मधेशी व जनजाति पार्टियों की मांगें अविलंब पूरी करें : डॉ. ललन चौधरी
डॉ. ललन चौधरी, काठमांडू , ६ फरवरी |
संविधान संशोधन विधेयक एवं चुनाव संबंधित मुद्दों को लेकर सियासी पार्टियां, प्रतिपक्षी दल, मधेशी व जनजाति पार्टियों के बीच रस्साकशी चल रही है । सत्तारुढ़ पार्टियां संशोधन विधेयक को उपेक्षा कर संविधान में दर्ज समय–सीमा के भीतर चुनाव कराने के लिए रुपरेखा तय करने में जुटी हैं । मुख्य प्रतिपक्षी पार्टी एमाले संविधान की जरुरत को लगातार खारीज करती आ रही है । उधर मधेशी एवं जनजाति पार्टियों की दलील है कि संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद चुनाव संबंधित विधेयक पारित होना चाहिए और स्थानीय निकायों के चुनाव की तारीख घोषित की जानी चाहिए । दूसरी तरफ बड़ी सियासी पार्टी कांग्रेस इस मामले में लचीले होकर आगे बढ़ रही है । यही है देश की मौजूदा स्थिति ।
साफ है कि इन्हीं सवालों में उलझने के कारण देश पुनः मुठभेड़ की ओर अग्रसर हो रहा है । वैसे देश में चुनाव होना आवश्यक है । क्योंकि चुनाव लोकतन्त्र का मेरुदंड है । चुनाव के जरिये देश में सुशासन की स्थापना की जा सकती है । सरकार को पारदर्शी व जवाबदेही बनायी जा सकती है । लेकिन गौरतलब है कि चुनाव कैसे और किसके लिए हो ? देश में सदियों से वंचित, शोषित एवं बहिष्कृत समुदायों को अलग करके चुनाव करवाया जाता है, तो वह चुनाव मान्य नहीं होगा । क्योंकि चुनाव पानीपत नहीं है । चुनाव तो एक महाकुंभ है, जिस महाकुंभ में स्नान करने से लोगों की मुक्ति प्राप्त होती है । इसलिए इस महाकुंभ में मधेश व जनजाति पार्टियों की भी भागीदारी होनी चाहिए ।
समग्रतः कहा जा सकता है कि मधेशी एवं जनजाति पार्टियों की मांगों को पूरी किए बगैर चुनाव करवाया जाता है, तो देश में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है । बहरहाल जरुरी है कि पहले मधेशी एवं जनजाति पार्टियों की मांगें पूरी करें, उसके बाद चुनाव करवाया जाए । इसी में हम सबकी भलाई है ।
(डॉ. ललन चौधरी मधेशी बुद्धिजीवी हैं ।)
1 thought on “मधेशी व जनजाति पार्टियों की मांगें अविलंब पूरी करें : डॉ. ललन चौधरी”
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Yo deshko lagi ramro bahas garen auta madesh taraiko awaj lai sunichit gareka xen. yasto bichar sabai netama vaitiyeko bai dont e hunden hola. ramro bicharlai ………………………….