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नेपाल के संदर्भ में चीन और भारत के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं : डीसीएम मजूमदार

काठमाणडू स्थित भारतीय दूतावास के डीसीएम श्री जय दीप मजूमदार २४ सितंबर  को रोटरी क्लब अफ पाटन की नियमित साप्ताहिक बैठक में   अतिथि वक्ता के रूप में आमण्त्रीत किये गये थे । अति विशिष्ट व्यक्तियों की उपस्थिति मे उन्होंने अपना विचार ” नेपाल भारत सम्बन्ध – भ्रम और वास्तविकता ” विषय पर रखा ।
उनके अनुसार आम तौर पर लोगों का कहना है कि दोनों देशों के बीच एक विशेष संबंध है । लेकिन उन्होंने ने कहा कि दोनों देशों के बीच  केवल विशेष संबंध नहीं है, यह उससे कुछ ऊपर है  लोगों और लोगों के बिच का सम्बन्ध है, लोगों के रिश्ते को जोडता हुआ उनके सभ्यता, संस्कृति, और इतिहास से जुडा हुआ सम्बन्ध है  ।
जब हम नेपाल और भारत के बीच संबंध की बात करते हैं, तो सबसे पहले दोनों देशों के बीच १९५० में हुइ संधि की बात शुरू होती है । इस संधि के अनुसार दोनो देश के नागरिक को रहने, खरीदने और एक दूसरे के देश में काम करने की सुविधा उपल्बध है । एक नेपाली भारत में राज्य सरकार और केन्द्रीय सरकार में भी काम कर सकता है । यहां तक ​​कि एक भारतीय को भी इस संधि के अनुसार नेपाल में भी वही सुविधा उपल्बध है, लेकिन यह व्यवहार में किसी वजह से नहीं है ।
आगे जानकारी देते हुये श्री मजूमदार ने कहा कि १९५० की संधि मे भारत के राजदूत और नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा हस्ताक्षर किया गया है । आमतौर पर राजदूत के लिए अपने देश के संबंधित सरकार की ओर से संधियों पर हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाता है । अगर यह संधि आज किया गया होता तो यह दोनों देशों के प्रधानमंत्री द्वारा हस्ताक्षरित होता ।
यहाँ अक्सर सुना जाता है कि १९५० की संधि मे संशोधन की जाय । भारत हमेशा से संधि की समीक्षा करने और वर्तमान वास्तविकता और आवश्यकता अनुसार उपयुक्त संधि को आधुनीकिकरण करने को तैयार है ।
जहाँतक द्विपक्षीय निवेश संरक्षण एवं संवर्धन समझौता BIPPA का प्रश्न है तो नेपाल भारत से पहले  ही  फ्रांस और जर्मनी के साथ समझौता पर  हस्ताक्षर कर चुका है । अब यह दुनिया भर में अभ्यास मे लाया जारहा है । अगर एक देश में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की जरूरत है तो उसे बीपा BIPPA को अपनाना होगा अन्यथा कोई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश देश मे नही हो सकता है ।
नेपाल में लगभग एक लाख पच्चीस हजार सेवानिवृत्त  गोरखा सैनिक हैं जिसे कि भारत सरकार पेंशन दे रही है। नेपाल के दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में भी पेंशन वितरण के लिए भारत सालाना  २००० करोड़ का भुगतान करती है ।
जहाँ तक सीमा अतिक्रमण का सवाल है तो इसमे भी ९८% सीमा का सीमांकन हो चुका है और वहाँ कोई विवाद नहीं है । जहाँ कहीं भी अतिक्रमण है तो यह दोनों देशों के किसानों के द्वारा हो रहा है । बिहारके तरफ नेपाल के लोगों व्दारा भारतीय भूमि में अतिक्रमण किया गया है तो यू पी के तरफ भारत के लोगों व्दारा नेपाली भूमि में अतिक्रमण है । यह स्थानिय स्तर पर दोनो देशों के अधिकारियों व्दारा इसका हल किया जा सकता है ।
श्री मजूमदार ८ वर्ष चीन में राजनयिक के रूप में सेवा की है और उनके अनुसार नेपाल के संदर्भ में चीन और भारत के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है ।
कभी कभी खबर में भारत द्वारा नेपाल के सिक्किमिकरन Sikimisation की बात आती  है तो यह एक भ्रम मात्र है. वास्तविकता यह है कि नेपाल एक संप्रभुसत्ता सम्पन्न देश है और वह भारत से बहुत पहले हुआ है । भारत द्वारा नेपाल के किसी भी  आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है ,  हम एक दूसरे देशों के संप्रभुसत्ता का सम्मान करना चाहते हैं ।

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