प्रधान्मन्त्री रष्ट्रपति पर लगाया आरोप , कहा विकास ही अबरुद्ध ।
८ सेप्टेम्बर, प्रधानमन्त्री बाबुराम भट्टराई ने जनता के हक अधिकार सुनिश्चित करने के लिये सरकार व्दारा तैयार किया गया विधेयक को रष्ट्रपति व्दरा रोके जाने पर नरजगी यक्त कि है । अपनी गृह जिल्ला गोर्खा मे आयोजित एक कार्यक्रम मे बोलते हुये प्रधानमन्त्री ने जनता से आग्रह किया कि वे जाकर राष्ट्रपति से पुछे कि विधेयक को क्यों रोका है । सत्य निरुपण और बेपत्ता आयोग विधेयक सम्बन्धीत अध्यादेश तैयार करने मे काफी समय लगा था जिसको रष्ट्रपति ने रोक रखा है । प्रधान्मन्त्री ने कहा कि ्जनता इसका कारण जाकर राष्ट्रपति से पुछे कि अध्यादेश क्यों रोका गया है।
संसद नही होने पर विश्वभर के सभी देश मे यही चलन है कि अध्यदेश के मार्फ्त सरकार चलती है । प्रधानमन्त्री ने कहा कि विश्व भर मे यही नियम है मैने कोइ नया काम नही किया है । उन्होंने ने चेतावनी देते हुये कहा कि देखें कितना दिन तक रोककर रखते हैं ? उन्होंने आगे कहा कि अध्यादेश पास नही होने तक शहिद का सपना साकार नही होगा और अब शहिद ही अध्यादेश विरोधियों के भविष्य का फैशला करेगा ।
नेपाली जनता के आधारभुत आवश्यकता स्वास्थ,शिक्षा तथा गरिव जनता के लिये अलग से परिचयपत्र देने कि ब्यवस्था अध्यादेश मे समावेस किया गया था । इतिहास मे पहली वार गरिब जनता को परिचयपत्र देने की तैयरी सरकार व्दारा की गयी थी जिसको कि विरिधियों व्दारा रष्ट्रपति पर दबाव देकर रोक दिया गया है ।
प्रधानमन्त्री डा. बाबुराम भट्टराई ने कहा कि राष्ट्रपति समक्ष सिफारिश किया गया शिक्षा ऐन का आठवां संशोधन अध्यादेश जारी करने मे हो रही बिलम्ब के कारण शिक्षा क्षेत्र के विकास भी अवरुद्ध हो गया है। राष्ट्रिय शिक्षा दिवस तथा अन्तर्राष्ट्रिय साक्षरता दिवस २०६९ के अवसर पर आयोजित पुरस्कार वितरण कार्यक्रम मे प्रधानमन्त्री भट्टराई ने प्रस्ट्किया कि पेश किया गया संशोधित ऐन मे कक्षा ८ तक आधारभूत तह मानतेहुये निःशुल्क और अनिवार्य की व्यवस्था कीगयी है, मावि तक क्रमशः निःशुल्क का प्रस्ताव है तथा कक्षा १२ तक मावि के एकीकृत संरचना मे लाने का प्रयाश किया गया है ।
