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दो नम्बर प्रदेश में दौरा–सुरुवाल प्रतिबंध !

काठमांडू, २ फरवरी । ‘दौरा–सुरुवाल’ को नेपाल के लिए मौलिक पोशाक मानते हुए विगत में औपचारिक कार्यक्रम में सरकार की ओर से ही इस को अनिवार्य किया गया था । कहा जाता था कि यह राष्ट्रीय पोशाक है । लेकिन वि.सं. २०६३–०६४ के जनआंदोलन और मधेश आंदोलन के बाद राजनीतिक वृत्त में कई लोगों ने इस पोशाक को औपचारिक पोशाक मानने से इन्कार किया । विशेषतः मधेशी, जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोग दौरा–सुरुवाल को औपचारिक पोशाक मानने से इन्कार करते आ रहे हैं । अब तो दो नम्बर प्रदेश में औपचारिक रुप में ही इस को प्रतिबंध लगाने की तैयारियां हो रही है ।


आज प्रकाशित राजधानी दैनिक के अनुसार २ नम्बर प्रदेशसभा में परिचालित मर्यादापालकों से दौरा–सुरुवाल को प्रतिबंध किया जाएगा । अर्थात् २ नम्बर प्रदेशसभा में परिचालित होनेवाले मर्यादापालकों (सिभिल सुरक्षाकर्मी) को दौरासुरुवाल पहनने में प्रतिबंध लगाया जाएगा । उन लोगों को कोर्ट–पाइंट पहनने के लिए अनुरोध किया जा रहा है । जनकपुर में बिहीबार सम्पन्न सर्वदलीय बैठक ने यह निर्णय किया है ।
संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के नेता एवं प्रदेश २ के सांसद रामआशीष यादव ने कहा है कि दौरा–सुरुवाल मैथिली संस्कृति से मेल नहीं खाती है, इसीलिए यहां दौरा–सुरुवाल की विकल्प में कोर्ट–पाइंट की व्यवस्था की जा रही है । कांग्रेस नेता एवं प्रदेशसभा सदस्य रामसरोज यादव के अनुसार बैठक ने प्रदेशसभा सदस्य के लिए भी ‘ड्रोसकोट’ तय किया है । उनके अनुसार प्रदेशसभा सदस्य, ब्राउन कलर की कोर्ट और बण्डी औपचारिक ड्रेस के रुप पहन सकते हैं ।



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