‘सरोगेसी’ से कुंवारे भी अब मां–बाप बन सकते हैं : बिम्मी कालिंदी शर्मा
बिम्मी कालिंदी शर्मा, बीरगंज (व्यंग्य) हिमालिनी अंक जुलाई ।यदि किसी कुंवारी लड़की के मां बनती है तो परेशान मत होइए, न उस पर कोई लांछना लगाइए । अब कुंवारी लडकी भी बिना शादी या किसी पुरुष के साथ शारीरिक संसर्ग के बिना भी मां बन सकती है और यह सब संभव हुआ है सरोगेट मदर या किराए की कोख की वजह से । लड़की की तरह कोई कुंवारा लड़का या पुरुष भी पिता बन सकता है बिना किसी औरत या प्रेमिका की मदद से ।
मां बनना अब कोई शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक बातें नहीं रह गई । यह अब सिपÞर्m मेडिकल साइंस से संबंधित एक यांत्रिक या प्राविधिक बातें हो गई है । बीते दशक में बहुत से सामथ्र्यवान महिला और पुरुषों ने बिना शादी किए अविवाहित रह कर ही मातृत्व या पितृत्व सुख का आनंद लिया । हो सकता है वह कुंवारे न हो पर तीसरे व्यक्ति की मदद से अपने ही शरीर के यौगिक संवेगो को किसी किराए या भाड़े की कोख को खुद के लिए उपलब्ध करा कर मातापिता बनने का सौभाग्य प्राप्त किया हो । किसी जरुरतमंद औरत ने नौ महीने के लिए अपना गर्भ भाड़े में दे कर किसी की घर में किलकारियां गुंजने का मौका दिया हो । हां इसके लिए उन्हें पैसे भी भरपूर मिले । मेडिकल साइंस ने इतनी प्रगति कर ली है कि औरत का शरीर एक बच्चे को पैदा करने का मशिन या नौ महीना बच्चा रखने का बर्तन ही बना कर रख दिया । सरोगेट मदर या सरोगेसी ने औरत की ममता और भावनात्मकता को ही छीन लिया है ।
इसी लिए अब लोग शादी से विमुख हो रहे हैं ।
आज के युवा युवती आजादी चाहते हैं । वह अपनी आजादी को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं । पढ–लिख कर कमा रहे हैं अपने पैरों पर खड़े हैं । इसके लिए वह बिना शादी के भी अविवाहित या कुंवारे रहना मंजूर कर लेते हैं । पर माता–पिता बनने के एहसास को दबा नहीं पाते । और उनकी इसी कमजोरी या एहसास को मेडिकल साइंस ने मन माफिक कैश किया । उच्च शिक्षित युवा जो महीनें में लाखों कमाते हैं और भरपूर मस्ती भी करते हैं । उनके लिए नौ महीने के लिए किसी औरत का गर्भ भाड़े में लेना कोई मुश्किल या अचरज की बात नहीं है । खुद बिजी है परिवार बनाने के लिए समय नहीं दे सकते शादी तो दूर की बात है । बहुत सारी लड़कियां मां तो बनना चाहती है पर अपने शरीर को जोखिम में डाले बिना । इसीलिए मां बनने की अपनी इच्छा को किसी पैसे की जरूरतमंद औरत के गर्भ को भाड़े में ले कर जिसमे अपने शरीर से निकले हुए द्रव्य से भ्रूण को रोपण कर के । इसी तरह पुरुष भी पिता बनना चाहता है पर अपनी आजादी को खतरे में डाले बिना । इसीलिए विवाह को दरकिनार कर अपने बीज को किसी योग्य फर्टिलिटी चिकित्सक के सहयोग और सलाह से किसी अपरिचित औरत के गर्भ में रोपण कर पिता बनने के सुख का जिंदगी भर आनंद उठाता है ।
अब किसी अकेली या अविवाहित लड़की के बढ़े हुए गर्भ को देख कर उसको धिक्कारिए मत न उसके चरित्र की धज्जियां उड़ाएं । हो सकता है वह सरोगेट मदर हो और किसी अपरिचित पुरुष का बीज अपने गर्भ पर रोपण किया हो । किसी कुंवारी लड़की ने बिना किसी पुरुष से कोई संबंध रखे बिना ही मां बनने के लिए सोचा और किया हो । अब कुछ भी अंसभव नहीं है । इसीलिए किसी अविवाहित या कुंवारी लड़की को मां बनता देख नाक मुँह मत बनाइए । और किसी अविवाहित या कुंवारे पुरुष को किसी बच्चे को दुलारते या प्यार करते देख कर भी आश्चर्य में मत पडि़ए । हो सकता है वह बच्चा उसके ही बीज का अंश हो और उसने भाडे की कोख की मदद से पिता बनने कि सुख को प्राप्त किया हो ।

हिन्दी सिनेमा के कई अभिनेता या अभिनेत्री सरोगेसी से मां–बाप बन चुके हैं । पर उनकी शादी नहीं हुई है वह अविवाहित हैं और भाडेÞ की कोख की मदद से जन्मे अपने बच्चे को पाल पोस रहे हैं । हो सकता है वह कुंवारे न हो पर दुनिया के सामने अविवाहित हैं । शादी की झंझटों मे पड़ कर अपना जीवन और समय बर्बाद न कर के वह सिंगल पैरेंट बन कर अपने बच्चे को पाल रहे हंै । वह बच्चा जो उनके शरीर से तो नहीं जन्मा है पर है उनका अपना ही बीज । किसी दूसरे के खेत में अपना बीज और खादपानी डाल कर उत्पादन किया जा रहा है । यह उचित है या अनुचित, वैध या अवैध यह अलग बहस का विषय है । सब को सब कुछ नहीं मिलता पर पैसा और संपन्नता से बहुत कुछ खरीद या हासिल किया जा सकता है ।
विवाह या परिवार का सुख भले ही सब के नसीब में न हो या जानबूझ कर इस पचड़े में न पड़ना चाहते हों । पर बच्चा सब को पसंद है । अब मातापिता गौण और बच्चा मुख्य हो गया है इसी लिए खुद को छाया में रख कर सरोगेट मदर या भाड़े की कोख की मदद से बहुत से लोग मां–बाप बनने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं और यह गलत भी नहीं है । अब किसी अविवाहित या कुंवारे लड़के लड़कियों को मातृत्व या पितृत्व का सुख लेते देख उन्हे दोष या ताने मत दीजिए । यह उनका हक है और वह अपने हक का प्रयोग कर जिंदगी के मजे लूट रहे हैं तो इस में गलत क्या है ? समय के साथ चलिए और अपने दिमाग और सोच को विस्तृत करिए । ताकि आगे चल कर ऐसे दृश्य आम रूप में जब देखने, पढ़ने और सुनने को मिले तो आपको कोई हैरानी न हो न आप आंखे फाड़–फाड़ कर किसी ‘एलियन’ की तरह उनको देखें । टेक इट इजी