दो नाम उभर कर सामने आए है ं, एक तो र्साईं बाबा के भतीजे आर जे र त्नाकार है ं, जिन्हे ं गत वर्षही इस ट्रस् ट मे ं शामिल किया गया था, वो बाबा के परि वार के एक मात्र सदस् य है ं, जिन्हे ं ट्रस् ट मे ं शामिल किया गया । र त्नाकार स् थानीय भक्ति टीवी चै नल चलाते है ं, उन्हे ं उनके पिता जानकीर म की मौ त के पाँच वर्षबाद उनके स् थान पर ट्रस् ट मे ं लिया गया । र त्नाकार चाहते है ं कि बाबा के बाद उनकी विर ासत उनके परि वार वालो ं को ही मिलनी चाहिए । परि वार के दूसर े सदस् य भी यही चाहते है ं ले किन वो र त्नाकर के खिलाफ है ं, दूसर े व्यक्ति का नाम सत्यजीत है ं, वो इस ट्रस् ट के सदस् य तो नहीं है ं ले किन गत तीस वषोर् ं से वो बाबा के बहुत निकट र हे है ं औ र उनके व्यक्तिगत सहायक के रुप मे ं काम कर ते र हे है ं ।
सत्यजीत का सम्बन्ध चे र्न्नई से है औ र पाँच वर्षकी आयु से वो र्साईं बाबा के आश्रम मे ं र ह र हे है ं । उनकी स् कूल की शिक्षा भी आश्रम मे ं हर्ुइ औ र उन्हो ंने सत्य र्साईं विश्वविद्यालय से ही एमबीए किया । उसके बाद भी वो आश्रम छो डÞ कर जाने को तै यार नहीं हुए औ र उन्हो ंने आखिर दम तक बाबा की से वा की । सत्यजीत को ट्रस् ट मे ं ले ने औ र उन्हे ं ट्रस् ट की बागडो र थमाने के सवाल पर ट्रस् ट की बै ठक मे ं ही फै सला किया जाएगा । इस ट्रस् ट मे ं बाबा को छो डÞ कर ग्यार ह सदस् य है ं, जिनमे ं सुप्रीम कोर् ट के पर्ूव मुख्य न्यायाधीश पीएन भगवती, उद्यो गपति वी श्रीनिवासन औ र ट्रस् ट के सचिव पर्ूव आईएएस अधिकार ी चक्रवर्ती भी शामिल है ं ।
से ंट्रल ट्रस् ट के सामने एक बडÞी दुविधा यह भी है कि ट्रस् ट के तर फ से बै ंक के चे क जार ी कर ने का अधिकार किसे दिया जाए । अब तक यह अधिकार खुद बाबा औ र ट्रस् ट के सचिव चक्रवर्ती के पास र हा है । १९७२ मे ं इस ट्रस् ट को र जिस्र् र्टड कर ते समय जो दस् तावे ज दाखिल किए गए थे , उसमे ं न तो किसी को बाबा का उत्तर ाधिकार ी नामजद किया गया औ र ना ही उत्तर ाधिकार ी चुनने का कोर् इ तर ीका तय किया गया । इस लिए यह एक कठिन समस् या है की ट्रस् ट आगे क्या कर े ।
इसी सर्न्दर्भ मे ं कुछ लो गो ं ने मांग की है कि सत्य र्साईं की संपत्ति के दुरुपयो ग को र ो कने के लिए सर कार इस ट्रस् ट को अपने नियंत्रण मे ं ले ले । ले किन मुख्यमंत्री किर ण कुमार र े ड्डी ने इससे इंकार कर दिया है । खुद ट्रस् ट के कुछ लो गो ं का कहना है कि अब तक जिस इमान्दार ी के साथ इस ट्रस् ट को चलाया जाता र हा है , वो सर कार के हाथ मे ं जाने के बाद असंभव हो जाएगा ।
सत्य र्साईं बाबा के १६५ दे शो ं मे ं फै ले उनके साम्राज्य के सभी फै सले १९७२ मे ं स् थापित श्री सत्य र्साईं से ंट्रल ट्रस् ट - एसएससीटी) के अधीन हो जाएंगे । संपत्ति पुट्टपर्थी मे ं सत्य र्साईं विश्वविद्यालय, २२० बिस् तर ो ं वाला श्री सत्य र्साईं इंस् टीट्यूट आँफ हायर मे डिकल साइंसे ज, विश्व धर्म संग्रहालय चै तन्य ज्यो ति, तार ामंडल, र े लवे स् टे शन, इनडो र औ र आउटडो र स् टे डियम, संगीत काँले ज, प्रशासनिक भवन, हवाईअड्डा । अन्य स् थानो ं पर उजब बै गलुरु मे ं विशे ष सुविधाओ ं वाला अस् पताल, कुछ अन्य अस् पताल -दो ने त्र अस् पताल भी शामिल, १६५ दे शो ं मे ं १,३०० सत्य साइृ बाबा के ंद्र ३३ दे शो ं मे ं खो ले गए स् कूल, डिजिटल र े डियो ने र्टवर्क । प्रशंति निलयमः पुट् टपर्थी मे ं प्रशान्ति निलयम सत्य र्साईं बाबा का मुख्यालय है । गर्मियो ं मे ं वे बै ंगलुरु के बाहर ी इलाके व्हाइट फील्ड मे ं वृंदावन औ र को डै कनाल मे ं र्साईं श्रुति आश्रम मे ं र हते थे । वारि स के चक्रवर्तीः अनंतपुर के कले क्टर र हे सत्य र्साईं यूनिवर्सिटी के कुलपति बनेये है ं ट्रस् ट के सदस् य इंदुलाल शाह ः मुर्ंबई के सीए पीएन भगवतीः पर्ूव सीजे आई । नागानंदः प्रतिष्ठित वकील आर जे र त्नाकर ः बाबा के भतीजे औ र ट्रस् ट मे ं इकलौ ते रि श्ते दार जी वे ंकटर मनः ख्यात वै ज्ञानिक, विदे श प्रभाग के उपाध्यक्ष माइकल गो ल्डस् टे नः अंतर्र ाष्ट्रीय सत्य र्साईं संगठन के अध्यक्ष जाँन हिस् पल ले खक जी श्रीनिवासनः बाबा के कर ीबी आइजे क टिगर े ट बर्टनः सत्य र्साईं ट्रस् ट के बडÞे दान दाता ।
विकल्पः र ाष्ट्र के पास र हे ंगे अधिकार चक्रवर्ती या गिर ी मे ं से किसी एक को निर्ण्र्ााले ने के लिए अधिकृत किया जा सकता है । इससे हजार ो ं कर ो डÞ की संपत्ति का र खर खाव ट्रस् ट के पास ही र हे गा । तिर प्ति की तर्ज पर र ाज्य सर कार हिन्दू धर्म एवं पर ो पकार ी निधि कानून के सहार े सत्य र्साईं से ंट्रल ट्रस् ट का अध्रि्रहण कर सकती है । संबंधियो ं को र खा दूर बाबा के भाई आर वी जानकीर ाम ट्रस् ट मे ं थे , जिनका २००५ मे ं निधन हो गया । उनके बे टे आर जे र त्नाकर र ाजू को पिछले साल ट्रस् ट का सदस् य बनाया गया, ले किन उनके पास फै सले ले ने का हक नहीं है ।