प्रधानमन्त्री लोकतन्त्र विरोधी गतिविधि में, तत्काल इस्तिफा देकर जीर्ण शरीर को विश्राम देना चाहिएः डा. भट्टराई
काठमांडू, ९ मई । जनता समाजवादी के सांसद् तथा पूर्व प्रधानमन्त्री डा. बाबुराम भट्टराई ने कहा है कि प्रधानमन्त्री केपशीर्मा ओली लोकतन्त्र विरोधी गतिविधि में संलग्न हो रहे हैं और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उनका शरीर भी जीर्ण हो चुका है । डा. भट्टराई को कहना है कि ऐसे कई कारण है, ताकि प्रधानमन्त्री को तत्काल इस्तिफा देकर आराम करना जरुरी है । शुक्रबार आयोजित संघीय संसद् की बजेट अधिवेशन को सम्बोधन करते हुए उन्होंने ऐसा कहा है ।
डा. भट्टराई को मानना है कि राजनीतिक दल विभाजन और संवैधानिक परिषद् संंबंधी जो अध्यादेश प्रधानमन्त्री ओली की ओर से आया है, उससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान सरकार तथा प्रधानमन्त्री ओली लोकतन्त्र विरोधी हरकत में क्रियाशील हैं । उनका यह भी मानना है कि जनता समाजवादी पार्टी के सांसद् डा. सुरेन्द्र यादव को अपहरण करने के लिए प्रधानमन्त्री की अप्रत्यक्ष और उनके निकटस्थ नेतओं की प्रत्यक्ष संलग्नता रही है । उन्होंने आगे कहा– ‘प्रधानमन्त्री की ओर से लोकतन्त्र विरोधी गम्भीर गतिवधि हो रही है, नैतिकता के आधार में पद से इस्तिाफ देना ही ठीक है ।’ डा. भट्टराई ने आगे कहा– ‘आप जिस उचाई पर हैं, वही रहना चाहिए । अनावश्यक गतिविधि में संलग्न होने के कारण आप स्वयम् के ऊपर अन्याय कर रहे हैं । विविध रोग के कारण भी आप की शरीर जीर्ण हो चुकी है, उसको आराम देने के लिए भी आप को इस्तिफा देनी चाहिए ।’
डा. भट्टराई ने यह भी कहा है कि ओली के बाद जो भी प्रधनमन्त्री बनेंगे, वह पूर्व प्रधानमन्त्रियों में से नहीं होना चाहिए और जो भी होंगे, उनकी उम्र ६०–६५ साल से कम होना चाहिए । उनका मानना है कि अगर ऐसा होता है तो राजनीति में नयां पीढ़ी के लोग आगे आ जाएंगे, जो देशको नयां दिशा दे सकते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि नेकपा को जनता ने ५ साल के लिए म्यान्डेट दी है, इसीलिए भावी प्रधानमन्त्री तथा सभी मन्त्री नेकपा से ही हो, इसमें किसी की भी दावी नहीं रहेगी ।
इसीतरह टीकापुर घटना में दोषी ठहर सांसद् रेशम चौधरी के ऊपर लगाया गया मुद्दा वापसी और नेत्रविक्रम चन्द विप्लव को क्षमादान के लिए भी डा. भट्टराई ने सरकार से आग्रह किए हैं ।