संक्रमित हो चुके लोगों के लिए टीके की एक खुराक ही काफी
‘नेचर जर्नल’ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार 26 लोगों पर फाइजर एवं मॉडर्ना के टीके के प्रभावों के अध्ययन में पाया गया है कि किसी गैर-संक्रमित व्यक्ति में जितना असर इन टीकों की दो खुराक से होता है, उससे ज्यादा अच्छी एंटीबॉडी और बी-सेल प्रतिक्रिया संक्रमित व्यक्ति में महज एक खुराक से पैदा हो जाती है। यह भी देखा गया कि संक्रमित हो चुके व्यक्ति को दो खुराक देने से कोई अतिरिक्त फायदा नहीं हो रहा है। शोध के मुताबिक संक्रमण के बाद टीके की एक खुराक पर्याप्त होगी। जबकि, जो लोग एक खुराक ले चुके हैं और बाद में उन्हें संक्रमण हुआ है तो उन्हें इसके बाद दूसरी खुराक लेने की जरूरत नहीं है।
न्यूयार्क सिटी, माउंट सिनाई में आइकैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के रोग प्रतिरक्षा विशेषज्ञ जोडी ओचेंडो कहते हैं, सभी देशों को इस व्यवस्था को अपनाना चाहिए। इससे टीके की करोड़ों खुराक बचेंगी और उन लोगों को दी जा सकेंगी, जिन्हें इसकी सर्वाधिक जरूरत है। फ्रांस, इटली, जर्मनी समेत कई देशों ने संक्रमित हो चुके लोगों के लिए सिर्फ एक खुराक की सिफारिश की है।

दस गुना ज्यादा बी-सेल मेमोरी मिली

न्यूयार्क स्थित रॉकफिलर यूनिवर्सिटी के शोध की मानें तो जिन लोगों ने टीके की दो खुराक ली, उनमें बी-सेल मेमोरी दस गुना ज्यादा रिकॉर्ड की गई। लेकिन, जिन्होंने संक्रमण के बाद टीका लिया, उनमें यह बढ़ोतरी 50 गुना तक पाई गई। ऐसे लोगों में न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबाडी भी ज्यादा पाए गए। लिहाजा यह सिद्ध होता है कि संक्रमित हो चुके लोगों के लिए एक खुराक ही काफी है।
फाइजर, मॉडर्ना की वैक्सीन पर हुआ अध्ययन
हालांकि, शोध में यह भी कहा गया है कि दो मुद्दों पर स्थिति साफ होनी चाहिए। पहला, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य एजेंसियों ने कोरोना की जद में आ चुके लोगों के लिए दोनों खुराक की सिफारिश की है, उन्हें नए वैज्ञानिक तथ्यों के मद्देनजर इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। दूसरे, फाइजर और मॉडर्ना की तरह अन्य टीकों पर भी ऐसे अध्ययन होने चाहिए।

