Sat. Dec 7th, 2024

देसी स्टएल :
रिंकु वर्मा

आज जब हर तरफ पर्यावरण संरक्षण की बात हो रही है तो फैशन की दुनिया इससे कैसे अछूती रह सकती है। इसी वजह से आउटफिट्स से लेकर एक्सेसरीज तक इन सभी चीजों को इको प|mेंड्ली और आर्ँगेनिक बनाने के लिए फैशन डिजार्इनर्स और बडे ब्रैंड्स बहुत तेजी से आगे आ रहे हैं।
यंगर्स्र्टस तक ऐसे ट्रेंड पहुंचाने का पूरा श्रेय फैशन डिजार्इनर्स को जाता है, जिन्होंने न सिर्फफैब्रिक, बल्कि कलर्स, कट्स और डिजाइंस के मामले में भी कई प्रयोग करते हुए वेस्ट समझे जाने वाली चीजों को नए अंदाज में पेश किया है। अब डिजार्इनर्स का फोकस आर्ँगेनिक क्लोदिंग और इको-प|mेंडली प्रोडक्ट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने पर है।
आर्ँगेनिक फैशन में नया लेबल ग्रासरूट्स लाँन्च किया, जिसमें केवल आर्ँगेनिक फैब्रिक और वेजिटेबल डाइज का प्रयोग करके पूरी नई रेंज फैशन वीक में पेश की।
इस कोशिश के माध्यम से हम वातावरण को साफ औरस्वच्छ रख सकते हैं। जहां तक फैब्रिक की बात है, फैशन डिजार्इनर्स  केवल आर्ँगेनिक फैब्रिक का ही इस्तेमाल करती हैं। प्रोडक्ट्शन के हर स्टेज में इस बात का पूरा खयाल रखा जाता है कि किसी भी प्रकार के केमिकल के प्रयोग से बचें।
फैशन डिजाइनर सामंत चौहान ने भी एनवाँयरमेंट प|mेंडली डिजाइंस २००९ में विल्स फैशन वीक में शोकेस किया था। उनका सिल्क रूट कलेक्शन १०० प्रतिशत राँ-भागलपुरी सिल्क से तैयार किया गया था। सामंत कहते हैं, मैं बिहार के भागलपुर का ही रहने वाला हूं। यहां का पारंपरिक सिल्क बेहतरीन है। इसलिए मैंने इसकी पूरी रेंज शोकेस की। खुशी इस बात की है कि मुझे काफी सराहना भी मिली। अभी हाल में ही न्यू यार्ँक फैशन इंस्टीट्यूट आँफ टेक्नोलाँजी की प्रोफेसर, सैस ब्राउन ने इको-फैशन नाम से एक किताब लिखी है। इस किताब में उन्होंने भारत के फैशन डिजाइनरों में केवल मेरे ही कलेक्शन का जिक्र किया है।
सामंत अपने कलेक्शन में नैचूरल कलर्स का प्रयोग करते हैं और एंब्राँयडरी के लिए केवल वेस्ट का इस्तेमाल करते हैं और पर्ैर्टन डिजाइन करते वक्त जीरो वेस्टेज का खासा ध्यान रखते हैं।
फैशन डिजाइनर निक्की महाजन कहती हैं कि, कपडÞे डिजाइन करते समय मुझे हमेशा बुरा लगता था, जब मैं ज्यादा फैब्रिक बर्बाद होते हुए देखती थी। जितनी भी कतरन निकलती, सब फेंक दिया जाता था। मैंने सोचा इसे किसी तरह रोकना चाहिए। फिर मैंने तय कर लिया कि इन कतरनों को बर्बाद नहीं होने दूंगी। यही कारण है कि आँटम-विंटर २०११ विल्स लाइफस्टाइल इंडिया फैशन वीक में मेरा फोकस केवल कतरनों के प्रयोग से ही पूरी कलेक्शन की रेंज तैयार करना था। मैंने हजार पैचेज को जोडकर एक ड्रेस तैयार की। मैंने अपनी इस छोटी सी कोशिश से वेस्ट का बेस्ट यूज किया है।
फैशन डिजार्इनर्स ही नहीं, बडे-बडे ब्रैंड्स और स्टोर्स भी इस काँन्सेप्ट को बढाने में मदद कर रहे हैं। वेस्टसाइड स्टोर ने फैशन डिजाइनर वेंडल राँडि्रक्स से रीसाइकल्ड काँटन फाइबर से बने इको-काँटन गार्मेट्स डिजाइन करवाए हैं। इस कलेक्शन की रेंज बाँसा-नोवा लेबल से उपलब्ध है।
र्फक आर्ँगेनिक और इको प|mेंड्ली का अकसर लोग आर्गेनिक और इको प|mेंड्ली चीजों को एक ही समझ लेते हैं, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। दरअसल आर्गेनिक का अर्थ ऐसी चीजों से है, जिन्हें उपजाने से लेकर उन्हें बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया के दौरान किसी तरह के रासायनिक खाद, कीटनाशकों या प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल नहीं किया जाता। आर्ँगेनिक फैब्रिक में काँटन, सिल्क, बैंबू और हैंप फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है।
जबकि इको प|mेंड्ली का अर्थ वैसी चीजों से है, जिन्हें बनाने में भले ही कुछ कृत्रिम चीजों का इस्तेमाल किया गया हो, लेकिन उनके इस्तेमाल से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। क्योंकि ऐसी चीजों के इस्तेमाल के बाद रीसाइक्लिंग के जरिये इनसे दूसरी उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं। आर्ँगेनिक चीजें इको प|mेंड्ली हो सकती हैं, लेकिन इको प|mेंड्ली चीजें आर्ँगेनिक नहीं हो सकतीं।

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