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विजेता चौधरी, काठमांडू, कार्तिक २६ ।
इधर प्रचण्ड सरकार ने अपने सौ दिन पूरे किए है उधर सरकार की उपलब्धि व कमजोरी के आंकडों का जोड–घटाव चल रहा है । दूसरी तरफ संविधान संशोधन के प्रति सरकार के रवैए से मधेशी मोर्चा फिर से आन्दोलन को उन्मुख हो रही है ।
प्रचण्ड सरकार को समर्थन करनेवाली मोर्चा आज धोखाधडी का आरोप लगाते हुए अगहन महीने से आन्दोलन में जाने की तैयारिंया करने में लगी हुई  है, तो दूसरी तरफ सरकार संविधान संशोधन का वचन देते नहीं थक रही ।
देश में राजनीतिक तिकडम पुनः एक बार जोड पकडे हुए है । सरकार को समर्थन देने के बाद से संसद में मौन बैठती आ रही मोर्चा आवद्ध सांसदो का काफिला पुनः संसद से संघर्ष की शुरुवात करते हुए आज सदन बैठक का बहिष्कार किया है ।
सदभावना के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने इस मामले में कहा कि यदि संसद में संविधान संशोधन दर्ता हुवा तो सरकार अपना काम पूरा करेगी । उस के बाद संसदीय प्रक्रिया आगे बढेगी  । लेकिन यदि संशोधन पारित नहीं हुआ तो हम नहीं मानेगें  और संशद में संघर्ष जारी रहेगा ।
मधेशी मोर्चा सहित संघीय गठबन्धन ने तीन बँुदे सहमति कार्यान्वयन में सरकार को धोखा देने का आरोप लगाते हुए आन्दोलन का विकल्प नहीं होने का निष्कर्ष निकाला है ।
सदभावना पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने इस मामले में बोलते हुए कहा– संविधान तो कार्यान्वयन हुआ ही नहीं है । जबतक संविधान संशोधन नहीं होगा तब तक यहाँ न तो निर्वाचन होगा ना तो संविधान ही कार्यान्वयन होगा । महतो ने कहा, प्रधानमन्त्री ने संशोधन दर्ता करने की बात कही है, यदि ये कार्य नहीं हुआ तो संघीय लोकतान्त्रिक प्रणली लागू ही नहीं होगा ।
वहीं मोर्चा ने कहा कि संविधान संशोधन प्रस्ताव दर्ता के विषय में सरकार बार बार बोली बदल रही है, कांग्रेस व माओवादी केन्द्र दोनो ने हमें धोखा दिया आरोप है ।  वही सदभावना के अध्यक्ष महतो  सरकार संशोधन प्रस्ताव दर्ता करने का वचन देने के बात पर अडे हुए कहते हैं– हम अभी इसी लिए सरकार के प्रति नरम है । यद्यपि अगर हम सफल नहीं हुए तो संघर्ष में जाने की बात तय है ।
सीमांकन, भाषा, नागरिकता, समानुपातिक, समावेशी, राष्ट्रीय सभा में प्रतिनिधित्व लगायत की माँगें हैं और संविधान संशोधन का प्रस्ताव दर्ता करवाना ही मोर्चा व गठबन्धन के लिए लोहे का चना सावित हो रहा है । सरकार व मधेशी दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते आ रहे हैं । देश में राजनीतिक मामला एक बार फिर संघर्ष उन्मुख हो रहा है ।
अध्यक्ष महतो ने कहा कि अगर दो तिहाइ नहीं पहँुचा तो संशोधन प्रस्ताव के विरुद्ध भोट डालने वाले के विरुद्ध आन्दोलन करेंगें ।
गठबन्धन ने इस मामले में कहा सरकार शनिबार को अन्तिम स्मरण पत्र दिया जाएगा । वहींं बताया जा रहा है सरकार को दिया गया समर्थन वापस लेने या ना लेने के विषय में भी मधेशी दल पुर्नविचार कर रही है ।
इस अवस्था को देखते हुए लग रहा है मधेशी मोर्चा को सरकार को समर्थन नहीं देने का राजनीतिक विश्लेषकों की राय सही सावित हो रहीं है ।



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