राजा लौटाओ अभियान में महन्थ रामतपेश्वर दास वैष्णव
कहते हैं- एक लाठी को कोई भी तोड देगा, लेकिन जब सैकडÞो लाठी को एक जगह कर दे तो कोई भी ताकत उन्हे नहीं तोडÞ सकता है। कहने का मतलव सैकडों लाठी से एक गणतन्त्र बना है। लेकिन जब एक-एक लाठी अलग होने लगे तो गणतन्त्र स्वतः कमजोर हो जाऐगा। गणतन्त्र स्थापना के लिए ही राजा महेन्द्र पर जानकी मन्दिर में बम फेका गया था। जिनको बाद में राजा ने फाँसी पर लटका दिया था। उसी जगह से राजतन्त्र की वकालत किया जाना यह कितना क्षम्य और अक्षम्य है इसका निर्ण्र्ाातो जनता ही करेगी।
जनकपुर में पर्ूव राजा शाह के नागरिक सम्बोधन से ज्यादा चर्चा जानकी मन्दिर के महन्थ रामतपेश्वर दास वैष्णव की है। जानकी मन्दिर की अथाह सम्पति पर एकक्षत्र राज करनेवाले महन्थ दास को अब पुजारी के काम से ज्यादा राजनीतिक दिख रही है। वे अब राजा लौटाने के अभियान में लग चुके हैं। उनकी अपार सम्पति को देखकर राजनेतागण मौन हैं।
अभिनन्दन कार्यक्रम में महन्थ दास का उद्घोष र्सवत्र चर्चा का विषय रहा है। परन्तु इस विषय पर खुलकर किसी को बोलने का साहस नहीं है। महन्थ दास ने अपने सम्बोधन में कहा- ‘राजा ने देश चलाने के लिए ट्रायल में नेताओं को दिया था, लेकिन जब नेता देश नहीं चला सके तो फिर से राजा को सत्ता की चाभी लौटा दें।’ महन्थ के शब्द में कहा जाय तो नेता असफल हो चुके हैं। देश को डूबने से बचाना है तो राजतन्त्र की पर्ुनबहाली कर दी जाए। हम राजा के साथ हैं, साथ रहेगें। अगर राजा के ऊपर किसी प्रकार की आँच आई तो प्रतिकार करने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राजा को चाहने वाले खुलकर मैदान में आवें किसी के ऊपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
महन्थ दास ने गर्व करते हुए कहा कि मैने ही राजा को जनकपुर में सम्बोधन करने लिए कहा था। हमे हिन्दू राष्ट्र चाहिए और हिन्दू राष्ट्र राजा ही दे सकता है। अगर जनकपुर में राजा के विरोध में कोई भी दल वा जनता आगे आता है तो हम साधु-सन्त प्रतिकार करने के लिए भी तयार है। उन्होने यह भी कहा कि मुझे लगा इतना कहने के बाद कही से कुछ दवाव अवश्य आएगा परन्तु कहीं से कुछ नहीं आया। महन्थ ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि नेपाली जनता अब राजतन्त्र के पक्ष में है। महन्थ दास ने पर्ूव राजा शाह को श्री ५ महाराजाधिराज कह कर हीं सम्बोधन किया था।