Fri. Mar 29th, 2024
himalini-sahitya

मा

मनीष कुमार श्रीवास्तव



माँ
एक एहसास
एक सुखद मिठास
र्
कई बार सुना था,
माँ बनना
ऐसा होता है, वैसा होता है
माँ शब्द में पूरा ब्रहृमाण्ड समय रहता है ।
माँ ममता, प्रेम, करुणा की प्रतिमर्ूर्ति होती है,
माँ शांति, दया और सुख की अनुभूति होती है

लेकिन माँ शब्द की गरिमा
जाना माँ बनने के बाद ।
जब मेरी बेटी तुतलाकर ममा बुलाती है,
सब कुछ अपने साथ मुज्गे भी खिलाती है ।
चाहे वह
दूध, फल हो, मिर्ठाई,
या उठाकर
आंगन से मिट्टी हो लाई ।
उसकी मीठी मुस्कान, अब मेरा खिलौना है,
उसकी गीली गुद्डी, अब मेरा बिछौना है ।
बेटी की हल्की उफ से,
मेरी जान निकल जाती है,
उसकी उन्मुक्त हँसी से
मेरी दुनिया मुसकाती है ।

धन्य माँ है मेरी,
जिसने मुझको जन्म दिया है
जिसके कारण ही मुझ को
माँ का रुप मिला है ।

केन्द्रिय विद्यालय,
भारतीय राजदूतावास,
काठमांडू, नेपाल



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