जीवन के क्षण :सच्चिदानन्द चौबे
सच्चिदानन्द चौवे
मैने जीवन के क्षण काटे मैं मधुमय जीवन क्या जानूं मैं भाँति भाँति से समझ चुका जग जीवन की परिभाषाएँ इतने विस्तृत जग प्रांगण में सीमित है मेरी आशाएँ जीवन नौका से टकराती बन करके निपट निराशाएँ मेरे उर में मर मिटी आज मेरे उर की अभिलाषाएँ मैंने दुःख का ताण्डव देखा मैं सुख का नर्तन क्या जानंू मैंने जीवन के क्षण काटें मैं मधुमय जीवन क्या जानूं सुख दिवस न मैंने देख पाए देखी केवल दुःख की रातें अपने ही आगे अपनो की देखी हैं स्वार्थ भरी घातें मन का दुःख हलका करने को दो शब्द न कह पाया जग से सुनता ही आया हूँ अव तक जग की कटु व्यंग भरी बातें मैं एक रंग में रंगा हुआ नौ–नौ आनुषर्ण क्या जानूं मैंने जीवन के क्षण काटे मै मधुमय जीवन क्या जानू नेपालगन्ज–११ बाँके